ऐक्टिविस्ट साकेत गोखले ने 23 जुलाई को एक ट्वीट थ्रेड पोस्ट करते हुए ये आरोप लगाया कि 2019 के आम चुनावों से ठीक पहले भारत निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र में अपने सोशल मीडिया को मैनेज करने के लिए भाजपा के आईटी सेल की सेवाएं ली थीं.
Shocking details:
Election Commission of India literally hired the BJP IT Cell for handling their social media in Maharashtra in the run-up to the 2019 State Assembly Elections.
Thread 👇
— Saket Gokhale (@SaketGokhale) July 23, 2020
साकेत गोखले ने ध्यान दिलाया कि महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के फ़ेसबुक पेज पर विज्ञापन देने वाले के डीटेल में जो पता लिखा है वो है – 202 प्रेसमैन हाउस, विले पार्ले, मुंबई.
भाजपा के पक्ष में चल रहे फ़ेसबुक पेज ‘द फ़ियरलेस इंडियन‘ के एड्रेस में भी यही पता मिलता है.
मुंबई स्थित ऐड कम्पनी साइनपोस्ट इंडिया और सोशल सेन्ट्रल भी यही पता इस्तेमाल करती हैं.
लेकिन साइनपोस्ट इंडिया, सोशल सेन्ट्रल और द फ़ियरलेस इंडियन को आपस में जोड़ने की एकमात्र कड़ी सिर्फ़ ये पता नहीं है. इस रिपोर्ट में हम भाजपा के हैंडल्स से जुड़ी ऐड एजेंसीज़ की बात करेंगे जो कि महाराष्ट्र इलेक्शन कमीशन का सोशल मीडिया हैंडल करती हैं और भाजपा की काफ़ी करीबी हैं. इस पूरी गुत्थी की शुरुआत होती है एक शख्स से जिसका नाम है देवांग दवे.
भाजपा के आईटी सेल से देवांग दवे का लिंक
देवांग दवे सोशल सेन्ट्रल के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और साथ ही ‘द फ़ियरलेस इंडियन’ और ‘आय सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ नाम के फ़ेसबुक पेज के फ़ाउंडर हैं. देवांग इस सब के साथ-साथ भारतीय जनता युवा मोर्चा के सोशल मीडिया हेड भी हैं. भारतीय जनता युवा मोर्चा या BJYM, भाजपा का यूथ विंग है. ट्विटर पर देवांग ने पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अपनी तस्वीर को प्रोफ़ाइल पिक्चर बनाया हुआ है.
महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के फ़ेसबुक पेज पर ऐड देने वाले ने जो पता लिखा है, वही देवांग दवे की वेबसाइट पर भी मिलता है. ये ध्यान देने लायक है कि देवांग दवे ने साकेत गोखले के ट्वीट्स के बाद अपनी वेबसाइट पर दिए गए पते को बदल दिया है.
महाराष्ट्र का निर्वाचन आयोग, महाराष्ट्र भाजपा और मिनिस्ट्री ऑफ़ स्टील, ये सभी सोशल सेन्ट्रल के ही क्लायंट है.
सिर्फ़ सोशल सेन्ट्रल ही नहीं, महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग और मिनिस्ट्री ऑफ़ स्टील का सोशल मीडिया साइनपोस्ट इंडिया भी हैंडल करती है. साइनपोस्ट इंडिया में पहले काम करने वाली एक इनटर्न की लिंक्ड-इन प्रोफ़ाइल देखने से ये बात साफ़ हो जाती है.
साइनपोस्ट इंडिया के साथ देवांग दवे का कनेक्शन
BJYM के आईटी सेल के मुखिया देवांग दवे की कई ऐसी तस्वीरें हैं जिसमें उन्हें साइनपोस्ट इंडिया के दफ़्तर के अंदर देखा जा सकता है.
जब ये बात सभी के सामने आई कि जो कंपनी भाजपा के सोशल मीडिया को हैंडल करती है, वही महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग के सोशल मीडिया को भी हैंडल कर रही है, तब देवांग दवे ने ट्विटर पर कहा, “निर्वाचन आयोग का जो काम साइनपोस्ट को मिला था, वो सब कुछ नियमों में रहकर ही किया गया है. इसमें कहीं भी कानून की कोई अनदेखी नहीं हुई है.”
We do not earn our bread and butter by doing any kind of “Dalali” but by Hardwork
The work assigned by Election Commission to Signpost was after following due process.There is no illegality whatsoever.
Is it also forbidden for political activists to make an honest living? (1/4)
— Devang Dave (@DevangVDave) July 24, 2020
दवे जिस वक़्त किसी भी तरह के हितों के टकराव (Conflict of interest) के दावों को नकार रहे हैं, ‘isupportnamo.org‘ यूआरएल हमें साइनपोस्ट इंडिया पर ले जा रहा है.
isupportnamo.org नाम का डोमेन असल में एक वक़्त पर फ़ेसबुक पेज ‘आय सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ (facebook.com/isupportnamo) की वेबसाइट थी. इस पेज के 1 करोड़ 6 लाख फ़ॉलोवर हैं . इसे देवांग दवे ने ही शुरू किया था और जैसा कि नाम से मालूम चलता है, ये पेज लगातार नरेंद्र मोदी और भाजपा के पक्ष में कॉन्टेंट पोस्ट करता रहता है.
isupportnamo.org के 2018 के आर्काइव लिंक पर देखने को मिला कि देवांग दवे की पर्सनल वेबसाइट उसी सर्वर पर होस्ट की जा रही थी जिसपर isupportnamo.org, सोशल सेन्ट्रल, फ़ियरलेस इंडियन और निर्मला सीतारमण, पूनम महाजन समेत कई भाजपा नेताओं की वेबसाइट होस्ट की हुई हैं.
साइनपोस्ट इंडिया के क्लायंट कौन-कौन हैं?
साइनपोस्ट के पुराने प्रोजेक्ट्स पर एक नज़र डालने पर मालूम पड़ता है कि इस कंपनी की भाजपा से काफ़ी नज़दीकी है. केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह को 2018 में साइनपोस्ट इंडिया के एक डिजिटल इंडिया प्रोजेक्ट के लांच के मौके पर मौजूद पाया गया. इस कम्पनी ने असम से आने वाले भाजपा के विधायक हेमंत बिसवा को 2018 में एक प्रोजेक्ट का उद्घाटन करते हुए तस्वीरें पोस्ट की हैं.
दिसंबर 2019 में मिनिस्ट्री ऑफ़ स्टील ने साइनपोस्ट इंडिया के साथ मिनिस्ट्री और अपने नेताओं का सोशल मीडिया मैनेज करने का कॉन्ट्रैक्ट बढ़ा दिया था.
यानी कुल मिला के, एक ऐड एजेंसी जिसकी जड़ें भाजपा के आईटी सेल में फैली हुई हैं, महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग को अपनी सेवाएं दे रही है. निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है. देवांग दवे ने ये दावा किया है कि साइनपोस्ट इंडिया से महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग का जुड़ना और उनका भाजपा से जुड़े होना इन दोनों बातों का कोई कनेक्शन नहीं है. लेकिन isupportnamo.org का साइनपोस्ट की वेबसाइट पर ले जाना और साइन पोस्ट के क्लायंट्स की लिस्ट हितों के टकराव की पूरी कहानी बयान करती है.
इस पूरे मामले पर भारत निर्वाचन आयोग की प्रवक्ता ने कहा कि आयोग ने महाराष्ट्र निर्वाचन आयोग से डीटेल में रिपोर्ट मांगी है. पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि इस मामले पर वो 24 जुलाई को एक प्रेस कांफ्रेंस रखेंगे.
Regarding tweet of Mr Gokhale @SaketGokhale, Commission has sought detailed factual report in this matter from CEO Maharashtra with respect to alleged locale of the incidence immediately.
— Sheyphali Sharan (@SpokespersonECI) July 23, 2020
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.