सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति के भाषण देने का वीडियो काफी शेयर किया जा रहा है. दरअसल वीडियो में ये शख्स कहते हैं कि ऐसे कुछ जजों की संख्या तेज़ी से बढ़ी हैं जो परंपरावादी और धार्मिक हैं और जो धर्म को कानून का स्त्रोत मानते हैं. और ये 2047 तक “हिंदू राष्ट्र” की स्थापना का लक्ष्य हासिल करने के लिए 2 पार्ट की प्रयास रणनीति का पहला चरण है. उन्होंने आगे कहा कि इसका लक्ष्य संविधान को हटाने के बजाय इसे एक हिन्दू डॉक्युमेंट के रूप में पेश करने का है. इसके लिए पहला कदम ऐसे जजों को अपॉइन्ट करना है जो संविधान की बजाय धार्मिक स्त्रोतों को कानून के स्त्रोत के रूप में देखें. और दूसरा चरण जो अब शुरू होगा, वो है स्त्रोतों की पहचान करना. एक बार आनेवाले 24 सालों में ये स्टेप पूरा होने के बाद हम सुरक्षित रूप से ये कह सकते हैं कि भारत, उसी संविधान के तहत एक हिंदू धर्मतंत्र है जिसकी सर्वोच्च न्यायालय ने पुनर्व्याख्या की है. तो इसके पीछे न्यायपालिका को हाईजैक करने और हिन्दू धर्मतंत्र की स्थापना करने का विचार है…”. वीडियो में आगे ये व्यक्ति कॉलेजियम प्रणाली की रक्षा करने की बात कहते हैं.

ये वीडियो शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि ये शख्स और कोई नहीं बल्कि सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस सुंदरेश मेनन हैं. भारत राष्ट्र समिति पार्टी के सदस्य फैसल खान ने ये वीडियो इसी दावे के साथ ट्वीट किया. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

वेस्ट दिल्ली कांग्रेस सेवादल ने ये वीडियो ऐसे ही दावे के साथ ट्वीट किया है. (ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न)

और भी कई यूज़र्स ने ये वीडियो सुंदरेश मेनन का बताते हुए ट्विटर और फ़ेसबुक पर पोस्ट किया है.

फ़ैक्ट-चेक

वायरल ट्वीट्स पर रिप्लाइ करते हुए कुछ यूज़र्स बता रहे हैं कि वीडियो में दिख रहे व्यक्ति सिंगापुर के चीफ़ जस्टिस सुंदरेश मेनन नहीं बल्कि प्रसिद्ध कानूनी शिक्षाविद डॉक्टर मोहन गोपाल है. बता दें कि डॉ. मोहन गोपाल नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया, बेंगलुरु के पूर्व निदेशक भी थे. इसके अलावा सोशल मीडिया पर शेयर किये गए वीडियो में ‘लाइव लॉ’ का लोगो दिख रहा है.

इस आधार पर ऑल्ट न्यूज़ ने लाइव लॉ का ट्विटर अकाउंट चेक किया. 18 फ़रवरी 2023 को लाइव लॉ ने अपने एक आर्टिकल का लिंक ट्वीट करते हुए डॉ. मोहन गोपाल के हवाले से बताया कि “संविधान की तुलना में धर्म में कानून का स्रोत खोजने वाले धार्मिक न्यायाधीशों में तेजी से वृद्धि हुई है”. इस आर्टिकल में बताया गया है कि जानेमाने कानूनी शिक्षाविद डॉ. मोहन गोपाल ने कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) द्वारा “न्यायिक नियुक्तियों में कार्यकारी हस्तक्षेप” विषय पर भाषण देते हुए ये बाते कही थीं. इस रिपोर्ट में लिखा है, “डॉ. गोपाल ने अपने भाषण में राजनीतिक पक्षपात वाले जजों की नियुक्ति पर चिंता जताई. उन्होंने कॉलेजियम से केवल संविधान के प्रति प्रतिबद्ध न्यायाधीशों को जानबूझकर नियुक्त करके संस्था की रक्षा करने का आग्रह किया.”

डॉ. मोहन गोपाल का पूरा भाषण आप लाइव लॉ के 21 फ़रवरी 2023 के वीडियो में देख सकते हैं. इस वीडियो में वायरल वीडियो का हिस्सा 11 मिनट 33 सेकंड के बाद शुरू होता है.

आगे, ऑल्ट न्यूज़ ने सिंगापुर के चीफ़ जस्टिस सुंदरेश मेनन के बारे में गूगल पर सर्च किया. हमें 4 फ़रवरी 2023 की आज तक की रिपोर्ट मिली जिसमें बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 73 साल के बाद अपना स्थापना दिवस मनाया. और इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में सिगपुर के चीफ़ जस्टिस सुंदरेश मेनन शामिल हुए थे. लाइव लॉ की रिपोर्ट बताया गया है कि सुंदरेश मेनन ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट के न्यायालय की कारवाई देखी जिसका नेतृत्व चीफ़ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ कर रहे थे. हालांकि उनके द्वारा न्यायपालिका के हाईजैक होने या हिन्दू राष्ट्र के निर्माण के लिए 2 पार्ट की रणनीति के बारे में भाषण देने की कोई बात रिपोर्ट में नहीं बताई गई है.

कुल मिलाकर, हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के हाईजैक होने की संभावना की बात असल में डॉ. मोहन गोपाल ने कही थी न कि सिंगापुर के चीफ़ जस्टिस सुंदरेश मेनन ने. इसके अलावा गौर करें कि ट्विटर हैन्डल ‘@miss_roh08’ और ‘@Gasi_Nat’ ने बाद में अपने ट्वीट्स पर रिप्लाइ करते हुए इस बात की पुष्टि की थी कि वायरल वीडियो में दिखने वाले व्यक्ति डॉ. मोहन गोपाल हैं.

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About the Author

Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.