पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में आनंदबाज़ार पत्रिका (ABP) के जाने-माने रिपोर्टर देबमाल्या बागची की गिरफ़्तारी के कुछ दिनों बाद से पत्रकार के खिलाफ़ शिकायत और पुलिस कार्रवाई की प्रकृति और विश्वसनीयता पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं.

दिलचस्प बात ये है कि शिकायत करने वाली महिला और एक पत्रकार के बीच कथित तौर पर फ़ोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग सामने आई है जिसमें उस महिला ने ये स्वीकार किया कि ABP रिपोर्टर के खिलाफ़ लगाए गए आरोप काल्पनिक हैं और उसने ‘गुस्से में आकर’ ऐसा किया है.

एक महिला द्वारा 28 अगस्त को दर्ज की गई शिकायत के आधार पर खड़गपुर टाउन पुलिस स्टेशन में देबमाल्या बागची और बसंती दास के खिलाफ़ FIR दर्ज होने के बाद देबमाल्या बागची को 6 सितंबर, 2023 को गिरफ़्तार किया गया था. उन पर धारा 341 (ग़लत तरीके से रोकना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचना), 354B (नग्न करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल), 509, (किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से कोई शब्द बोलना या कोई इशारा करना) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के गैर-जमानती प्रावधानों के तहत (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था.

क्रोनोलॉजी

देबमाल्या बागची 12 सालों से ABP रिपोर्टर हैं और फ़िलहाल अखबार के खड़गपुर संवाददाता हैं. उन्होंने हाल ही में खड़गपुर के वार्ड नंबर 24 में संजोआल के पटनापारा इलाके में अवैध शराब व्यापार के बारे दो रिपोर्ट्स लिखीं. इनमें से पहली 26 अगस्त को और दूसरी 29 अगस्त को प्रकाशित हुईं. किसी भी रिपोर्ट में उनकी बायलाइन नहीं थी.

26 अगस्त की रिपोर्ट (हेडलाइन – ‘রমরমিয়ে চোলাই ব্যবসা, নির্বিকার প্রশাসন’/ Hooch trade flourishes, no action from administration) में बताया गया कि कुछ महिलाओं ने खड़गपुर टाउन पुलिस में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी कि रेजिडेंशियल इलाकों में अवैध शराब के धंधे फल-फूल रहे हैं. उन महिलाओं में बसंती दास भी थीं. इस रिपोर्ट में उनकी मांगों और स्थानीय पार्षद और नगर पालिका अध्यक्ष की प्रतिक्रियाओं के बारे में बताया गया था. इसमें ये भी विस्तार से बताया गया है कि कैसे झुग्गियों से अवैध शराब का कारोबार चल रहा था और यहां तक ​​कि 12 या 13 साल की उम्र के लड़के और लड़कियां भी इसमें शामिल थे. महिलाओं ने संवाददाता को बताया कि इलाके में चौबीसों घंटे शराबियों का जमावड़ा लगा रहता है और इससे इलाके का माहौल खराब हो गया है. उन्होंने ये भी कहा कि ज़हरीली शराब बेचने वाले ढोंस जमाते हैं कि वो 30 साल से इस कारोबार में हैं और उन्हें रोकने के लिए कोई कुछ नहीं कर सका. स्थानीय पार्षद ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने बार-बार पुलिस को इस खतरे के बारे में बताया था.

29 अगस्त को ABP में एक फ़ॉलो-अप स्टोरी पब्लिश हुई. (हेडलाइन – অভিযোগকারীদের বাড়ি ঘেরাও চোলাই কারবারিদের, হুমকিও/ Hooch traders gherao and threaten complainants). इस रिपोर्ट में कहा गया कि रविवार 27 अगस्त की रात पुलिस ने इस इलाके में छापेमारी की और कुछ शराबियों को हिरासत में लिया. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने कहा कि ज़हरीली शराब बेचने वाले ‘अलर्ट’ थे और इसलिए रविवार को छापेमारी के दौरान उनमें से किसी को भी गिरफ़्तार नहीं किया जा सका. इसके बाद, अवैध रूप से शराब बेचने वालों ने शाम को शिकायतकर्ता बसंती दास और बंदना पात्रा के घरों पर हमला किया. उनके घर के दरवाजे तोड़ दिए और शिकायत वापस नहीं लेने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी. महिलाओं ने आरोप लगाया कि घटना के दौरान उन्होंने पुलिस को बार-बार फोन किया. लेकिन पुलिस करीब एक घंटे बाद पहुंची.

ऑल्ट न्यूज़ को इलाके में ऐसी ही एक नकली शराब की दुकान का वीडियो मिला जिसमें एक महिला झोपड़ी के अंदर से बिना रंग वाले लिक्विड से भरी एक प्लास्टिक की बोतल लाकर एक आदमी को सर्व करती है और वो आदमी उसे ग्लास में पीता है. जाहिर तौर पर एक प्लास्टिक शीट इस तरह से रखी गई है कि ये लोगों की नज़रों से बचा रहे. एक और व्यक्ति भी खड़े होकर ये लिक्विड पीता है. और एक व्यक्ति वहां से उठकर चला जाता है.

इस मामले में अचानक एक ऐसा मोड़ आया जब 28 अगस्त को किसी सरस्वती सिंह की एक लिखित शिकायत सामने आई जिसमें उन्होंने एबीपी रिपोर्टर देबमाल्या बागची और शराब विरोधी कार्यकर्ता बसंती दास पर जातिवादी अपशब्दों कहकर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया. उन्होंने देबमाल्या बागची पर उनके कपड़े खींचने, फाड़ने और शारीरिक हमला करने का भी आरोप लगाया. उनके मुताबिक, घटना 27 अगस्त को शाम 7 बजकर 30 मिनट पर हुई, लगभग उसी वक्त जब ज़हरीली शराब बेचने वालों ने बसंती दास और बंदना पात्रा के घरों पर हमला किया था. शिकायत की शुरुआत में उन्होंने खुद को अनुसूचित जनजाति का बताया. शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की गई.

गिरफ़्तारी

6 सितंबर को सुबह 4 बजे से पहले, खड़गपुर टाउन PS की पुलिस सब-इंस्पेक्टर पुरूषोत्तम पांडे के नेतृत्व में एबीपी पत्रकार देबमाल्या बागची के घर पहुंची जहां वो अपनी पत्नी, एक साल की बेटी और बूढ़े माता-पिता के साथ रहते थे. पुलिस वहां जाकर चिल्लाई बाहर आओ. लगभग 5 बजे, उन्होंने फ़ेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने इस घटनाक्रम पर अपनी निराशा जाहिर की.

রাত দুপুরে পুলিশের নাম নিয়ে বাড়িতে ডাকাডাকি। ব্যপার কী! ভিডিয়ো করতেই মারছে টর্চের আলো। এরা কারা? বলছে খড়্গপুর টাউন…

Posted by Debmalya Bagchi on Tuesday, 5 September 2023

रिडर्स ध्यान दें कि एक पत्रकार होने के नाते देबमाल्या बागची स्थानीय और ज़िला स्तर के पुलिस अधिकारियों के लगातार संपर्क में थे. रात के अंधेरे में छापे मारना कई लोगों के मन में शक पैदा किया. देबमाल्या बागची के परिवार के सदस्य जो अभी भी सदमे में है उनमें से एक ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “पुलिस उन्हें फ़ोन कर सकती थी और उसे स्टेशन पर मिलने के लिए कह सकती थी. आधी रात को ऐसी छापेमारी हिस्ट्रीशीटरों या वांटेड अपराधियों के ठिकानों पर की जाती है. हम अभी तक ये नहीं समझ पाए हैं कि एक ईमानदार, नेक इरादे वाले पत्रकार के खिलाफ ऐसी कार्रवाई क्यों ज़रूरी हो गई थी.”

देबमाल्या बागची के परिवार के सदस्यों ने कहा कि इसके बाद उन्होंने ABP में और खड़गपुर और मिदनापुर शहर के वरिष्ठ पत्रकार और सहकर्मियों को फ़ोन किया. उनमें से ज़्यादातर ने उन्हें वहीं रहने का सुझाव दिया. उन्होंने खड़गपुर टाउन IC और पश्चिम मिदनापुर के SP को भी बार-बार फ़ोन किया. लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया. पुलिसकर्मी सुबह 8 बजे तक उनके घर के सामने इंतज़ार करते रहे. कोलकाता के ABP कार्यालय ने देबमाल्या बागची को सुबह PS जाकर IC से मिलने की सलाह दी. कोलकाता स्थित एक वरिष्ठ ABP पत्रकार ने ऑल्ट न्यूज़ से इस बात की पुष्टि की.

सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर देबमाल्या बागची अपने घर से दूसरे रिपोर्टर की बाइक पर पुलिस स्टेशन के लिए निकले. उन्हें सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर गिरफ़्तार किया गया. बसंती दास को भी उसी दिन उसके घर से गिरफ़्तार किया गया था. दोनों को पश्चिमी मिदनापुर ज़िला अदालत में पेश किया गया और 15 सितंबर तक उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

रिडर्स ध्यान दें कि एक पत्रकार को आधी रात को उसके घर से गिरफ़्तार करने के लिए अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की आलोचना थी. पत्रकार अरूप चटर्जी को अंतरिम जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति DY चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने आचार संहिता की अनदेखी पर ध्यान दिया. उन्होंने कहा, “देखिए, झारखंड राज्य में एक पत्रकार को कैसे परेशान किया जा रहा है. ये राज्य की शक्ति का उल्लंघन है.” चंद्रचूड़ ने कहा, “आप रात को 12 बजे उनके घर जाएं, उन्हें उनके बेडरूम से बाहर निकालें… ये एक पत्रकार के साथ व्यवहार करने का कोई तरीका नहीं है. ये पूरी तरह अराजकता है.”

पश्चिम मिदनापुर के SP धृतिमान सरकार ने ऑल्ट न्यूज़ के बार-बार कॉल और टेक्स्ट मेसेज का कोई जवाब नहीं दिया. टाउन IC राजीब पाल ने कहा कि वो छुट्टी पर हैं. जांच अधिकारी और डिप्टी SP श्यामल मंडल का फ़ोन बंद मिला. उनकी ओर से जवाब मिलने पर ये स्टोरी अपडेट की जाएगी.

असमानताएं

संबद टिटुमीर नामक एक न्यूज़ पोर्टल ने 8 सितंबर को अपने यूट्यूब चैनल पर एक बुलेटिन अपलोड किया जिसकी हेडलाइन थी, ‘সাজানোসাজানো কেস দিয়ে পুলিশ জেলে নিল আনন্দবাজার পত্রিকার সাংবাদিককে,ব্লু-প্রিন্ট ফাঁস হল অন্তর্তদন্তে’ (पुलिस ने ABP पत्रकार को फ़र्ज़ी मामले में जेल भेजा. ब्लू- प्रिंट जांच में खुलासा).

इस बुलेटिन में एक व्यक्ति की आवाज़ और एक महिला की आवाज़ के बीच फ़ोन पर बातचीत होती है. प्रेजेंटर ने उनकी पहचान ब्रिति सुंदर रॉय नामक आउटलेट के संवाददाता और शिकायतकर्ता, सरस्वती सिंह के रूप में की है. बातचीत में महिला ने स्वीकार किया कि वो देबमाल्या बागची को नहीं जानती. वो कहती है कि उसने उनके खिलाफ शिकायत इसलिए दर्ज़ की, क्योंकि उसे पता चला कि उनकी रिपोर्ट की वजह से सारी पुलिस कार्रवाई हुई है. वो ये भी स्वीकार करती है कि ‘मारपीट’ या ‘उसे चोट पहुंचाने’ जैसी कोई घटना नहीं हुई थी और उसने शिकायत में देबमाल्या बागची का नाम इसलिए लिया था क्योंकि वो ‘उनसे नाराज़ थी.

उसका ये भी कहना है कि वो एक अनपढ़ महिला है और शिकायत उसके एक रिश्तेदार ने लिखाई है. बातचीत के दौरान उसने इस बात पर भी जोर दिया कि ज़हरीली शराब के व्यापार में उसकी कोई भागीदारी नहीं है.

हमें ये रिकॉर्ड की गई बातचीत पत्रकार ब्रिति सुंदर रॉय से मिली जिन्होंने उस महिला से बात की थी.

सुंदर रॉय ने हमें बताया कि असल में वो ही सरस्वती सिंह से बात कर रहे थे जिसमें उसने स्वीकार किया कि कथित तौर पर ऐसी कोई घटना नहीं हुई थी, जैसा शिकायत में बताया गया है. सुंदर रॉय ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “ऑडियो क्लिप पूरी तरह से असली है. मैंने उससे बात की. जैसा कि आप सुन सकते हैं, उसने मेरे बिना किसी दबाव के स्वीकार कर लिया कि सारे आरोप मनगढ़ंत थे.”

हमने सुंदर रॉय से उनके कॉल लॉग का स्क्रीनशॉट भेजने के लिए भी कहा. हमने वेरिफ़ाई किया कि उन्होंने शिकायतकर्ता को फ़ोन किया था और 18 मिनट 36 सेकंड तक बातचीत की थी, और वही बातचीत यूट्यूब बुलेटिन में दिखाई गई थी.

जब ऑल्ट न्यूज़ ने सरस्वती सिंह को फ़ोन किया, तो उन्होंने हमें बताया कि वो सिर्फ अदालत में ही बोलेंगी. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने किसी पत्रकार को फ़ोन पर बताया था कि उन्होंने ग़लत आरोप लगाए हैं, तो उन्होंने फ़ोन काट दिया.

इसके अलावा, जिस शिकायत के आधार पर देबमाल्या बागची और दास को गिरफ्तार किया गया, उसके मुताबिक रविवार, 27 अगस्त की रात 7.30 बजे सरस्वती सिंह पर हमला हुआ था. देबमाल्या बागची की दूसरी रिपोर्ट के मुताबिक, ठीक इसी वक्त शराब के नशे में धुत लोग अवैध शराब के कारोबारियों ने बसंती दास और उन लोगों के घरों पर हमला किया था जिन्होंने ज़हरीली शराब के व्यापार का विरोध किया था. एक स्थानीय पत्रकार ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “सरस्वती सिंह शराब बेचने का काम करती है. बसंती दास ने हमें बताया कि सरस्वती सिंह उन महिलाओं में शामिल थीं जिन्होंने उनके घरों पर हमला किया था. देबमाल्या बागची के खिलाफ शिकायतें सरस्वती सिंह ने की हैं. हम ये नहीं जानते कि क्या वो किसी के इशारे पर काम कर रही थी. लेकिन ये मामला पूरी तरह से झूठ है. देबमाल्या बागची की रिपोर्ट से उसके कारोबार को हुए नुकसान से वो परेशान थी. इसलिए उसने बदले की भावना से ऐसा किया.”

पत्रकारों ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की

देबमाल्या बागची के वकील सौरव घोष ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया, “देबमाल्या बागची के खिलाफ़ पूरा आरोप ग़लत है. पुलिस ने हिरासत की मांग नहीं की. क्योंकि वो जानते थे कि शिकायत में कोई दम नहीं है. किसी भी अवैधता को सामने लाना एक पत्रकार का कर्तव्य है. देबमाल्या ने अपना काम किया. ज़हरीली शराब के कारोबार से पूरे मोहल्ले का माहौल खराब हो रहा था. ये असामाजिक लोगों का अड्डा बन गया था. अवैध शराब का कारोबार एक सामाजिक बुराई है. इसलिए, देबमाल्या ने इस पर लिखा.”

अपने मुवक्किल के खिलाफ़ पुलिस कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर सौरव घोष ने कहा, “व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि देबमाल्या बागची जैसे पत्रकार के साथ बेहतर व्यवहार किया जा सकता था. वो उन्हें FIR के बारे में सूचित कर सकते थे और PS को रिपोर्ट करने के लिए कह सकते थे. इसके बजाय, उन्होंने आधी रात को उनके घर पर छापा मारा.”

न्यूज़18 के वरिष्ठ संपादक ध्रुबोज्योति प्रमाणिक ने फ़ेसबुक पर देबमाल्या बागची के खिलाफ़ पुलिस कार्रवाई की निंदा की. उन्होंने लिखा, “…देबमाल्या ने पश्चिम मिदनापुर ज़िले में रेत माफिया, ज़हरीली शराब, खड़गपुर रेलवे माफिया सहित जनहित के कई मुद्दों पर निडर होकर बार-बार लिखा है. मेरा मानना ​​है कि अदालत इस बात पर गौर करेगी कि क्या इन मुद्दों पर उसकी रिपोर्टिंग का उनकी गिरफ़्तारी से कोई लेना-देना है.”

कोलकाता प्रेस क्लब के अध्यक्ष ने 7 सितंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से उनके विधानसभा कार्यालय में मुलाकात की और उन्हें इस मामले से अवगत कराया. प्रेस क्लब की ओर से जारी बयान के मुताबिक, उन्होंने स्थानीय पुलिस प्रशासन से बात की और ज़रूरी निर्देश दिये. उन्होंने ये भी वादा किया कि मामले को संवेदनशीलता के साथ संभाला जाएगा.

ABP के शीर्ष अधिकारी (मुख्य संपादक और प्रकाशक अतिदेब सरकार, संपादक इशानी दत्ता रे और वरिष्ठ संपादक देबांजना भट्टाचार्य और देबाशीष चौधरी) ने 11 सितंबर को मिदनापुर केंद्रीय जेल में देबमाल्या बागची से मुलाकात की. उनकी गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए 13 सितंबर को राज्य भर में कई रैलियां और विरोध मार्च निकाले गए.

दिसंबर 2011 में बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले में ज़हरीली शराब पीने से 172 लोगों की जान चली गई थी. 2018 में मुख्य आरोपी नूर अहमद फ़कीर को प्राकृतिक मौत तक कारावास की सजा सुनाई गई थी.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged:
About the Author

Indradeep, a journalist with over 10 years' experience in print and digital media, is a Senior Editor at Alt News. Earlier, he has worked with The Times of India and The Wire. Politics and literature are among his areas of interest.