पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर तमिलनाडु में कथित तौर पर हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों पर हमले की कई घटनाओं की खबरें सामने आयी हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने पहले ही वीडियो के आधार पर किए गए ऐसे पांच दावों की पड़ताल करते हुए ये दिखाया कि वायरल क्लिप ऐसे किसी हमले से संबंधित नहीं हैं.
इस संदर्भ में दैनिक जागरण की एक कथित अखबार की क्लिप सोशल मीडिया पर काफी शेयर की जा रही है. ये क्लिप 2 मार्च की है. हेडलाइन में कहा गया है कि तमिलनाडु में हिंदी बोलने वाले मजदूरों को मारा जा रहा है. इसमें ये भी कहा गया है कि तमिल निवासियों ने हिंदी भाषियों को 20 मार्च से पहले राज्य खाली करने को कहा है. इसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री M K स्टालिन की तस्वीर है. टेक्स्ट में कहा गया है कि स्टालिन ने हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों को वहां से निकलने के लिए कहा है और अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनके साथ जो कुछ भी होगा उसके लिए तमिलनाडु सरकार ज़िम्मेदार नहीं होगी.
इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर भी है. उनकी तस्वीर के साथ एक कोट किया गया है, जिसमें उन्हें मजदूरों से यूपी लौटने का अनुरोध करते हुए और ये कहते हुए दिखाया गया है कि राज्य उन्हें रोजगार देगा. क्योंकि तमिलनाडु में कई मजदूरों को मारा जा रहा है.
आगे, आप अखबार की वायरल कटिंग देख सकते हैं.
ये दावा व्हाट्सऐप पर वायरल है. ऑल्ट न्यूज़ को इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हेल्पलाइन नंबर (+91 7600011160) पर कई रिक्वेस्ट मिलीं.
ये दावा फ़ेसबुक पर भी काफी तेजी से वायरल हो रहा है.
फ़ैक्ट-चेक
इस क्लिपिंग पर एक नज़र डालने से ही पता चल जाता है कि ये असली नहीं है. क्यूंकि ‘रिपोर्ट’ न सिर्फ अधूरी है बल्कि गूगल इनपुट टूल का इस्तेमाल करके बहुत ख़राब तरीके से लिखी गई है. ऑल्ट न्यूज़ ने अखबार क्लिप में भाषा और वर्तनी को लेकर की गई कुछ गलतियों नीचे हाइलाइट की हैं:
हिंदी टेक्स्ट में अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल भी किया गया हैं जैसे ‘तमिल पर्सन’, ‘वर्कर’ और ‘यूपी मी.’
इसके आलावा, क्लिप में एक वॉटरमार्क भी है जिसमें “न्यूज़ बैनर मेकर” लिखा है. इसे ध्यान में रखते हुए, हमें गूगल प्ले स्टोर पर इसी नाम का एक एप्लिकेशन मिला. इस ऐप में यूज़र्स अखबार की ऐसी कटिंग बना सकते हैं. ऐप में मौजूद टेम्प्लेट में से एक वायरल तस्वीर जैसा ही है.
कुल मिलाकर, ये साफ है कि एक ऐप का इस्तेमाल कर बनाई गई अखबार की एक क्लिपिंग सही मानते हुए सोशल मीडिया पर शेयर की गई. इसे एक न्यूज़ के रूप में ग़लत तरीके से शेयर किया गया कि हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों को तमिलनाडु खाली करने के लिए कहा जा रहा है, और सरकार उन्हें कोई सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी.
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