कुछ भारतीय न्यूज़ पेपर्स ने हाल ही में नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के लिए एक एड पब्लिश किया जिसमें अलग-अलग बोर्डिंग स्कूल अभिभावकों के साथ बातचीत करने और ऑन-स्पॉट रजिस्ट्रेशन के लिए एक साथ आएंगे. विज्ञापन में एक सफेद बिल्डिंग की तस्वीर भी थी.
30 सितंबर 2023 को द टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने अपने सप्लीमेंट्री न्यूज़ पेपर दिल्ली टाइम्स के दूसरे पेज पर ये विज्ञापन पब्लिश किया. विज्ञापन में कहा गया है कि “भारत के अग्रणी बोर्डिंग स्कूलों की मेगा सभा” 1 अक्टूबर और 2 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी.
हिंदुस्तान टाइम्स ने भी 1 अक्टूबर, 2023 को अपने ‘दिल्ली सिटी’ वर्ज़न के दूसरे पेज पर इस विज्ञापन को पब्लिश किया है.
फ़ैक्ट-चेक
विज्ञापन पब्लिश होने के तुरंत बाद, भारत और भूटान में जर्मन राजदूत डॉ. फ़िलिप एकरमैन ने X पर इस विज्ञापन वाले एक अखबार की क्लिपिंग पोस्ट करते हुए बताया कि विज्ञापन में दिखाई गई बिल्डिंग बर्लिन में जर्मन राष्ट्रपति की सीट थी. उन्होंने लिखा, ”प्रिय भारतीय अभिभावक – ये मुझे आज के अखबार में मिला. लेकिन ये बिल्डिंग कोई बोर्डिंग स्कूल नहीं है. ये बर्लिन में जर्मन राष्ट्रपति की सीट है. हमारा राष्ट्रपति भवन जहां था वहीं है. जर्मनी में भी अच्छे बोर्डिंग स्कूल हैं – लेकिन यहां, किसी भी बच्चे को प्रवेश नहीं दिया जाएगा.”
Dear Indian parents – I found this in today’s newspaper. But this building is no boarding school! It is the seat of the German President in Berlin. Our Rashtrapati Bhavan as it were. There are good boarding schools also in Germany – but here, no child will be admitted 😎. pic.twitter.com/ftbEeJk724
— Dr Philipp Ackermann (@AmbAckermann) September 30, 2023
हमने गूगल पर की-वर्डस सर्च किया जिससे हमें जर्मन संघीय अध्यक्ष, फ्रैंक-वाल्टर स्टीनमीयर की ऑफ़िशियल वेबसाइट मिली. इससे हमें पता चला कि विज्ञापन में दिखाई गई सफेद बिल्डिंग जर्मनी का बेलेव्यू पैलेस है. इसमें कहा गया है कि ये महल 18वीं सदी के आखिर में बनाया गया था और 1994 से ये संघीय राष्ट्रपति का प्रमुख आधिकारिक निवास रहा है. ऑफ़िशियल वेबसाइट के मुताबिक, “टियरगार्टन के किनारे पर स्थित महल, जर्मन बुंडेस्टाग और संघीय चांसलरी से कम दूरी पर और स्प्री नदी की सीमा पर स्थित विशाल पार्क से घिरा हुआ है. विजय स्तम्भ स्मारक सड़क के ठीक नीचे है. ये जर्मनी के संघीय गणराज्य के पहले राष्ट्रपति थियोडोर ह्यूस थे जिन्होंने पुनर्मिलन के लिए जर्मनी की आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में श्लॉस बेलेव्यू को बॉन में विला हैमरस्मिट के साथ अपना ऑफ़िशियल बर्लिन निवास बनाया था.”
विज्ञापन में इस्तेमाल की गई तस्वीर और जर्मनी में बेलेव्यू पैलेस की ऑफ़िशियल तस्वीर की तुलना करने पर पता चलता है कि दोनों तस्वीरें एक ही बिल्डिंग की हैं और महल की छत का ग्रे रंग (असली तस्वीर में) विज्ञापन वाली तस्वीर में लाल रंग में बदल दिया गया था.
कुल मिलाकर, प्रमुख अंग्रेजी दैनिक न्यूज़ पेपर्स में पब्लिश किया गया अफ़ेयर्स एजुकेशन ग्रुप के एक विज्ञापन में जर्मनी के बेलेव्यू पैलेस की तस्वीर, भारत में एक बोर्डिंग स्कूल के रूप में दिखाया गया.
वहीं देखने वाली बात ये है कि हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने ‘दिल्ली सिटी’ पेज पर भ्रामक विज्ञापन पब्लिश करने से एक दिन पहले जर्मन राजदूत द्वारा विज्ञापन के फ़ैक्ट-चेक पर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी.
अबीरा दास ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.
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