12 जुलाई को, दुनिया भर के कई मीडिया संस्थानों ने ख़बर चलाई कि रूस की सेशेनोव यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है. इन रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया कि ये ह्यूमन ट्रायल पूरा करने वाली पहली पहली वैक्सीन है. मीडिया संस्थानों द्वारा पब्लिश की गई रिपोर्ट्स आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं. भारत में रूस के दूतावास के ट्विटर अकाउंट से ऐसी ही एक रिपोर्ट को शेयर किया गया.
🦠#Sechenov University has successfully completed tests on volunteers of the world’s first vaccine against #COVID19.
“The #vaccine is safe. The volunteers will be discharged on July 15 and July 20″, chief researcher Elena Smolyarchuk told TASS ➡️ https://t.co/jVrmWbLvwX pic.twitter.com/V8bon4lieR
— Russia in India (@RusEmbIndia) July 12, 2020
भारतीय मीडिया संस्थान
न्यूज़ एजेंसी ANI और IANS ने रिपोर्ट्स प्रकाशित कीं कि सेशेनोव यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 की वैक्सीन के सभी ट्रायल्स पूरे कर लिए हैं. इस रिपोर्ट को कई अन्य मीडिया संस्थानों ने भी पब्लिश किया. वायरल दावे को प्रकाशित करने वाले अग्रणी मीडिया संस्थान थे – टाइम्स ऑफ़ इंडिया, द प्रिंट, फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस और इंडिया टुडे.
न्यूज़ 18, बेंगलोर मिरर, हिंदुस्तान टाइम्स, वियॉन, आउटलुक, लाइवमिंट, इंटरनेशनल बिज़नेस टाइम्स, ईटी नाउ, नेशनल हेराल्ड, इंडिया टीवी, बिज़नेस स्टैण्डर्ड, बिज़नेस इनसाइडर इंडिया, इकॉनमिक टाइम्स, एडिटरजी, याहू इंडिया, लेटेस्टली, द लॉजिकल इंडियन और स्वराज्य जैसे मीडिया संस्थानों ने भी इस रिपोर्ट को आगे बढ़ाया.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान
कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने भी सेम दावा किया – स्पूतनिक, द वॉशिंगटन टाइम्स, फ़ोर्ब्स, न्यूज़वीक और पीएम न्यूज़ नाइज़ीरिया. ध्यान देने वाली बात है कि ANI ने अपनी रिपोर्ट का सोर्स स्पूतनिक को बताया था.
पत्रकार
ANI के नेशनल ब्यूरो चीफ़ नवीन कपूर ने 12 जुलाई को ट्विटर पर ये दावा किया था.
इसी तरह ओहायो स्थित रिचलैंड सोर्स के लैरी फ़िलिप्स, स्वराज्य और द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए लिखने वाले आशीष चंद्रोकर और सिफ़ी के फ़िल्म संवाददाता और फ़र्स्टपोस्ट के लेखक राजशेखर जैसे पत्रकारों ने भी यही दावा किया.
दावा
- सेशेनोव यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है.
- रूस कोविड-19 वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल पूरा करने वाला पहला देश बन गया है.
फ़ैक्ट–चेक
- सेशेनोव यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल का पहला चरण पूरा किया है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, क्लिनिकल ट्रायल्स एक प्रकार के रिसर्च होते हैं, जिनमें नए टेस्ट्स और ट्रीटमेंट का अध्ययन और इंसानों के स्वास्थ्य पर उनके असर का विश्लेषण किया जाता है.
पहले चरण में आमतौर पर नई दवा का, पहली बार में कम लोगों के समूह पर टेस्ट किया जाता है. ताकि सुरक्षित खुराक का पता चल सके और इसके साइड इफ़ेक्ट्स पहचाने जा सकें.
दूसरे चरण के अध्ययन में उन इलाजों का टेस्ट किया जाता है जो पहले चरण में सुरक्षित पाए गए. लेकिन इस चरण में किसी विपरीत प्रभाव का पता लगाने के लिए ज़्यादा इंसानों की ज़रूरत होती है.
तीसरे चरण का अध्ययन बड़ी जनसंख्या पर और अलग-अलग क्षेत्रों और देशों में किया जाता है. ये प्राय: नए उपचार को अप्रूवल मिलने से ठीक पहले का चरण होता है.
चौथे चरण का अध्ययन देश में अप्रूवल मिलने के बाद किया जाता है और इसमें लंबे समय तक बड़ी जनसंख्या में लगातार टेस्टिंग की ज़रूरत होती है.
12 जुलाई को, टेलीग्राफ़ एजेंसी ऑफ़ द सोवियत यूनियन (TASS) ने बताया, “सेशेनोव यूनिवर्सिटी में वैक्सीन की रिसर्च का पहला चरण 18 जून को शुरू हुआ. उस दिन 18 वॉलंटियर्स को टीका लगाया गया. 23 जून को 20 वॉलंटियर्स के दूसरे ग्रुप को टीका लगाया गया.” हालांकि, ये सही बात है कि रिपोर्ट के पहले वाक्य की वजह से ग़लत ख़बर का प्रचार हुआ है. इसमें लिखा है, “सेशेनोव यूनिवर्सिटी में नोवेल कोरोना वायरस के लिए बनी वैक्सीन का वॉलंटियर्स पर क्लिनिकल ट्रायल पूरा हुआ.”
फ़र्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, “ये वैक्सीन गमालेया साइंटिफ़िक रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ़ एपिडेमियोलॉज़ी एंड माइक्रोबायोलॉजी और रूस का रक्षा मंत्रालय मिलकर तैयार और विकसित कर रहा है. इस वैक्सीन का ट्रायल सेशेनोव यूनिवर्सिटी में किया जा रहा है.”
WHO के द्वारा बनाए गए कोविड-19 वैक्सीन ट्रैकर के अनुसार, ये वैक्सनी अभी क्लिनिकल ट्रायल्स के 1/2 चरण में है. फ़र्स्टपोस्ट की रिपोर्ट कहती है, “रूसी वैक्सीन के ट्रायल में, रिसर्च का पहला चरण 18 जून को शुरू हुआ. उस दिन 18 वॉलंटियर्स को टीका लगाया गया. 23 जून को 20 वॉलंटियर्स के दूसरे ग्रुप को टीका लगाया गया.” ClinicalTrials.gov वेबसाइट, फिलहाल चल रहे सभी क्लिनिकल अध्ययनों की अमेरिकी रजिस्ट्री है. इसमें दर्ज है कि इस वैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल को दो हिस्सों में बांटा गया था. फ़र्स्टपोस्ट की रिपोर्ट में आगे लिखा है, “इस ट्रायल को दो हिस्सों में बांटा गया था. क्योंकि दोनों समूहों को वैक्सीन की अलग-अलग ख़ुराक दी गई.”
सेशेनोव यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल्स का पहला चरण पूरा किया है.
2. रूस इंसानों पर वैक्सीन ट्रायल करने वाला पहला देश नहीं है
16 मार्च की एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट है. इसके अनुसार, पहला ह्यूमन ट्रायल अमेरिका के सिएटल में स्थित वॉशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टिट्यूट में किया गया था. WHO के कोविड-19 वैक्सीन ट्रैकर के मुताबिक, इंस्टिट्यूट क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में पहुंच चुका है.
इसलिए, ये दावा कि रूस ह्यूमन ट्रायल पूरा करने वाला देश का पहला देश बन गया है, ये भी ग़लत है.
निष्कर्ष:
दुनिया भर के मीडिया संस्थानों ने ग़लत रिपोर्ट पब्लिश की कि रूस की सेशेनोव यूनिवर्सिटी ने कोविड-19 वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल पूरा कर लिया है. ये ट्रायल अभी पहले चरण में ही है. इसके अलावा, ये दावा भी ग़लत है कि रूस ह्यूमन ट्रायल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. अमेरिका के सिएटल में स्थित वॉशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टिट्यूट में मार्च के महीने में पहला ह्यूमन ट्रायल किया गया था.
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