सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें कई वकील उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतीकात्मक शवयात्रा निकाल रहे हैं. साथ ही वो नारे भी लगा रहे हैं, “हाय है योगी, मर गया योगी.” कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने ये वीडियो शेयर करते हुए ये दावा किया है कि ये घटना हाल ही में यूपी के प्रयागराज में हुई है और ऐसा पहली बार हुआ है कि विरोध के प्रतीक के तौर पर किसी मुख्यमंत्री की शवयात्रा निकाली गई है.

X (ट्विटर) पर ‘@sunmor2901’ नामक एक हैन्डल ने ये वीडियो ट्वीट किया. (आर्काइव)

‘@Speak_Up_India’ नामक एक और हैन्डल ने इसी तरह के कैप्शन के साथ ये वीडियो ट्वीट किया. (आर्काइव)

फ़ेसबुक पर यूज़र बाबू राम सिंह ने ये वीडियो पोस्ट करते हुए दावा किया कि “हापुड़ में पुलिस द्वारा वकीलों पर किए गए बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में प्रयागराज में हाई कोर्ट के वकीलों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शवयात्रा निकाली. वकीलों और सरकार के बीच टकराव चरम पर है. सरकार जो चाहे कर सकती है… वीडियो जरूर देखें.’ (आर्काइव)

ये वीडियो ऐसे ही दावे के साथ फ़ेसबुक पर भी वायरल है.

हापुड़ में पुलिस ने 29 अगस्त को वकीलों पर कथित तौर पर लाठीचार्ज किया था, उस वक्त ये वकील एक महिला वकील और उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज करने का विरोध कर रहे थे. बाद में उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित घटना पर 51 पुलिसकर्मियों को नामित क और 90 अज्ञात व्यक्तियों का ज़िक्र करते हुए एक FIR दर्ज़ की.

फ़ैक्ट-चेक

एक सोशल मीडिया यूज़र द्वारा शेयर किए गए वायरल वीडियो के जवाब में प्रयागराज शहर के पुलिस उपायुक्त के ऑफ़िशियल X-अकाउंट ने एक नोटिस ट्वीट किया. इसमें कहा गया, “उपरोक्त वायरल वीडियो पुराना है तथा वर्ष 2020 से संबंधित है. कृपया अपुष्ट एवं भ्रामक ख़बरें प्रसारित न करें, अन्यथा आपके वैधानिक कार्रवाही अमल में लाई जाएगी.”

हमने Invid सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर वायरल वीडियो के फ़्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च किया. हमें ‘ख़बर जगत 24’ की साल 2019 की वीडियो रिपोर्ट मिली. इसका टाइटल था, ‘वकीलों ने राज्य सरकार की शवयात्रा निकाली.’ इस रिपोर्ट में बताया गया कि सितंबर 2019 में प्रयागराज उच्च न्यायालय के वकीलों ने शव यात्रा निकाली थी. लखनऊ में राज्य शिक्षा सेवा न्यायाधिकरण शुरू करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली यूपी सरकार के विरोध के प्रतीक के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अंतिम संस्कार जुलूस निकाला गया था.

अमर उजाला की एक 2019 की रिपोर्ट का टाइटल था, “वकीलों ने राज्य सरकार की शव यात्रा निकाली.” इस रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकरण मुद्दे पर अनिश्चितकालीन अनशन की चेतावनी देने वाले वकील रितेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में वकीलों ने शव यात्रा निकाली थी. शाम चार बजे अंबेडकर प्रतिमा स्थल से हाईकोर्ट के गेट नंबर तीन तक जुलूस निकला गया था. इसके बाद उन्होंने वापस आकर उनका अंतिम संस्कार किया. इस दौरान वकीलों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए ये मांग की कि शिक्षा सेवाओं सहित सभी न्यायाधिकरणों को प्रयागराज में स्थापित किया जाए.

हिंदी डेली पत्रिका की 2019 की एक और रिपोर्ट का टाइटल था, “इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वकील हुए नाराज, राज्य सरकार की शव यात्रा निकाली.” इस रिपोर्ट में कहा गया है कि “लखनऊ में राज्य शिक्षा सेवा न्यायाधिकरण की स्थापना के विरोध में उच्च न्यायालय के वकीलों ने बुधवार को जुलूस निकाला. राज्य सरकार ने उनकी शव यात्रा निकाली और उनका अंतिम संस्कार किया. दूसरी ओर, हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा है कि इस कारवाई से उसका कोई लेना-देना नहीं है.”

कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने वायरल वीडियो ये ग़लत दावा करते हुए शेयर किया कि ये घटना हाल ही में हुई है जहां उत्तर प्रदेश के हापुड़ ज़िले में पुलिस अधिकारियों ने कई वकीलों पर लाठीचार्ज किया. हालांकि, वीडियो 2019 का है और हाल ही में यूपी के हापुड़ में हुई घटना से इसका कोई संबंध नहीं है.

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