“मोदी के 4.5 साल का शासन, 61 आम लोग मरे, 200 जवान शहीद और 1701 आतंकवादी मारे, और, मनमोहन सिंह का 10 साल का शासन, 1788 आम लोग मरे, 1177 जवान शहीद और सिर्फ 241 आतंकवादी मारे, अब देश बताए कौन है देश का असली सुरक्षा कवच और रक्षक जिस पर भारत भरोसा करे।” आंकड़ों का यह सेट अभिनेता से भाजपा सांसद बने परेश रावल ने ट्विटर पर “ध्यान देने योग्य बात!!!” शब्दों के साथ शेयर किया था।
Point to be noted !!! https://t.co/W8HIVBOJyo
— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) January 6, 2019
रावल ने जो ट्वीट शेयर किया था, उसे 6 जनवरी को एक यूजर @Nitu180 द्वारा पोस्ट किया गया था। इन संख्याओं को बताने वाले उपरोक्त ट्वीट में एक अखबार की क्लिपिंग भी उल्लेखित दिखती है और ये संख्याएं संभवतः उसी पर आधारित हैं। इस क्लिपिंग को कई सोशल मीडिया यूजर्स ने शेयर किया है। हालांकि, इसमें एक विसंगति है- सोशल मीडिया यूजर्स का दावा है कि 200 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, जबकि इस अखबार की क्लिपिंग के अनुसार, यह संख्या 303 है।
इसीलिए #मोदी_सरकार को लाया था मैंने अपना 1 #वोट देकर#मनमोहन के समय में आतंकी हमला करते समय आतंकी मारे जाते थे …✌️✌️✌️
और #मोदीजी के समय खोज खोज कर मारे जा रहे है
इतना ही फ़र्क़ है इसलिए वापस मोदी को ही लायेंगे #2019Elections में हम …..
💪💪💪💪🚩🚩🚩🚩 pic.twitter.com/k8cP7HyDY6— NEETU (@Nitu180) January 7, 2019
ट्विटर यूजर नीतू के ट्वीट का स्क्रीनशॉट फेसबुक पर 4 लाख फॉलोअर्स वाला पेज वी सपोर्ट संघ परिवार ने पोस्ट किया है, जिसे 1200 से ज्यादा बार शेयर किया जा चूका है। आवर पीएम नरेन्द्र मोदी पेज जिसके लगभग 5 लाख फॉलोअर्स है, इसने भी ऐसे ही एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है।
Posted by We Support SanghParivar on Monday, 7 January 2019
वर्तमान सरकार के समर्थकों ने अक्सर दावा किया है कि पहले की यूपीए सरकार के कथित रूप से अपमानजनक और अप्रभावी दृष्टिकोण के विपरीत, नरेंद्र मोदी की सरकार ने कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आंतकवाद को बलपूर्वक, गैर-समझौतावादी नीति के तहत निशाना बनाया है। क्या इस दावे में कोई दम है? ये आंकड़े कितने प्रामाणिक हैं?
सोशल मीडिया के दावे का खंडन करती रिपोर्टें
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट
गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2017-18 के अनुसार, 2014 से 2017 तक, 248 सैनिक शहीद हुए हैं, 581 आतंकवादी मारे गए हैं और 100 नागरिकों की जान गई है। ये संख्याएं सोशल मीडिया में फैली संख्याओं (61 नागरिक मरे, 200 सैनिक शहीद और 1701 आतंकवादी मारे गए) से एकदम भिन्न हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है, “वर्ष 2017 में पिछले साल की तुलना में आतंकवादी हिंसा और नागरिकों की हताहतों की संख्या में वृद्धि देखी गई। हालांकि, सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में कम हुई है। वर्ष 2017 में, 2016 की इसी अवधि की तुलना में, आतंकवादी घटनाओं में 6.21% की वृद्धि और हताहत नागरिकों की संख्या में 166.66% की वृद्धि देखी गई। हालांकि, 2016 की इसी अवधि की तुलना में सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या में 2.44% की कमी हुई। वर्ष 2017 के दौरान, 2016 की इसी अवधि की तुलना में 42% अधिक आतंकवादियों को निष्प्रभावी कर दिया गया है।” (अनुवाद)
जहां तक यूपीए-I और यूपीए-II के रिकॉर्ड का सवाल है, सोशल मीडिया पोस्ट में बताई गईं ये संख्याएं भी गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती हैं। गृह मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार, 2004 से 2014 तक, मारे गए नागरिकों की संख्या 2085 थी, सुरक्षा बलों के हताहतों की संख्या 1059 और निष्प्रभावी कर दिए गए आतंकवादियों की संख्या 4029 थी।

स्रोत: गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2013-14
साउथ एशिया टेरिरिज्म पोर्टल की रिपोर्ट
साउथ एशिया टेरिरिज्म पोर्टल (SATP), जो इस उपमहाद्वीप में आतंकवाद के आंकड़ों का डेटा रखती है, इसके अनुसार, 2015 से 2018 तक, जम्मू-कश्मीर में 177 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई। इसी अवधि के दौरान मारे गए आतंकवादियों की संख्या 766 रही, जबकि 307 सैनिकों ने भी अपनी जान गंवाई। ये संख्याएं भी सोशल मीडिया के हालिया पोस्टों से मेल नहीं खाती हैं।
YEAR | CIVILIAN CASUALTIES | SECURITY FORCES CASUALTIES | TERRORIST CASUALTIES |
2015 | 20 | 41 | 113 |
2016 | 14 | 88 | 165 |
2017 | 57 | 83 | 218 |
2018 | 86 | 95 | 270 |
TOTAL | 177 | 307 | 766 |
यूपीए शासन के वर्षों के लिए, SATP के अनुसार, जहां 2005 से 2014 तक के आंकड़े उपलब्ध हैं, 1296 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई, 903 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 3398 आतंकवादियों को मार गिराया गया। ये संख्याएं भी सोशल मीडिया में दी गई संख्याओं से अलग हैं।
फोटोशॉप की हुई अखबार की क्लिपिंग
ऑल्ट न्यूज़ ने सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा शेयर की गई अतिरंजित संख्याओं वाली अख़बार की क्लिपिंग का स्रोत स्थापित करने की कोशिश की। हमें 24 जून, 2018 का दैनिक भास्कर का एक लेख मिला, जिसमें जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हिंसा से संबंधित व्यापक रुझानों पर खबर दी गई थी।
सोशल मीडिया वाली क्लीपिंग में, दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में दी गई संख्याओं को बदल दिया गया था — ई-पेपर से ली गई मूल क्लिपिंग को फोटोशॉप में बदला गया और भाजपा समर्थकों ने सोशल मीडिया में प्रसारित कर दिया।
जैसा कि देखा जा सकता है, बाईं ओर की तस्वीर अखबार की असली क्लिपिंग है, जबकि दाईं ओर वाली फ़ोटोशॉप की गई है। संख्याओं को गलत तरीके से बदल दिया गया है। उदाहरण के लिए, 701 को 1701 में बदल दिया गया है, 4241 को बदलकर 241 कर दिया गया है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि दैनिक भास्कर ने अपने लेख में प्रस्तुत संख्याओं के स्रोत का उल्लेख नहीं किया है। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि ये संख्याएं भी गृह मंत्रालय या SATP की रिपोर्टों में उल्लिखित आंकड़ों के अनुरूप नहीं हैं।
निष्कर्ष : घाटी में आतंकवाद से निपटने का मोदी सरकार का बेहतर रिकॉर्ड दिखाने के लिए सोशल मीडिया में प्रसारित अखबार की क्लिपिंग को फोटोशॉप किया गया है।
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