JNU के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को Unlawful Activities (Prevention) Amendment act यानी UAPA के तहत दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में गिरफ़्तार किया गया है. स्क्रॉल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 11 घंटे की पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम ने खालिद पर ‘इंडियन पीनल कोड की 18 अलग धाराओं के साथ हत्या और हत्या का प्रयास’ के आरोप लगाये. दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने कहा, “उनके भाषण में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध करना कोई अपराध नहीं है.”

उमर खालिद की गिरफ़्तारी के एक दिन बाद टाइम्स नाउ ने अपने शो ‘इंडिया अपफ़्रंट’ में हैशटैग #UmarLobbySecretTape इस्तेमाल किया. चैनल ने दावा किया -“चैट से मालूम चल रहा है कि ये कट्टरपंथी उमर खालिद से कथित तौर पर जुड़े हैं.” ऐंकर राहुल शिवशंकर ने कहा, ‘ऐक्टिविस्ट लॉबी’ ने ‘प्राइवेट बातचीत’ में ये स्वीकार किया है कि खालिद एक ‘खतरनाक’ संगठन से जुड़े हैं. यहां वो पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) की बात कर रहे हैं जिसपर दिल्ली दंगों में उकसाने और फ़ंड देने का आरोप है. शिवशंकर ने खालिद पर ‘मुसलमानों को कट्टरपंथी’ बनाने का आरोप लगाया. इसके बाद चैनल ने एक वीडियो चलाया जो कि ज़ूम पर हुई एक कॉन्फ़्रेंस कॉल है. टाइम्स नाउ ने दावा किया कि ये वामपंथी ऐक्टिविस्ट्स के बीच हुई प्राइवेट चैट है जो कि लीक हुई है. इस दौरान चैनल की स्क्रीन पर वीडियो के बारे में ‘damming’ जैसे भारी शब्द लिखे हुए थे और इसे ‘अडमिशन टेप’ (यानी कबूलनामा) बताया जा रहा था.

राहुल शिवशंकर ने कहा कि उमर खालिद को बचाने के लिए ‘लेफ़्ट लुटियंस लॉबी’ ‘राष्ट्र-विरोधी’ गतिविधियों में शामिल है. इसके बाद वीडियो चलाया जाता है.

ग्रुप कॉल की शुरुआत बेंगलुरु से एक्टिविस्ट ज़िया नोमानी करते हैं. वो कहते हैं, “मैं आप लोगों के ध्यान में एक और राइट-विंग संगठन को लाना चाहूंगा. ये बैंगलोर में मुस्लिमों के साथ काम करती है. मुझे यकीन है आप सब बेंगलोर में हो रही दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के बारे में सोचते होंगे और इसके पीछे जो नेरेटिव बनाने की कोशिश हो रही है उसके बारे में भी. लेकिन हम एक चीज़ यहां भूल रहे हैं कि SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया) और PFI में कैसे राइट-विंग से जुड़े लोग उभर रहे हैं… अब हमारे बीच इस बात को लेकर मतभेद हो सकता है और हम इस पर बहस कर सकते हैं कि इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए या नहीं. लेकिन युवाओं को कट्टरपंथ की और ले जाने के लिए उनपर मुकदमा चलाया जाना चाहिए. स्वराज इंडिया के फ़ाउंडर प्रशांत भूषण को गलत तरीके से कंटेम्प्ट के लिए पनिश किया गया, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को जलाने की बात कर रहा हूं. SDPI का कहना है कि अगर चीजें [आपके तरीके से] नहीं हो रही हैं, तो हिंसक तरीके से मामलों को अपने हाथों में लें… SDPI और PFI को काउंटर करने की ज़रूरत है.” यहां हम ये साफ़ कर दें कि SDPI एक राजनीतिक संगठन है जो कि PFI का ही हिस्सा है.

ऐक्टिविस्ट और पत्रकार तीस्ता सीतलवाड़ इस बात का जवाब देते हुए कहती हैं, “मैं आपकी ईमानदारी और निष्ठा की तारीफ़ करती हूं. लेकिन मैं बस दो लफ्ज़ कहूंगी, मुसलमानों के बीच में जहां इस तरह की टेन्डेन्सी पैदा होती है, उसमें कड़वाहट से और तीखेपन से नहीं बोला जाता… मुझे बस इतना कहना है कि SDPI और PFI हम जैसे लोगों के लिए प्रॉब्लेमेटिक है. हम जैसे लोग – कम्युनलिज़्म कॉम्बैट, CJP, सबरंग इंडिया ने इनके साथ मंच शेयर नहीं करने के लिए पब्लिक स्टैंड लिया है. जो लोग खुद को लेफ़्ट मानते हैं, उन्हें भी इनके खिलाफ स्टैंड लेना चाहिए.”

इसके बाद की बातचीत इन संगठनों से होने वाले खतरों के बारे में जारी रहती है.

शिवशंकर दर्शकों से सवाल पूछते हैं, “अगर SDPI और PFI के खिलाफ़ आवाज़ उठाने की ज़रूरत है तो कथित तौर पर इन्हीं संगठनों से जुड़े व्यक्ति का बचाव आखिर क्यों… दिल्ली पुलिस का कहना है कि उमर खालिद पर दिल्ली दंगो में PFI का साथ देने का आरोप है. और स्वराज इंडिया और लेफ़्ट के कई एक्टिविस्ट उमर खालिद का बचाव कर रहे हैं. क्या आप इस पर विश्वास कर सकते हैं?

पुरानी पब्लिक बातचीत ‘प्राइवेट’ बताकर टीवी पर दिखाई गयी

टाइम्स नाउ ने जिस बातचीत को इंटेलिजेंस एजेंसीज़ से ‘लीक’ होने के बाद एक्सैस किए जाने का दावा किया वो 16 अगस्त को सिविल राइट ऐक्टिविस्ट्स का एक वेबिनार था. इस ज़ूम कॉल को Pedestrian Pictures ने फ़ेसबुक लाइव की तरह अपलोड किया था. और इस बातचीत का मकसद “Reclaiming Freedom of Speech and Liberty in Times of Intensified State Aggression and Repression” टॉपिक के इर्द गिर्द अपने विचार रखना था.

Reclaiming Freedom of Speech and Liberty in Times of Intensified State Aggression and Repression

Reclaiming Freedom of Speech and Liberty in Times of Intensified State Aggression and Repression. We are live.

Posted by Pedestrian Pictures on Sunday, 16 August 2020

इस वेबिनार का Countercurrents.org ने 13 अगस्त को प्रचार भी किया था. Pedestrian Pictures ने भी 14 अगस्त को फ़ेसबुक पर इसके बारे में पोस्ट किया था.

Pedestrian pictures Weekend screening Fabricated directed by K P Sasi from 14th August 2020 Friday , 6 PM onwards- For…

Posted by Countercurrents.org on Wednesday, 12 August 2020

स्वराज इंडिया ने टाइम्स नाउ को ट्विटर पर जवाब देते हुए लिखा, “आपका सुपर एक्सक्लूज़िव #UmarLobbySecretTape असल में एक पब्लिक बातचीत का हिस्सा है.”

इसके बाद स्वराज इंडिया ने ये भी कहा कि उमर खालिद कभी भी SDPI और PFI से नहीं जुड़े हैं.

उमर खालिद के खिलाफ कई FIR दर्ज हुई हैं. उनमें से एक में उनके खिलाफ PFI से फ़ंड जुटाने का आरोप है. खालिद के वकील ने इन आरोपों को ख़ारिज किया और कहा कि ये बेबुनियाद हैं और लोगों पर दबाव डालकर खालिद के ख़िलाफ़ केस बनाया गया है.

कुल मिलाकर, ये साफ़ हो जाता है कि टाइम्स नाउ ने जिस बातचीत को सीक्रेट बताते हुए उमर खालिद के ख़िलाफ़ बतौर सबूत पेश किया, वो असल में फ़ेसबुक पर ‘लाइव’ दिखायी गयी थी.

[अपडेट: इस आर्टिकल के बाद टाइम्स नाउ ने बिना किसी स्पष्टीकरण के यूट्यूब से ब्रॉडकास्ट का वीडियो डिलीट कर लिया.]
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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.