एक संदेश जो पैरासिटामोल P-500 के उपयोग के संबंध में लोगों को चेतावनी देते हुए सोशल मीडिया में फिर सामने आया है। संदेश इस प्रकार है- “तत्काल चेतावनी! ध्यान रखें कि P-500 लिखा हुआ पैरासिटामोल न लें। यह नया, बहुत सफेद और चमकदार पैरासिटामोल है। डॉक्टरों ने “माचुपो” वायरस — जिसे उच्च मृत्यु दर के साथ दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस में से एक माना जाता है — इसमें होना साबित किया है। कृपया इस संदेश को सभी लोगों और परिवारों के लिए साझा करें और उनसे जीवन बचाएं।”

यह संदेश विभिन्न तस्वीरों का उपयोग करते हुए प्रसारित किया गया है।

यह अफवाह एक अन्य संदेश के साथ भी प्रसारित हो रहा है, जिसमें कहा गया है- “कृप्या ये पैरासिटामोल न खाएं न ख़रीदे जिसपे P /500 लिखा हो इसमें एक वाइरस पाया गया है जो विश्व के सबसे खतरनाक में से एक है। यह जानकारी सभी को भेजो।”

2017 से वायरल

इस संदेश को विभिन्न रूपों में वायरल किया गया है। डॉ. रोमल मोहम्मदी नामक एक फेसबुक पेज पर 2017 के एक पोस्ट को 2,77,000 से अधिक बार साझा किया गया था।

URGENT WARNING! Be careful not to take the paracetamol that comes written P-500. It's new, very white and shiny paracetamol. Doctors prove to contain ''Machupo'' virus, considered one of the most dangerous viruses in the world with high mortality rate. Please share this message for all people and families and save life from them.

अफवाह

इस संदेश का दावा है कि P-500 पैरासिटामोल टैबलेट में माचुपो (Machupo) नामक एक घातक वायरस है। हालांकि, माचुपो वायरस, जिसके कारण होने वाला बोलिवियन रक्तस्रावी बुखार दक्षिण अमेरिका तक सीमित है। इसके अलावा, यह आमतौर पर कुतरने वाले जानवरों (चूहा, गिलहरी आदि) को संक्रमित करता है और मनुष्यों में तुलनात्मक रूप से यह दुर्लभ है। भारत में माचुपो वायरस का कोई ज्ञात मामला नहीं है। इस अफवाह को विभिन्न भारतीय अखबारों जैसे, हिंदू और बैंगलोर मिरर ने खारिज किया है।

मलेशियाई सरकार ने इसे अफवाह घोषित करते हुए आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की और कहा कि टैबलेट में कोई वायरस नहीं है।

इंडोनेशियाई फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (BPOM) ने भी आधिकारिक बयान देकर वायरल संदेश को अफवाह बताया है।

तथ्य-जांचकर्ता वेबसाइट Snoops ने इस बारे में तथ्य-जांच भी प्रकाशित की थी और बताया था कि P-500 पैरासिटामोल गोलियों में कोई वायरस नहीं है।

भले ही कई समाचार पत्रों, तथ्य-जांचकर्ताओं और सरकारी एजेंसियों ने यह कहते हुए जानकारी सार्वजनिक कर दी है कि यह सूचना एक अफवाह मात्र है, फिर भी इस संदेश का वायरल होना अभी भी जारी है।

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