“70 साल के इतिहास में केवल 3 साल ऐसे हैं जब भारत ने वर्ल्ड बैंक से कर्ज नहीं लिया 2015, 2016, 2017 ये मोदी की विफलता है या सफलता। नमो नमः” ऐसा दावा ट्विटर पर @sagrika4india एकाउंट से 1 जून को पोस्ट किया गया। @sagrika4india को ट्विटर पर मोदी सरकार में रेलवे मंत्री पियूष गोयल के आधिकारिक अकाउंट से भी फॉलो किया जाता है। इस पोस्ट को 1300 लोगो ने लाइक किया है और 460 लोगो ने रिट्वीट भी किया है।
70 साल के इतिहास में केवल 3 साल ऐसे हैं जब भारत ने वर्ल्ड बैंक से कर्ज नहीं लिया
2015, 2016, 2017
ये मोदी की विफलता है या सफलता।
🙏 नमो नमः 🙏— Sagrika (@Sagrika4india) June 1, 2018
इसी पोस्ट को राजनीति नाम के फेसबुक पेज से भी 2 जून को शेयर किया गया है जिसे 12 हजार लोगों ने लाइक और 26 हज़ार से ज्यादा लोगो ने शेयर किया है।
ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल की सहायता से खोज किया और पाया कि यह पोस्ट सोशल मीडिया में प्रसारित हो रहा है, जिसे कई दक्षिणपंथी फेसबुक पेज और पर्सनल आईडी से व्यापक रूप से शेयर किया गया है। सुतींदर छाबरा नाम के एक व्यक्ति ने भी अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर #ModiFirSe हैशटैग के साथ इसे पोस्ट किया है। छाबरा के इस पोस्ट को 80,000 से अधिक लोगो ने शेयर किया है।
70 साल के इतिहास में केवल 3 साल ऐसे हैं, जब भारत ने
वर्ल्ड बैंक से कर्ज नही लिया
2015, 2016, 2017Posted by Sutinder Chhabra on Wednesday, 30 May 2018
एक और फेसबुक पेज – I Support Modi Ji and BJP ने भी इसी पोस्ट और हैशटैग के साथ शेयर किया है। इसे 4,500 लाइक और 3,300 शेयर मिले है। Zee News Fan Group नाम से जाने वाले एक फेसबुक पेज पर भी इस पोस्ट को 2,200 से ज्यादा बार शेयर किया है।
क्या यह दावा सही है?
ऑल्ट न्यूज ने विश्व बैंक डेटा के माध्यम से खोजा और 2015 और 2017 के बीच अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान द्वारा जिस-जिस परियोजनाओं में सहायता की गई उसका पता लगाया। हमने इसमें पाया की 50 मंजूर परियोजनाओं के लिए 96,560 मिलियन अमरीकी डॉलर के ऋण को समय-समय पर भारत के लिए अनुमोदित किया गया है।
उदाहरण के लिए, 23 जून, 2017 को, अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development – IBRD) ने 3,188 मिलियन यूएस डॉलर की कौशल विकास योजना – स्किल इंडिया मिशन के लिए 250 मिलियन अमरीकी डालर की हामी भरी। IBRD विश्व बैंक की विंग है जो मध्यम आय वाले विकासशील देशों को ऋण प्रदान करता है। स्किल इंडिया मिशन 6 साल की परियोजना है जो 31 मार्च, 2023 को समाप्त होगी और तभी भारत को विश्व बैंक का ऋण चुकाना होगा।
हाल के दिनों में विश्व बैंक द्वारा अनुमोदित सबसे बड़ा ऋण साल 2015 में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर स्वच्छ भारत के लिए अनुमोदित किया गया था। हालांकि, यह ऋण अभी तक जारी नहीं किया गया है क्योंकि भारत सर्वेक्षण परिणामों के लिए दी गयी समय सीमा से चूक गया है। लेकिन हमारा देश अभी भी ऋण के लिए 0.5% का “प्रतिबद्धता शुल्क” चुका रहा है जबकि ऋण का उपयोग अभी बाकि है। यह कुल 1.87 मिलियन अमेरिकी डॉलर या 12.75 करोड़ रुपये है।
भारत ने 2015 से 2017 तक विश्व बैंक निकायों IBRD and IDA (अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ) द्वारा कई ऋण लिए है
इस अवधि के दौरान वित्त पोषित अधिकांश परियोजनाएं अभी भी सक्रिय हैं।
2015-2018 के बीच, भारत सरकार ने 61 परियोजनाओं के लिए विश्व बैंक से 131,100 मिलियन अमरीकी डालर की वित्तीय प्रतिबद्धताओं को स्वीकार किया है। हालांकि, अभी 2018 में छह महीने शेष है, यह संख्या बढ़ने की संभावना है। (2015-18) के आंकड़ों की तुलना पिछले चार वर्षों (2011-14) से करने पर, हमें एक प्रकार की समानता मिली है – इस दौरान कुल 66 परियोजनाओं के लिए 132,520 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण प्रतिबद्ध था ।
2016 में विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है कि आजादी के बाद अन्य देशों की तुलना में भारत में सबसे ज्यादा ऋण लेनेवाले हैं। इनमें वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए ऋण शामिल हैं, विश्व बैंक के साथ भारतीय सरकार द्वारा हस्ताक्षरित नवीनतम समझौता प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत ग्रामीण सड़क परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर (3,371 करोड़ रुपये) ऋण है। बुनियादी ढांचे की जरूरतों को समझते हुए एक विकासशील देश के रूप में, भारत मुख्य रूप से परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करने वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं को वित्त पोषित करने के लिए विश्व बैंक पर निर्भर है। इस प्रकार यह कहना बिलकुल ठीक नहीं है कि भारत ने लगातार तीन वर्षों तक विश्व बैंक से कोई भी ऋण नहीं लिया है।
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