एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर हो रहा है कि राजस्थान में पटाखे बैन होने की वजह से राजपूतों ने वहां जमकर हवा में फ़ायरिंग करते हुए जश्न मनाया.
राजस्थान में अशोक गहलोत की कोंग्रेस सरकार ने दिवाली पर पटाखे बेन किये थे।
फिर क्या, वहाँ के राजपूतों ने अपने अंदाज़ में दिवाली मनाई।💪🏻🙏🏻🚩
जय हिंदुत्व🙏🚩
*जय राजपुताना* 🚩Posted by Virendra Vicky Banna on Tuesday, 17 November 2020
ट्विटर पर भी कई लोग ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा कर रहे हैं.
राजस्थान में अशोक गहलोत की कोंग्रेस सरकार ने दिवाली पर पटाखे बेन किये थे। 😡
फिर क्या था वहाँ के राजपूतों ने अपने अंदाज़ में दिवाली मनाई। 😂 pic.twitter.com/jg5IUv1dxF
— कृष्ण दास ❤️🕉️ स्वंसेवक (@Krishna__Bhakt) November 16, 2020
फ़ैक्ट-चेक
इस वीडियो के एक फ़्रेम का यांडेक्स (Yandex) पर रिवर्स इमेज सर्च करने से हमें सितम्बर 2020 में अपलोड किया हुआ यही वीडियो मिलता है. साल 2020 में दीवाली 14 नवम्बर को थी. मतलब, ये वीडियो किसी भी तरह इस साल की दीवाली का तो नहीं हो सकता. लेकिन, यहां इस वीडियो के साथ और कोई जानकारी शेयर नहीं की गयी है. इस वजह से हमें ये नहीं मालूम चल सका कि ये घटना कहां की है.
हमने अपनी पड़ताल जारी रखी. हमें उसी सर्च रिज़ल्ट में कुछ ऐसे ही दृश्य वाले वीडियोज़ यूट्यूब पर मिले. इनमें से कुछ मार्च, 2019 और मार्च 2018 में अपलोड किये गए थे. इस वीडियो के टाइटल में लिखा है, ‘मेनार जमराबिज 2019.” मेनार राजस्थान का एक गांव है जो उदयपुर ज़िले में पड़ता है. ये गांव यहां की झील और यहां आने वाले पक्षियों के लिए जाना जाता है.
इसके बाद की-वर्ड्स सर्च से अभी वायरल हो रहा वीडियो मार्च, 2020 में अपलोड किया हुआ मिला.
न्यूज़18 में 12 मार्च, 2020 को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, “राजस्थान के उदयपुर शहर से करीब पचास किलोमीटर दूर स्थित मेनार गांव में धुलंडी के दूसरे दिन जमरा बीज के मौके पर रंगों के इस त्योहार होली को अनूठे अंदाज में मनाया गया. यहां होली के रंगों के बजाय बंदूक से उगलती गोलियां दागी गईं और गोलबारी के बीच जमकर रंग बरसाए गए. चार सौ साल से चली आ रही इस परंपरा को अब बारूद की होली के नाम से भी पहचाना जाने लगा है. जमरा बीज की पूरी रात मेनार गांव के रहने वाली मेनारिया समाज के लोग जमकर मस्ती करते हैं और शौर्य और पराक्रम के प्रतीक इस त्योहार का मजा लेते हैं.”
असल में मेनार में होली खेलने की ये परंपरा बरसों पुरानी है. होली के 3 दिन बाद सूरज ढलते ही ये जश्न शुरू होता है जिसमें ‘बारूदी-होली’ खेली जाती है. इसकी शुरुआत मुगलकाल से हुई थी और आज भी ये परम्परा बाकायदे जीवित है.
यानी, ये साफ़ है कि राजस्थान के मेनार में मनाए जाने वाले एक ‘पारंपरिक’ पर्व का वीडियो शेयर करते हुए ग़लत दावा किया जा रहा है कि वहां राजपूतों ने गोलीबारी कर दीवाली मनाई क्यूंकि पटाखों पर बैन लगा हुआ था.