2 फ़रवरी को आचार्य विक्रमादित्य नाम के यूज़र ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “किसी को अभी भी दिल्ली में किसानों का ही आंदोलन लगता है तो वीडियो देखें और आंखों पर से धोखे का चश्मा हटा ले.”

यूट्यूबर अंकुर आर्या ने 7 दिसम्बर 2020 को प्रो-खालिस्तान नारे लगाते हुए सिख समुदाय से जुड़े दिखते लोगों का एक वीडियो तंज़ कसते हुए ट्वीट किया. इस वीडियो को 11,000 से ज़्यादा लोगों ने देखा और आर्टिकल लिखे जाने तक 600 से ज़्यादा लोग शेयर कर चुके हैं. (आर्काइव लिंक)

कुछ और लोगों ने ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा किया. ऑल्ट न्यूज़ को इसके फ़ैक्ट-चेक के लिए व्हाट्सऐप नंबर (+917600011160) और ऑफ़िशियल एंड्रॉइड ऐप पर रिक्वेस्ट भी भेजी गयी.

2016 का वीडियो

वीडियो के कई फ़्रेम्स का अलग-अलग सर्च इंजन पर रिवर्स सर्च इमेज करने पर हमें 25 मई, 2016 का वीडियो मिला जिसे यूट्यूब अकाउंट खालसा गटका ग्रुप ने अपलोड किया था. ये वीडियो वायरल वीडियो से पूरी तरह मिलता है. इस वीडियो पर 1.7 करोड़ से ज़्यादा व्यूज़ हैं.

इसके टाइटल के मुताबिक, ये वीडियो अमृतसर के ब्यास से लाइव बनाया गया था. नीचे वायरल वीडियो और खालसा गटका ग्रुप के वीडियो फ़्रेम्स की तुलना की गयी है.

एक फ़ेसबुक यूज़र ने भी इस प्रदर्शन का एक अन्य वीडियो अपलोड किया था जिसमें दूसरा एंगल दिख रहा है.

 

ਬਿਆਸ ਹੈਡ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਦੇ ਬਾਹਰ ਭਾਰੀ ਇੱਕਠ ਖਾਲਿਸਤਾਨ ਜਿੰਦਾਬਾਦ ਦੇ ਲੱਗੇ ਨਾਆਰੇ

Posted by ਜਤਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਸੋਢੀ on Wednesday, May 25, 2016

हिंदुस्तान टाइम्स ने 25 मई, 2016 को रिपोर्ट किया था कि सिख चरमपंथियों ने ब्यास पुल पर शिव सेना और पंजाब सरकार के खिलाफ़ ‘अनख रैली’ निकाली थी. ये रैली पंजाब में अखिल भारतीय हिन्दू सुरक्षा समिति की ‘ललकार रैली’ के खिलाफ़ आयोजित किया गया था. हालांकि ललकार रैली रद्द कर दी गयी थी फिर भी लोगों की भीड़ ब्यास पुल पर जमा थी. इस प्रोटेस्ट का नेतृत्व करने वालों में शामिल ध्यान सिंह मांड ने कहा था, “ललकार रैली SAD-BJP सरकार और साम्प्रदायिकता भड़काने वालों की मिलीभगत मालूम हो रही थी. हम राज्य में किसी को भी अशांति नहीं पैदा करने देंगे.”

इस प्रदर्शन पर स्थानीय पंजाबी मीडिया ने भी रिपोर्ट किया था.

यानी, सिख समूह का पंजाब सरकार और शिवसेना के खिलाफ़ 4 साल पहले किये गये प्रदर्शन का वीडियो शेयर करते यूट्यूबर अंकुर आर्या ने इसे किसान आंदोलनों से जोड़ा.

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