वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने पिछले साल प्रेस क्लब, दिल्ली में अनुभवी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को लेकर भाषण दिया था। उसके तुरंत बाद उनके 10 मिनट के भाषण को 11 सेकेंड का बनाकर फैलाया गया और भाषण को इस प्रकार पेश किया गया जैसे रवीश कुमार किसी राजनीतिक दल की ओर से बोल रहे हों। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने शरारतपूर्ण तरीके से क्लिप किए गए इस वीडियो को प्रसारित किया। ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं थे। ‘द इंडिया आई’ नामक फेसबुक पेज और इसका ट्विटर हैंडल ने उस वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया था- “रवीश कुमार किस पार्टी की बात कर रहे हैं? फ्रायडियन स्लिप?”

मूल वीडियो में, कुमार प्रधानमंत्री मोदी से अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से बात करने और उनसे कहने का आग्रह कर रहे हैं कि दधीचि जैसे लोग सच्चे राष्ट्रवादी नहीं हैं। इस क्लिप को यहां देखा जा सकता है।

द इंडिया आई के विभिन्न पोस्ट पर एक नज़र डालने से कई ऐसे भ्रामक दावे सामने आ जाते हैं। इस पेज के 17 लाख से अधिक फ़ॉलोअर्स हैं और प्रतिदिन इसके पोस्ट हजारों लोगों द्वारा लाइक और शेयर किए जाते हैं। इस लेख में, हम इस पेज के स्रोत/उत्पत्ति की जांच करेंगे और इसके प्रचार के कई और उदाहरण देखेंगे।

‘द इंडिया आई’ का स्रोत/उत्पत्ति

फेसबुक पेज ‘द इंडिया आई’ के परिचय (About) में इसका फोन नंबर (8586993060) और डोमेन का नाम (theindiaeye.com) दिया हुआ है।

ऑल्ट न्यूज़ ने ट्विटर पर इस फोन नंबर की खोज की तो पाया कि इसे सबसे पहले हीमैन नमो‘ (@HemanNamo) हैंडल से पोस्ट किया गया था। दरअसल हीमैन नमो ने अपने ट्विटर प्रोफाइल से इस नंबर को ‘द इंडिया आई’ व्हाट्सएप नंबर के रूप में कई बार शेयर किया है।

हीमैन नमो के पुराने ट्वीट्स को देखते हुए हमें अगस्त 2012 का एक ट्वीट मिला जिसमें फेसबुक लिंक- ‘fb.me/2hQEDGhIO‘ था।

इस लिंक पर क्लिक करने पर हमें ‘facebook.com/on.himanshujain/posts/274979465944900’ पर रीडायरेक्ट किया गया। यह लिंक निष्क्रिय था और पोस्ट हटा दिया गया था लेकिन यूआरएल से लग रहा था कि ट्विटर हैंडल @HemanNamo चलाने वाले व्यक्ति का नाम हिमांशु जैन हो सकता है।

इसके बाद, यूआरएल – ‘facebook.com/on.himanshujain’ पर जाकर हमने ‘on.himanshujain’ पेज तक पहुंचने का प्रयास किया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, उसकी बजाए हमें ‘द इंडिया आई’ फेसबुक पेज पर रीडायरेक्ट किया गया। इससे अंदाजा लगा कि ‘facebook.com/on.himanshujain‘ को ‘द इंडिया आई’ पेज के साथ मिला दिया गया था। यह सब हमने कैसे स्थापित किया, इसकी एक स्पष्ट जानकारी के लिए, नीचे दिया गया वीडियो देखें :

जांच के इस बिंदु तक पहुंचकर अब हम उस व्यक्ति (हिमांशु जैन) और उसके ट्विटर हैंडल (@HemanNamo) का नाम जान चुके थे। लेकिन अभी जैन की पहचान स्थापित होना बाकी था, क्योंकि उनकी ट्विटर प्रोफ़ाइल तस्वीर खुद के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी।

जब कोई उपयोगकर्ता अपनी प्रोफ़ाइल तस्वीर बदलता है तो इसका डिफ़ॉल्ट ट्विटर हैशटैग #NewProfilePic होता है। इसके सहारे हमने देखने की कोशिश कि कि हिमांशु जैन ने कभी अपनी तस्वीर के साथ अपनी प्रोफ़ाइल तस्वीर अपडेट की हो। हमने पाया कि 2017 में उन्होंने वास्तव में अपनी तस्वीर का इस्तेमाल किया था।

जब हमने इस तस्वीर की रिवर्स सर्च की तो सिल्वर टच टेक्नोलॉजीज लिमिटेड नामक कंपनी की वेबसाइट तक पहुंच गए। इस वेबसाइट के ‘About’ अनुभाग में जैन को पूर्णकालिक निदेशक बताया गया था। हिमांशु जैन का लिंक्डइन प्रोफाइल बताता है कि उन्होंने अहमदाबाद से शिक्षा प्राप्त की है और वर्तमान में दिल्ली में रहते हैं।

अब तक सामने आए सबूत बताते हैं कि सिल्वर टच के हिमांशु जैन फेसबुक पेज ‘द इंडिया आई’ से जुड़े थे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं था कि यह जुड़ाव व्यक्तिगत स्तर पर था या इसमें उनकी कंपनी की भी कोई भागीदारी थी।

ऑल्ट न्यूज ने सिल्वर टच के प्रबंध निदेशक विपुल ठक्कर को लिखा, और उनसे पूछा कि क्या ‘द इंडिया आई’ के संचालन में सिल्वर टच शामिल है। ठक्कर ने हमें यह कहते हुए ईमेल किया, “सिल्वर टच में हम न तो ऐसे किसी फेसबुक पेज को जानते हैं और न ही जुड़े हैं।”

हमने हिमांशु जैन से भी संपर्क किया और पूछा कि क्या वह फेसबुक पेज ‘द इंडिया आई’ से जुड़े हुए हैं। जैन ने इस पेज से किसी जुड़ाव से इंकार किया।

हालांकि, जब हमने myip.ms नामक एक ऑनलाइन टूल के द्वारा डोमेन नाम ‘theindiaeye.com’ चलाया, तो पाया कि वेबसाइट का आईपी पता – 50.23.93.64 – सिल्वर टच के स्वामित्व में है। जब हमने हिमांशु जैन से सवाल पूछा, तो उन्होंने कहा कि सिल्वर टच के कई ग्राहक हैं और उनके लिए प्रत्येक ग्राहक के विशिष्ट विवरणों के बारे में जागरूक होना संभव नहीं है। इस वार्तालाप के तुरंत बाद वेबसाइट का आईपी पता बदल दिया गया। फेसबुक पेज ‘द इंडिया आई’ के ‘About’ अनुभाग से शुरू से दर्ज फोन नंबर भी हटा दिया गया।

डोमेन नाम ‘theindiaeye.com’ के आगे के परिचय संबन्धी (WHOIS) खोज परिणाम बताते हैं कि यह सिल्वर टच के नाम सर्वर का उपयोग कर रहा था।

उपर्युक्त स्क्रीनशॉट यह भी दिखाता है कि ‘theindiaeye.com’ को 24 जून, 2016 को 12:16 यूटीसी बजे बनाया गया था।

एक अन्य ऑनलाइन टूल domainbigdata.com से, जो परिचय संबन्धी (whois) जानकारी का डेटा रखता है, हमने पाया कि एक अन्य डोमेन नाम ‘theindiaeye.in’ भी 24 जून, 2016 को 12:16 यूटीसी बजे ही बनाया गया था। यह हिमांशु जैन के नाम और उनके फोन नंबर (जिसे नीचे स्क्रीनशॉट में नहीं दिखाया गया है) के तहत पंजीकृत था।

फेसबुक पेज ‘द इंडिया आई’ को पहले ‘चेंजिंग इंडिया’ कहा जाता था, 24 जून, 2016 को इसका नाम बदला गया था। यह ‘theindiaeye.com’ और ‘theindiaeye.in’ दोनों के बनाए जाने की तारीख से मिलता है।

अंत में, हमारी जांच से खुलासा हुआ कि :

1. हिमांशु जैन फेसबुक पेज ‘द इंडिया आई’ से जुड़े थे। फेसबुक पेज पर सूचीबद्ध डोमेन नाम ‘theindiaeye.com’ और हिमांशु जैन के नाम पंजीकृत ‘theindiaeye.in’, एक ही समय बनाए गए थे।

2. डोमेन नाम ‘theindiaeye.com’ का आईपी पता और वेबसाइट द्वारा उपयोग किए जाने वाला नाम सर्वर दोनों ही सिल्वर टच के स्वामित्व में थे। यह इंगित करता है कि ‘द इंडिया आई’ वेबसाइट इसी कंपनी सर्वर पर होस्ट की गई थी।

सिल्वर टच और बीजेपी की ऑनलाइन उपस्थिति

सिल्वर टच टेक्नोलॉजी लिमिटेड एक आईटी फर्म है। इसे 1992 में अहमदाबाद में स्थापित किया गया था। इसके ‘हमारे बारे में‘ अनुभाग में, कंपनी खुद को “अग्रणी और वैश्विक स्तर पर स्वीकृत आईटी समाधान प्रदाता तथा वर्तमान में दुनियाभर के ग्राहकों की सेवा के लिए डिजिटल बदलाव और नई प्रौद्योगिकियों में आगे” के रूप में परिभाषित करती है। कंपनी की वेबसाइट में ‘ई-गवर्नेंस‘ अनुभाग भी है जहां यह कहा गया है- “हम ढाई दशकों से सरकारी परियोजनाओं पर काम करते हुए नागरिकों की जरूरतों की पूर्ति कर रहे हैं। हमारी ई-शासन सेवा कार्यों में सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।”

2014 में, हिमांशु जैन ने इस तरह की एक सरकारी परियोजना – सिल्वर टच द्वारा डिजाइन की गई और बीजेपी मंत्री श्रीपाद नायक द्वारा लॉन्च की गई, संस्कृति मंत्रालय की वेबसाइट – के बारे में ट्वीट किया था। वास्तव में, इस कंपनी ने बीजेपी सरकार के लिए बहुत काम किए हैं। उसी वर्ष, राष्ट्रपति के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन सिल्वर टच द्वारा विकसित किया गया जिसका राष्ट्रपति भवन में प्रणव मुखर्जी द्वारा उद्घाटन किया गया था। इस अवसर पर हिमांशु जैन उपस्थित थे।

A proud & prestigious moment for Silver Touch Technologies Ltd.

Today, the new web site and #mobile #application…

Posted by Silver Touch Technologies Ltd. on Friday, 25 July 2014

सिल्वर टच के प्रबंध निदेशक विपुल ठक्कर ने विभिन्न सरकारी विभागों के लिए कंपनी द्वारा की गई परियोजनाओं के बारे में कई बार ट्वीट किया है।

2015 में, सिल्वर टच ने पीएम मोदी का आधिकारिक मोबाइल ऐप विकसित किया था। 2013 में, उसने तत्कालीन यूपीए सरकार के तहत विदेश मंत्रालय के लिए एक पासपोर्ट ऐप लॉन्च किया था।

पिछले साल, एनडीटीवी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक था- एक्सक्लूसिव: बीजेपी के ऑनलाइन दखल के पीछे द “सिल्वर” टच?”। इस लेख के अनुसार, गुजरात सरकार सिल्वर टच के सबसे बड़े ग्राहकों में से एक थी। एनडीटीवी ने कम से कम 17 विभागों की गिनती की जिन्होंने इसकी सेवाएं लीं थी।

सितंबर 2017 में भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में दायर किए गए अपने रेड हीयरिंग प्रॉस्पेक्टस के मसौदे (प्रतिभूतियों की सार्वजनिक घोषणा के हिस्से के रूप में प्रस्तुत दस्तावेज) में, सिल्वर टच ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में सरकारी अनुबंधों से लगभग 62.5 करोड़ रुपये के काम आये जो पुरे काम का 53% था।

एनडीटीवी ने यह भी पाया था कि हिमांशु जैन का ट्विटर अकाउंट @HemanNamo, भाजपा-समर्थक प्रचलित हैशटैग का हिस्सा था। उन्हें ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा फॉलो किया जाता है। पिछले साल जब अर्थव्यवस्था के बचाव में पीएम ने भाषण दिया था इसके बाद उन्होंने #ModiTransformsIndia हैशटैग के साथ कई ट्वीट किए थे। अमित शाह के बेटे जय शाह के वित्त को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद जैन ने एक अन्य हैशटैग #LiesAgainstShah को कई बार ट्वीट किया था।

2017 में पूछे जाने पर, जैन ने दावा किया कि उनकी “निजी” सोशल मीडिया गतिविधियों का सिल्वर टच से कुछ लेना-देना नहीं था। हालांकि, ऑल्ट न्यूज की जांच से पता चला कि जैन फेसबुक पेज ‘द इंडिया आई’ के निर्माता थे और वेबसाइट ‘theindiaeye.com’ को सिल्वर टच से जुड़े सर्वरों पर होस्ट किया गया था।

यह चिंताजनक है कि एक बहुराष्ट्रीय आईटी फर्म, जो कई सरकारी परियोजनाओं का प्रबंधन करती है, का निदेशक प्रचार वेबसाइट और फेसबुक पेज से भी जुड़ा हुआ है। ‘द इंडिया आई’ को अक्सर बड़े पैमाने पर उसके 17 लाख फ़ॉलोअर्स में गलत जानकारी फैलाते हुए पाया गया है। हमने जो पाए हैं, उनमें से कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं।

1. भारत बंद के दौरान पुणे में संस्कृति स्कूल की बस पर हमले की नकली खबर

कांग्रेस पार्टी ने ईंधन की बढ़ती कीमतों के विरोध में 10 सितंबर को भारत बंद की घोषणा की थी। इसके तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से यह दावा फैलाया गया था कि विपक्ष के सदस्यों द्वारा हड़ताल के दौरान एक स्कूल बस की तोड़-फोड़ की गई। इस संदेश के साथ तस्वीरों के एक सेट का उपयोग किया गया था, जिसमें टूटे हुए शीशे के साथ संस्कृति स्कूल की क्षतिग्रस्त बस दिखाई गई थी। द इंडिया आई इस दावे को फैलाने वालों में से एक था। इसे 1,600 बार शेयर किया गया था।

 

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बाद में पता चला, संस्कृति स्कूल की क्षतिग्रस्त बस की तस्वीरें भ्रामक थीं, क्योंकि वे एक दिन पहले 9 सितंबर को क्षतिग्रस्त हुई थीं और इसका बंद से कुछ लेना-देना नहीं था। ऑल्ट न्यूज़ ने यहां झूठे दावों की असलियत उजागर कर दी थी।

2. बीबीसी की फर्जी वेबसाइट के आधार पर कांग्रेस दुनिया की चौथी सबसे भ्रष्ट पार्टी घोषित की गई

15 सितंबर को, ‘द इंडिया आई’ ने दावा किया कि “बीबीसी के अनुसार, कांग्रेस दुनिया के शीर्ष 10 सबसे भ्रष्ट राजनीतिक दलों में चौथे पायदान पर है।” इसे 24,000 बार शेयर और 17,000 बार लाइक किया गया था।

कांग्रेस के लिए अाई खुशखबरी

Posted by The India Eye on Saturday, 15 September 2018

एक नकली समाचार वेबसाइट BBCNewsHub.com ने जुलाई 2018 में एक लेख प्रकाशित किया था। ‘द इंडिया आई’ द्वारा इसे हाल की “दुनिया की सबसे भ्रष्ट राजनीतिक दलों की सूची” के रूप में प्रमाणित और शेयर किया गया था। ऑल्ट न्यूज़ ने इस लेख के झूठे दावों का पर्दाफाश किया था।

3. उपवास के दौरान हार्दिक पटेल का वजन बढ़ने की झूठी खबर

25 अगस्त को, पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता हार्दिक पटेल ने पाटीदार समुदाय के लिए कृषि ऋण छूट और आरक्षण की मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन उपवास की शुरुआत की थी। लगातार स्वास्थ्य में गिरावट के बाद उपवास के 14 वें दिन वे अस्पताल में भर्ती होने को राजी हुए। इस बीच, 4 सितंबर 2018 को, रिपोर्टें आई थीं कि 11 दिनों के उपवास से पाटीदार नेता का वजन 20 किलो घट कर 58.3 किलो हो गया था। लेकिन अगले दिन प्रकाशित एक मेडिकल रिपोर्ट में उनके वजन में 8 किलोग्राम का अंतर दिखाया गया। पटेल का वजन 66.4 किलोग्राम बताया गया। कई लोगों ने इस खबर को ऐसा दिखाकर पेश किया कि पटेल उपवास पर नहीं थे। द इंडिया आई के इसी प्रकार के पोस्ट को 8,600 बार शेयर किया गया था। इसे अब डिलीट कर दिया गया है।

हालांकि, 5 सितंबर को देश गुजरात की एक रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि वजन में यह विसंगति गलत रीडिंग के कारण थी।

4. कांग्रेस द्वारा मध्य प्रदेश में राजनीतिक अभियान के लिए शव वाहन के इस्तेमाल का झूठा दावा

इस साल अगस्त में सोशल मीडिया में एक तस्वीर खूब शेयर की गई, जिसमें एक वैन पर कांग्रेस पार्टी का विज्ञापन दिखाया गया था। तस्वीर शेयर करने वालों ने दावा किया है कि उक्त वैन एक शव वाहन है। राजनीतिक अभियान के लिए इसका इस्तेमाल करने पर कांग्रेस पार्टी का सबने उपहास किया। यह दावा प्रसारित करने वाले ‘द इंडिया आई’ के पोस्ट के 3,200 शेयर हुए। इस पोस्ट को भी अब डिलीट कर दिया गया है लेकिन इसका आर्काइव यहाँ देखा जा सकता है।

ऑल्ट न्यूज़ ने तस्वीर की एक साधारण गूगल रिवर्स इमेज सर्च करके इस झूठे दावे को खारिज कर दिया था, जिसमें पता चला था कि तस्वीर फोटोशॉप की हुई थी।

5. खेल मंत्री द्वारा एशियाई खेलों में भारतीय एथलीटों को भोजन परोसने का गलत दावा

खाने के कटोरों के साथ एक प्लेट लिए और 2018 एशियाई खेलों में खिलाड़ियों से बात करते हुए खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौर की एक तस्वीर इस रूप में खूब प्रसारित की गई कि खेल मंत्री खिलाड़ियों को भोजन परोस रहे हैं।

क्या आपने पहले कभी ऐसा देखा था?

Posted by The India Eye on Sunday, 26 August 2018

ऑल्ट न्यूज़ ने उस तस्वीर में मौजूद एक व्यक्ति से बात की, जिन्होंने बताया कि तस्वीर भ्रामक थी और मंत्री भोजन, स्नैक्स या चाय परोस नहीं रहे थे, बल्कि अपने टेबल पर जाने के दौरान मिले खिलाड़ियों का केवल अभिवादन कर रहे थे।

6. भारत द्वारा 2015 से 2017 के दौरान विश्व बैंक से कोई ऋण नहीं लेने का गलत दावा

एक अन्य उदाहरण में, ‘द इंडिया आई’ ने दावा किया – “इन 70 वर्षों की स्वतंत्रता में, केवल तीन साल रहे जब भारत ने विश्व बैंक से कोई ऋण नहीं लिया – 2015, 2016, 2017 – यह मोदीजी की विफलता है या सफलता? नमो नमः (अनुवादित)।”

ऑल्ट न्यूज़ ने इस नकली खबर को भी खारिज कर दिया था। हमने पाया कि दावे में दी गई अवधि के दौरान 50 परियोजनाओं के लिए 96,560 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के ऋण की समय-समय पर भारत के लिए मंजूरी दी गई थी।

उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि फेसबुक पेज ‘द इंडिया आई’ से निरंतर गलत सूचना प्रसारित किया जा रहा है। उनका प्रचार उनके द्वारा शेयर की जाने वाली पोस्टों से स्पष्ट है – प्रधानमंत्री मोदी की छवि बनाना और विपक्षी दलों को बदनाम करना। ‘द इंडिया आई’ के लोगो के साथ अच्छी तरह से डिज़ाइन किए गए पोस्टर का उपयोग कर उनकी ब्रांडिंग करता है और पाठकों का ध्यान आसानी से खींचता है। एक बहुराष्ट्रीय फर्म के निदेशक के नेतृत्व में इसकी रचना और मार्केटिंग, तथा फर्म द्वारा इस साइट को खुद वेब होस्टिंग स्पेस प्रदान करना असहज करने वाली सच्चाई है।

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