सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें एक बस में बुर्का पहने कुछ महिलाओं और साड़ी पहनी एक महिला बीच विवाद हो रहा है. ये दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम महिलाएं एक हिंदू महिला पर अपना धर्म थोप रही थीं. अमेरिकी पत्रकार एमी मेक ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ”भारत में शरिया का गश्त! इस्लामिक महिला ने केरल में बिना शरिया कवर के बस में यात्रा करने की हिम्मत करने पर एक हिंदू महिला को परेशान किया. नाराज़ मुसलमानों ने उनसे बुर्का पहनने की मांग की. मुसलमान नहीं चाहते कि हिंदू उनकी शरिया के मांगों का पालन किए बिना पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन में यात्रा करें – अल्लाहु अकबर.” (आर्काइव)

वेरिफ़ाईड राईटविंग इन्फ्लुएंसर @MeghUpdates ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा कि केरल की मुस्लिम महिलाएं (जो बुर्के में दिखाई दे रही हैं) शरिया कानून का पालन करते हुए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करते समय हिंदू महिला (जो साड़ी में दिखाई दे रही हैं) को बुर्का पहनने के लिए मजबूर कर रही थीं. (आर्काइव)

पत्रकार अर्चना तिवारी, शशांक शेखर झा, @Anandi_sanatani और RSS कार्यकर्ता शीतल चोपड़ा जैसे यूज़र्स ने भी दावा किया कि ये घटना केरल में हुई थी. अर्चना तिवारी और शशांक शेखर झा ने बाद में अपने ट्वीट हटा दिए.

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RSS संचालित पांचजन्य ने भी यही वीडियो ट्वीट करते हुए दावा किया कि मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू महिला पर बुर्का पहनने के लिए दबाव डाला था. (आर्काइव)

कई अन्य वेरिफ़ाईड एकाउंट्स ने इसी तरह के दावे के साथ वीडियो शेयर किया. इनमें @bhagwakrantee, @SaffronQueen_, @ajaychauhan41, @Sudhir_mish, @Sudanshutrivedi, @Sadhvi_prachi, @NagarJitendra, @Ateist_TV, @rose_k01, @sikka_harinder और @RadioGenoa.शामिल हैं.

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फ़ैक्ट-चेक

हालांकि, वायरल वीडियो में होने वाली ज़्यादातर बातचीत के अलावा पाठक को ध्यान देना चाहिए कि वीडियो में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है जिससे पता चले कि बुर्का पहने महिलाओं ने साड़ी पहने महिला को भी बुर्का पहनने के लिए मजबूर कर रही हो.

हमें एक फ़ेसबुक पोस्ट में कई संबंधित क्लिप मिलीं. एक वीडियो में महिलाएं बस को बाहर से रोकती और ड्राइवर से सवाल करती नज़र आ रही हैं कि वो स्टॉप पर क्यों नहीं रुक रहा है. उन्हें ये कहते हुए सुना जा सकता है, “अगर बस स्टॉप पर बस नहीं रुकती तो बस स्टॉप बना ही क्यों है?”

ചോദ്യം ചെയ്യേണ്ട കാര്യങ്ങൾ ചോദ്യം ചെയ്യുക തന്നെ വേണം….
ഈ പെൺകരുത്തിന് big salute…
ആർക്കെങ്കിലും ഈ പെൺ ശബ്ദങ്ങളെ കൊണ്ട്…

Posted by Hakeem Kumbala on Friday, 20 October 2023

फ़ेसबुक क्लिप और वायरल वीडियो एक ही समय और एक ही जगह का है या नहीं, ये कंफ़र्म करने के लिए हमने वायरल वीडियो से स्क्रीनशॉट लेकर उनकी तुलना दूसरे क्लिप से की. बस की लाइसेंस प्लेट पर नंबर और गाड़ी के अंदर दिख रहा नंबर एक ही है. इसके अलावा, बस के बाहर देखे गए टेक्स्ट “श्री गुरुवायुरप्पन” का हिस्सा भी वायरल वीडियो में देखा जा सकता है.

फ़ेसबुक पोस्ट को ध्यान में रखते हुए हमने एक की-वर्डस सर्च किया. हमें इस घटना के बारे में कई मलयालम न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं. रिपोर्टर के एक आर्टिकल के मुताबिक, केरल के कासरगोड में कुंबाला-मुलेरिया KSTP रोड पर भास्कर नगर में खानसा महिला कॉलेज फॉर एडवांस्ड स्टडीज के पास एक नए बस स्टॉप पर बसें अक्सर बिना रुके निकल जाती थीं. नतीजा ये हुआ कि 22 अक्टूबर को खानसा महिला कॉलेज की छात्राओं ने सड़क पर बस रोककर विरोध प्रदर्शन किया.

हमने कुंबाला SHO वीवी राजीवन से संपर्क किया. उन्होंने वायरल दावों को ग़लत बताया और इस घटना में किसी भी सांप्रदायिक ऐंगल से इंकार किया. उन्होंने हमें बताया कि बस खानसा महिला कॉलेज के सामने नए बस स्टॉप पर नहीं रुकी और सिर्फ पुराने बस स्टॉप पर ही रुकी जो लगभग आधा किलोमीटर दूर है. ऐसे में कॉलेज की छात्राएं गुस्सा गईं और उन्होंने विरोध करने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो में जो विवाद दिख रहा है वो तब शुरू हुआ जब साड़ी पहनी महिला ने छात्राओं के इस निर्णय पर विरोध जताने की कोशिश की. छात्राओं ने उनसे कहा कि वो उनकी परेशानी समझ नहीं पा रही हैं.

हमें पब्लिक केरल नामक यूट्यूब चैनल पर घटना की डिटेल रिपोर्ट भी मिली. वीडियो में होस्ट ने भी वही बताया जो लड़कियों ने साड़ी पहनी महिला से कहा था. रिपोर्ट के मुताबिक, लड़कियों ने कहा, ”आप हमारा समर्थन नहीं कर रही हैं और हमारा विरोध कर रही हैं क्योंकि आप हमारी परेशानी को समझ नहीं पा रही हैं. अगर आपके बच्चे भी आए दिन बसें न रुकने की इसी समस्या का सामना कर रहे होते, तो आप भी हमारे साथ खड़ी होतीं.”

इसके अलावा, हमें इस वीडियो से पता चला कि डेमोक्रेटिक यूथ फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया (DYFI) ने छात्राओं की मांग के प्रति एकजुटता व्यक्त की थी. पूरी घटना की पुष्टि DYFI नेता हेराज़ कुम्बाला ने अपने एक बयान में की. उनके मुताबिक, कॉलेज के सामने नया बस स्टॉप लगभग बनकर तैयार है. हालांकि, बसें छात्राओं के लिए नहीं रुकेंगी क्योंकि उन्हें बस टिकट पर रियायत का लाभ मिलता है. बसें उन यात्रियों को ले जाएंगी जो टिकट की पूरी कीमत चुकाएंगे और लगभग 500 मीटर दूर दूसरे स्टॉप पर रुकेगी. हालांकि, DYFI, स्थानीय लोगों और पुलिस के हस्तक्षेप के बाद से बसें छात्राओं को वहां तक ले जाने लगी थीं.

मारुनादन टीवी ने कॉलेज के प्रिंसिपल नारायणन से बात की, जिन्होंने कहा कि उस रूट की कोई भी बस नए बस स्टॉप के सामने नहीं रुकती. छात्राओं को उस जगह तक पहुंचने के लिए आधा किलोमीटर जाना होता जहां बसें असल में रुकती थीं. उन्होंने स्थिति के बारे में बस चालक से बात करने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारी नहीं माने. स्थिति तब और बिगड़ गई, जब उस दिन छात्राएं काफी देर तक इंतज़ार कर रही थीं और दो से तीन बसें बिना रुके गुज़र गईं. इससे वो आक्रोशित हो गईं और बस का रास्ता रोकने का निर्णय लिया. विरोध प्रदर्शन के बावजूद भी, ड्राइवर और कंडक्टर छात्राओं की चिंताओं पर कोई जवाबदेही नहीं दिखाई. ये पूछे जाने पर कि क्या पुलिस को इस घटना के बारे में बताया गया था, नारायणन ने कहा कि पुलिस, स्थानीय विधायक और क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय को इन चीजों की जानकारी थी.

ऑल्ट न्यूज़ ने श्री गुरुवायुरप्पन बस सेवा के बसंत पई से बात की. उन्होंने ये स्वीकार किया कि ये घटना वहां हुई थी, साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि ये एक अलग घटना थी. इसमें किसी भी सांप्रदायिक पहलू से इनकार करते हुए उन्होंने कहा, “लोग इस घटना को जिस तरह से चाहें दिखा सकते हैं. स्टूडेंट्स आम तौर पर बहुत शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण होते हैं. मुझे नहीं पता कि उस दिन वे अचानक क्यों भड़क गये. नए बस स्टॉप पर बसें रोकने की मांग एक सतत मुद्दा रही है और ये किसी भी तरह से सांप्रदायिक नहीं है.” उनके मुताबिक RTO ने कॉलेज के सामने बस स्टॉप की याचिका खारिज कर दी थी. उन्होंने कहा कि साड़ी पहने महिला के साथ हुए विवाद के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.

हमें कुछ पुलिस अधिकारियों का एक वीडियो भी मिला जिसमें वे बस ड्राइवर और बस कंडक्टर को समझाने की कोशिश कर रहे थे. वीडियो में पुलिस अधिकारी बस स्टाफ़ को बस स्टॉप पर रुकने और स्टॉप पर इंतज़ार कर रहे स्टूडेंट्स को लेने का निर्देश दे रहे हैं. हालांकि, बस स्टाफ़ भी पुलिस को समझाने की कोशिश कर रहा है. ये बिल्कुल साफ है कि वायरल वीडियो में किसी भी सांप्रदायिक मुद्दे पर चर्चा नहीं की जा रही है.

कुल मिलाकर, ये साफ है कि राईट विंग यूज़र्स ने कासरगोड की घटना को झूठा सांप्रदायिक ऐंगल दिया है. खानसा महिला कॉलेज की कुछ छात्राओं ने अपने कॉलेज के पास बस स्टॉप पर बसें नहीं रुकने का विरोध किया था. विरोध प्रदर्शन की एक क्लिप वायरल हो गई जिसमें यूज़र्स ने ये झूठा दावा किया कि कुछ बुर्का पहने महिलाएं एक हिंदू महिला पर शरिया कानून लागू करने की कोशिश कर रही थीं.

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Student of Economics at Presidency University. Interested in misinformation.