सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘U-Turn’ लेते हुए कहा है कि लक्षण विहीन COVID-19 मरीजों को आइसोलेशन या क्वारंटीन में रहने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उनसे वायरस नहीं फैलता.
यूट्यूब पर WHO हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम की COVID-19 तकनीकी प्रमुख डॉक्टर मारिया वैन केरखोव का वीडियो भी सर्कुलेट हो रहा है. ‘JayyU.S TV’ नाम के चैनल पर इसे तकरीबन 50,000 बार देखा जा चुका है.
ऑल्ट न्यूज़ के ऑफ़िशियल मोबाइल एप्लिकेशन पर इसको वेरिफ़ाई करने के लिए रिक्वेस्ट मिल चुकी हैं.
फ़ैक्ट-चेक
वायरल क्लिप WHO की 9 जून को की गई एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस का हिस्सा है. पूरी प्रेस ब्रीफ़िंग में जो कहा गया, आप यहां पढ़ सकते हैं.
34वें मिनट पर डॉक्टर केरखोव कहती हैं, “हमारे पास कई देशों की रिपोर्ट्स हैं जो बारीकी से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं. वे लक्षणविहीन केस फ़ॉलो कर रहे हैं. वे ऐसे कॉन्टैक्ट्स फ़ॉलो कर रहे हैं जो वायरस को आगे नहीं फैला रहे हैं. यह बहुत दुर्लभ है और ऐसा अभी तक कहीं पब्लिश नहीं किया गया है. हम लगातार डेटा पर नज़र बनाए हुए हैं और देशों से ज़्यादा जानकारी ले रहे हैं ताकि सवालों के जवाब दे सकें. ये दिखने में रेयर लगता है कि बिना लक्षण के मरीज इसे आगे फैला रहे हैं.”
WHO ने नहीं कहा कि लक्षणविहीन मरीज कोरोना वायरस नहीं फैला रहे हैं बल्कि उनका कहना है कि ये ‘बहुत दुर्लभ’ है. वैज्ञानिक समुदाय ने इस बयान को ठीक ढंग से नहीं लिया. रॉयटर्स ने लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के क्लीनिकल एपिडेमियॉलजी प्रोफ़ेसर लियाम स्मिथ का स्टेटमेंट छापा है जिसमें वो कहते हैं, “ये मेरी वैज्ञानिक दृष्टि के विरुद्ध है जो कहती है कि लक्षणविहीन लोग, जिनमें कभी लक्षण नहीं रहे या पहले रहे हैं, वो दूसरों को संक्रमित करने का महत्वपूर्ण सोर्स होते हैं.” उन्होंने कहा कि केरखोव का बयान किस डेटा पर आधारित था, उन्होंने नहीं देखा.
अगले दिन WHO ने बयान पर स्पष्टीकरण दिया और कहा कि लक्षणविहीन संक्रमण पर बात करने के लिए और रिसर्च की ज़रूरत है.
“Since early February, we have said that asymptomatic people can transmit #COVID19, but that we need more research to establish the extent of asymptomatic transmission. That research is ongoing”-@DrTedros
— World Health Organization (WHO) (@WHO) June 10, 2020
आगे कहा गया, “कुछ लोगों को यह लगा कि WHO कह रहा है बिना लक्षण के मरीजों से वायरस नहीं फैल रहा है. हालांकि कुछ स्टडीज़ में अंदाज़ा लगाया गया है कि लक्षणविहीन लोग (पूरी तरह लक्षणविहीन या जिनमें पहले लक्षण थे) आधा संक्रमण फैलाने तक के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं, इसीलिए वायरस को नियंत्रित करना मुश्किल है. उदाहरण के लिए जो वायरस को पहले ही दूसरों में ट्रांसफ़र कर चुके हैं, उन मरीजों को आइसोलेट करने से संक्रमण का खतरा नहीं रुकेगा. कुछ मॉडल स्टडीज़ में अंदाजा लगाया गया है कि लक्षणविहीन संक्रमण बड़े पैमाने पर होता है.”
वायरल सोशल मीडिया क्लिप में कहा जा रहा है कि लक्षणविहीन मरीजों को क्वारंटीन करने की जरूरत नहीं है जबकि WHO ने ऐसा कोई स्टेटमेंट नहीं दिया है. दरअसल ये कहा है कि, “जिन लोगों में लक्षण नहीं हैं वो वायरस फैला सकते हैं, भले वो बीमार महसूस कर रहे हों या नहीं. इसीलिए संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए मास्क पहनना और दूरी बनाए रखना ज़रूरी है.”
16 जुलाई को किए गए एक ट्वीट में WHO ने लिखा कि स्पेन ने COVID-19 के संक्रमण को मैनेज कर लिया, इसका कारण आइसोलेशन भी है.
यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन सेल्फ़-आइसोलेशन के पक्ष में है और लक्षणविहीन मरीजों द्वारा वायरस न फैलने का दावा गलत है.
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