सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर हो रहा है जिसमें गुस्साई भीड़ हेल्थ वर्कर्स का पीछा कर रही है. वीडियो में लोगों को पत्थर चलाते और गालियां बकते हुए देखा जा सकता है. इस वीडियो की पुष्टि के लिए ऑल्ट न्यूज़ को अपने ऑफ़िशियल एंड्रॉयड ऐप पर बहुत सारी रिक्वेस्ट्स मिली हैं. दावा किया जा रहा है कि ये घटना मध्य प्रदेश के इंदौर की है.

ट्विटर पर आज की ताज़ा खबर नाम के एक हैन्डल ने ये वीडियो शेयर किया है. आर्टिकल लिखे जाने तक इस वीडियो को 15 हज़ार बार देखा जा चुका है. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ की छानबीन में पता चला कि ये वीडियो इंदौर का ही है. ये घटना इंदौर के टाटपट्टी बाखल इलाक़े में घटी थी. 1 अप्रैल को वीडियो ट्वीट करते हुए समाचार एजेंसी ‘ANI’ ने लिखा था, “इंदौर में टाटपट्टी बाखल के रहने वालों ने, कोरोना वायरस के मद्देनज़र स्क्रीनिंग करने गए हेल्थ वर्कर्स पर पत्थरबाज़ी की.

रिपोर्ट्स के मुताबिक़, इंदौर पुलिस ने हेल्थ वर्कर्स का पीछा करने और उनपर पत्थर फेंकने के आरोप में सात लोगों को गिरफ़्तार किया है. हेल्थ वर्कर्स की टीम कोरोना वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने के लिए उस इलाक़े में पहुंची थी.

एक्रिडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट (ASHA या आशा) और ऑग्ज़िलरी नर्स मिडवाइफ (ANM या एएनएम) और डॉक्टर्स की 2 टीमें वहां पर पहुंची थीं. ये लोग उस इलाक़े में अपना काम कर रहे थे, तभी स्थानीय लोगों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. डॉक्टर्स के अनुसार, वो उस इलाक़े में पिछले 4 दिनों से एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की तलाश कर रहे थे.

‘द हिंदू’ से बात करते हुए, छत्रीपुरा पुलिस थाना के इंचार्ज, करणी सिंह सक्तावत, ने बताया कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 353, 336, 145 और 269 के तहत केस दर्ज़ किया गया है. डॉ. आनंद राय कोविड-19 कॉम्बैट टीम का हिस्सा हैं. उन्होंने मीडिया को बताया कि पिछले कई दिनों से एक अफ़वाह फैल रही थी. अफ़वाह ये कि अधिकारी इलाके में रहनेवालों को इकट्ठा करके बस में बिठाएंगे और सुई से वायरस उनके अंदर डाल देंगे. हालांकि, ये पूरे दावे के साथ नहीं कहा जा सकता कि इन अफ़वाहों की वजह से लोगों में पैनिक पैदा हुआ होगा. फ़िर भी, इस संभावना को ख़ारिज भी नहीं किया जा सकता है.

नोट : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 4,200 के पार जा पहुंची है. इसकी वजह से सरकार ने बुनियादी ज़रुरतों से जुड़ी चीज़ों को छोड़कर बाकी सभी चीज़ों पर पाबंदी लगा दी है. दुनिया भर में 12 लाख से ज़्यादा कन्फ़र्म केस सामने आये हैं और 68 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और इसी वजह से वो बिना जांच-पड़ताल किये किसी भी ख़बर पर विश्वास कर रहे हैं. लोग ग़लत जानकारियों का शिकार बन रहे हैं जो कि उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे कई वीडियो या तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो कि घरेलू नुस्खों और बेबुनियाद जानकारियों को बढ़ावा दे रही हैं. आपके इरादे ठीक हो सकते हैं लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में यूं ग़लत जानकारियां जानलेवा हो सकती हैं. हम पाठकों से ये अपील करते हैं कि वो बिना जांचे-परखे और वेरीफ़ाई किये किसी भी मेसेज पर विश्वास न करें और उन्हें किसी भी जगह फ़ॉरवर्ड भी न करें.

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About the Author

Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.