कोरोना महामारी के बीच देश में अनलॉक के दौर में दशहरा का त्योहार मनाया गया. देश के कई हिस्सों में दशहरा के दिन रावण दहन और रामलीला के कार्यक्रम भी आयोजित हुए. इस बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया जाने लगा कि पंजाब में रामलीला के दौरान हमला किया गया. तस्वीर में फ़र्श पर सामान बिखरा हुआ दिख रहा है. फ़ेसबुक ग्रुप हिन्दू एकता में राहुल केशरी नाम के एक यूज़र ने ये तस्वीर शेयर की है.
एक और फ़ेसबुक यूज़र ने ये तस्वीर इसी दावे के साथ पोस्ट की है. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)
शर्मनाक
बंगाल की तरह अब पंजाब में भी हिंदुओ की धार्मिक आस्थाओं पर होने लगे प्रहार…
रामलीला पर हमले करके सब कुछ तहस नहस किया गया ….
आखिर क्यों…?Posted by ब्राह्मण कन्या Sapna Sharma Vats on Friday, 23 October 2020
ट्विटर और फ़ेसबुक पर ये तस्वीर काफ़ी शेयर की गई है.
इंडिया पॉलिटिक्स नाम की एक वेबसाइट ने जुलाई, 2019 में ये तस्वीर शेयर करते हुए दिल्ली के लाल कुआं इलाके और मुज़फ़्फ़रनगर के मंदिरों में हमला होने की ख़बर पब्लिश की थी.
फ़ैक्ट-चेक
ये बात सही है कि पंजाब के कोठे मनवाल गांव में कुछ शरारती तत्वों ने रामलीला के दौरान मारपीट की थी. 23 अक्टूबर 2020 की जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक, “गांव कोठे मनवाल में शरारती तत्वों ने श्रीरामलीला मंचन में हुड़दंग मचाया. बुधवार रात को रामलीला मंचन में आ घुसे और कलाकारों के साथ दुर्व्यवहार करने के साथ ही मारपीट भी की. रामलीला की बिजली काटने के साथ पोस्टर व बैनर भी फाड़ दिए. इस वारदात को लेकर लोगों ने विरोध जताया और आस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की.” लेकिन सोशल मीडिया पर जो तस्वीर शेयर की जा रही है वो उस घटना की नहीं बल्कि किसी और घटना की है.
आसान सा रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ये तस्वीर ऑस्ट्रेलियन मैगज़ीन क्रायकी की वेबसाइट पर मिली. 30 अक्टूबर 2018 को पब्लिश हुए इस आर्टिकल में बताया गया है कि कुछ अराजक तत्वों ने साउथ-वेस्ट सिडनी के रीजेन्ट्स पार्क के एक हिन्दू मंदिर पर हमला किया था. हमले में मंदिर की मूर्तियां और बाकी सामान तोड़ दिए गए थे. इसके बाद, दीवार पर ‘जीसस’ लिखा गया था. आर्टिकल में मंदिर के कुछ हिस्सों में आग लगा देने की बात भी बताई है.
19 अक्टूबर 2018 की डेली मेल की रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हिन्दू मंदिर पर हुए हमले की ख़बर दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक़, इस हमले में तकरीबन 30 देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ी गई थीं. इसके अलावा, मंदिर का फ़र्नीचर भी तोड़ दिया गया और वहां पर आग लगा दी गई. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित पारा महाराज की ‘SBS’ से हुई बातचीत का हवाला देते हुए इस आर्टिकल में बताया गया है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में इस तरह की घटना घटने की कोई उम्मीद नहीं की थी. और वो सब इस हमले के कारण काफ़ी सदमे में थे. आर्टिकल के मुताबिक, आग के कारण मंदिर की काफ़ी चीज़ें बर्बाद हुई थीं. मंदिर के मुख्य पुजारी के हवाले से बताया गया है कि मंदिर पर हुआ हमला नफ़रत से प्रेरित था क्योंकि मंदिर में से कोई भी चीज़ चोरी नहीं हुई थी. इस आर्टिकल में मंदिर में हुई तोड़-फोड़ की कुछ और तस्वीरें भी शेयर की गई है. ‘भारतीय मंदिर सिडनी’ ने 18 अक्टूबर 2018 को फ़ेसबुक पर मंदिर में हुए हमले की कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं.
Dear all, as you may know, Bhartiye Mandir was brutally vandalised on Sunday evening. All the statues and pictures…
Posted by Bhartiye Mandir Sydney on Wednesday, 17 October 2018
‘SBS’ के आर्टिकल के मुताबिक, इस हमले की ऑस्ट्रेलिया के हिन्दू समुदाय ने कड़ी निंदा की थी. ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन इमिग्रेशन मिनिस्टर डेविड कॉलेमेन के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि वो सिडनी के हिन्दू मंदिर में हुए हमले के बारे में जानकर काफ़ी चिंतित हुए थे और उन्होंने इस हमले में प्रभावित हुए लोगों से सहानुभूति भी जताई थी. जनवरी 2019 में ये मंदिर फिर से खोलने की खबर आई थी. इंडियन लिंक के एक आर्टिकल में मंदिर के पुजारी के हवाले से बताया है कि ये मंदिर आम लोगों के लिए 2 फ़रवरी से खोल दिया गया था.
इस तरह, 2 साल पहले ऑस्ट्रेलिया के हिन्दू मंदिर में हुए हमले की तस्वीर हाल में पंजाब में रामलीला कार्यक्रम के दौरान हमला होने के झूठे दावे से शेयर की गई.
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