सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें नकाबपोश आदमी सरेआम कुछ लोगों को मौत के घाट उतारते हुए देखे जा सकते हैं. दावे के अनुसार, वीडियो में तालिबानी अफ़ग़ानिस्तान के सैनिकों को मार रहें हैं. वीडियो में हिंसा होने की वज़ह से ऑल्ट न्यूज़ ने इस रिपोर्ट में वीडियो को नहीं रखा और न ही उसका लिंक दिया है.

हमें इस वीडियो की सच्चाई जानने के लिए व्हाट्सऐप नंबर (76000 11160 और ऑल्ट न्यूज़ मोबाइल एप्लिकेशन (Android, iOS) पर कई रिक्वेस्ट मिलीं.

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कुछ यूज़र्स ने व्हाट्सएप पर हिंदी में ऐसा ही दावा शेयर किया है. जिसमें लोगों को चेतावनी दी गयी है कि जब तक योगी-मोदी सत्ता में हैं तब तक हम सुरक्षित हैं. प्याज और ईंधन की कीमत जैसे “बेकार मुद्दों” को उठाने के खिलाफ भी सलाह दी गयी है साथ ही कहा गया है की ऐसा न हो कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को “इसी तरह की स्थिति” देखनी पड़े.

 

ISIS द्वारा लोगों को सरेआम मारने का पुराना वीडियो

गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऑल्ट न्यूज़ को NBC12 की 2014 की एक रिपोर्ट मिली. अमेरिका स्थित इस न्यूज़ आउटलेट ने बताया था कि वीडियो में इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया (ISIS) द्वारा लोगों को मारते हुए दिखाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, ज़मीन पर घुटने टेकने वाले 10 लोग देश के सिपाही थे.

ये वीडियो फ़ेसबुक पर शेयर किया गया था. वीडियो को हटाने के लिए कई रिक्वेस्ट के बावजूद, फ़ेसबुक ने ऐसा करने से मना करते हुए जवाब दिया, “हमने आपके द्वारा रिपोर्ट किए गए वीडियो जिसके ग्राफ़िक में हिंसा है, की समीक्षा की और पाया कि ये वीडियो हमारे कम्युनिटी स्टैण्डर्ड्स का उल्लंघन नहीं करता है.”

2014 में, ह्यूमन राइट्स वॉच ने रिपोर्ट किया, “इस्लामिक स्टेट ने 10 जून, 2014 को उत्तरी इराकी शहर मोसुल के बाहर एक जेल से लगभग 600 पुरुष कैदियों को मार डाला.” ISIS की क्रूरता से भरी घटनाओं के बारे में पढ़ने के लिए यहां क्लिक कर सकते हैं.

इस तरह, तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करने के संदर्भ में हालिया घटना बताकर, 2014 में लोगों को सरेआम मारने वाला ISIS का पुराना वीडियो शेयर किया गया.


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