6 जनवरी को, ट्विटर यूजर जगदीश सेठी ने लोगों के एक समूह के बीच झड़प का एक वीडियो यह दावा करते हुए शेयर किया कि यह “पश्चिम बंगाल में इस्लामी आतंकवाद” को दर्शाता है। उन्होंने इस वीडियो को कैप्शन दिया- “2019 में जिसे कमल चुनने में परेशानी हो वो भविष्य चुनने के लिये तैयार रहें। भविष्य का भारत आप देख सकते है। बंगाल में इस्लामिक टेररिजम की एक छोटी सी झलक पेश की है। देखने के बाद आगे जरूर भेजना। ताकि लोग जागरूक हो सके।”

जगदीश सेठी को ट्विटर पर रेल मंत्री पीयूष गोयल के कार्यालय का ट्विटर अकाउंट फॉलो करता है। उसी दिन, उन्होंने झड़प को दर्शाने वाले एक और वीडियो को यही कैप्शन दिया।

इस वीडियो को फेसबुक पर भी “बंगाल में इस्लामी आतंकवाद” संदेश के साथ प्रसारित किया गया है। रिसर्जेंट धर्म (Resurgent Dharma) नामक पेज से, इसे 32,000 बार देखा गया।

बांग्लादेश का 2018 का वीडियो

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये वीडियो दिसंबर 2018 से ही फेसबुक पर प्रसारित हो रहा है, लेकिन अलग संदेश के साथ। एक सोशल मीडिया यूजर मोहम्मद उमर फारुख ने अपने पोस्ट में इसका वर्णन किया- “तबलीग़ जमात के दो समूहों के बीच टकराव, एक तरफ मौलाना साद के समर्थक और दूसरी तरफ उन्हें नापसंद करने वाले लोगों के झगड़े ने 200 से अधिक मुसलमानों को घायल कर दिया – (अनुवादित)।”

 

This was uncalled for. Confrontation between the two groups of Tabligh Jamaat, supporters of Maulana Saad on one side and those who do not like him on the other side led to over 200 muslims being injured.

This is scary, Muslims fighting Muslims cannot be tolerated. This is the same group that profess itself to be peaceful and kind, but guys you are doing a very bad advertising for your group as well as the entire religion. May Allah (swt) save us. If this is what you do to your fellow hanafis, what would you have done if the conflict was with the followers of some other Madhab.

It is because of people like these that a peaceful religion like Islam gets a bad name, gets labelled as extremist and barbaric. Well I know this is not the best of you, but you have done a great disservice to Islam and Muslims. For the sake of Allah (swt), please stop! fear Allah! The Prophet (ﷺ) said:

Abusing a Muslim is Fusuq (evil doing) and killing him is Kufr (disbelief).

For more info:
www.dhakatribune.com/bangladesh/dhaka/2018/12/01/tabligh-jamaat-s-factional-clash-heavy-gridlock-on-airport-roa

Posted by Mohammad Omar Faruq on Saturday, December 1, 2018

फारुख ने अपने पोस्ट में ढाका ट्रिब्यून (Dhaka Tribune) की रिपोर्ट भी संलग्न की। बांग्लादेश के इस समाचार संगठन के अनुसार, तुराग नदी के किनारे तब्लीग़ी जमात के दो गुटों के बीच बिश्वा इज्तेमा के मैदान में झड़प हुई। यह विवाद 1 दिसंबर को हुआ था जिसमें 200 से अधिक लोग घायल हुए थे और एक की मौत हो गई थी।

बिश्वा इज्तेमा हज के बाद दुनिया भर में मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी मण्डली है। यह तब्लीग़ी जमात द्वारा आयोजित किया जाता है।

ढाका ट्रिब्यून की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, “प्रभुत्व स्थापित करने और मौलाना साद कांधलवी की यात्रा को लेकर शीर्ष नेताओं के बीच विवादों के बाद, तब्लीग़ बांग्लादेश अध्याय, दो समूहों में विभाजित हो गया… कट्टरपंथी इस्लामी संगठन हिफाज़त-ए-इस्लाम ने शुरू में साद के आगमन को रोकने की कोशिश की क्योंकि वे इज्तेमा में उनकी भागीदारी का कड़ा विरोध करते थे…- (अनुवादित)

इस घटना की अन्य मीडिया संगठनों – bdnews24.com, द डेली स्टार और ummid.com द्वारा खबर की गई थी।

ऑल्ट न्यूज़ को यूट्यूब पर दिसंबर 2018 की झड़प के वीडियो भी मिले। ये वायरल वीडियो जैसे ही थे जो हाल में “बंगाल में इस्लामी आतंकवाद” बताकर प्रसारित हुए थे।

बांग्लादेश में दंगों या झड़पों की घटनाओं को अक्सर भारतीय मुस्लिम समुदाय द्वारा हिंसा के रूप में प्रसारित किया जाता है। इस क्रम में पश्चिम बंगाल अक्सर ही लक्ष्य रहा है। ऐसी गलत सूचनाओं के द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुस्लिमों से खास सहानुभूति रखने के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया जाता है।

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Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.