मुस्लिम प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. दावा किया जा रहा है कि असम में बांग्लादेशी मुस्लिम एक अलग राज्य की मांग कर रहे हैं.

कुछ यूज़र्स ये वीडियो शेयर करते हुए लिख रहे हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने ‘बांग्लादेशियों’ के खिलाफ़ कड़क रुख अपनाया.

इस कड़े रुख के लिए यूज़र्स हेमंत बिस्वा शर्मा को धन्यवाद भी कह रहे हैं.

 

परम आदरणीय असम के मुख्यमंत्री हिंदू हृदय सम्राट हेमंत विश्व शर्मा जी ने बांग्लादेशियों की तबीयत से ठुकाई करवाई। क्यों???🤔

ये जानने के लिए वीडियो देखें🔥🙏🚩👍

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Posted by Sandeep Mandhotra on Wednesday, 9 June 2021

ये वीडियो फ़ेसबुक और ट्विटर पर वायरल है. वीडियो के फ़ैक्ट-चेक के लिए ऑल्ट न्यूज़ के मोबाइल ऐप और व्हाट्सऐप नंबर (+91 76000 11160) पर कुछ रीक्वेस्ट भी आयी हैं.

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ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये वीडियो साल 2017 से सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.

 

असम में रिफ्यूजी बांग्लादेशी मुसलमानों ने आजादी की मांग की,
फिर हमारी सेना ने इनका जो स्वागत किया…..😂😂😂
आपका दिल खुश हो जाएगा।……वीडियो खूब शेयर करें!

Posted by Reva D on Sunday, 2 July 2017

फ़ैक्ट-चेक

सबसे पहले तो वीडियो में न ही कोई पुलिसवाला और न ही कोई प्रदर्शनकारी मास्क पहने दिख रहा है. ये संकेत देता है कि वीडियो हाल का नहीं है. इसके अलावा, 2017 में भी इस वीडियो के शेयर किये जाने के उदाहरण दिखे.

यूट्यूब पर की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें ये वीडियो 2 जुलाई 2017 को अपलोड किया हुआ मिला. चैनल ने बताया कि ये प्रदर्शनकारी असम के गोलपारा में सरकार द्वारा लागू किये गए ‘संदिग्ध नागरिक और वोटर्स’ टैग के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शन के दौरान हुई कथित रूप से पुलिस द्वारा की गयी गोलीबारी में एक व्यक्ति की जान चली गई थी. स्क्रॉल के मुताबिक, ये वीडियो असम के हुसैन अहमद मदानी ने रिकॉर्ड किया था.

 

গোৱালপাৰা জিলাৰ খাৰবুজাত উত্তপ্ত পৰিস্থিতি ৷ প্ৰতিবাদ কাৰী আৰু আৰক্ষীৰ মাজত খণ্ডযুদ্ধ, আৰক্ষীৰ গুলীত নিহত এজন আহত এজন।

Posted by Hussain Ahmed Madani on Thursday, 29 June 2017

हुसैन ने वीडियो फ़ेसबुक पर 30 जून 2017 को पोस्ट किया था. उसने स्क्रॉल को बताया था कि वो इस प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था लेकिन भगदड़ देखकर उसने वीडियो बना लिया था. ये दृश्य तबके हैं जब प्रदर्शनकारियों का एक झुंड असम के गोलपारा ज़िले के खूटामारी गांव के पास नेशनल हाईवे 37 पर पहुंचा था.

स्क्रॉल के मुताबिक, “पुलिस के अनुमान से, 400 से 500 प्रदर्शनकारी बैनर और कुछ प्लाकार्ड के साथ नारेबाज़ी कर रहे थे. वो कह रहे थे – हम भारतीय मुस्लिम नागरिकों पर अत्याचार बर्दास्त नहीं करेंगे – इंक़लाब ज़िन्दाबाद.”

न्यूज़क्लिक ने भी रिपोर्ट किया था कि प्रदर्शनकारी बॉर्डर पुलिस और विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा D वोटर्स पर किये अत्याचारों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे. ‘D-वोटर्स’ (D=Doubtful) असम के वोटर्स की एक केटेगरी है जिन्हें नागरिकता के कानूनी दस्तावेज दिखाने में असफ़ल होने के कारण चुनाव आयोग ने मताधिकार से वंचित कर दिया था.

प्रदर्शनकारियों की होर्डिंग में लिखा है, “डी-वोटर लिस्ट में शामिल लोग यहीं के हैं और उन्हें हटाया नहीं जाना चाहिए. इन 40 हज़ार भारतीयों को इंसाफ़ मिलना चाहिए और लिस्ट दोबारा बनायी जानी चाहिए. वंचित आबादी को भी सरकारी नौकरी और सुरक्षा मिलनी चाहिए. 30 जून 2017 को सुबह 8 बजे से दोपहर के 12 बजे तक नेशनल हाईवे 37 ब्लॉक करना चाहिए.”

यानी, सरकार के ‘संदिग्ध नागरिक और वोटर्स’ टैग के खिलाफ़ असम में 4 साल पहले हुए प्रदर्शन का वीडियो हाल में ‘बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों’ की अलग राज्य की मांग करने के दावे से शेयर किया गया.


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