भाजपा आईटी सेल के प्रमुख, अमित मालवीय हाल ही में स्वराज इंडिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव के साथ इंडिया टुडे पर एक बहस में शामिल थे, जहां उन्होंने यादव पर जाति की राजनीति करने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में, यादव ने मालवीय को चुनौती देते हुए कहा कि अगर मालवीय अपने दावे के समर्थन में कोई भी सबूत पेश करते हैं तो वे सार्वजनिक जीवन से हट जाएंगे।
In a debate on Pragya Singh’s candidature, BJP’s @amitmalviya had no answers. So he used the standard distraction trick and brought up the issue of my name.
This was my response. https://t.co/vfFNHDjuEF
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) April 18, 2019
योगेंद्र यादव ने मालवीय को जवाब दिया था कि उनके दादा की हत्या उनके पिता की मौजूदगी में मुस्लिम भीड़ ने की थी। फिर भी, इसको लेकर कोई कड़वाहट और घबराहट में पड़ने के बजाय, उन्होंने महात्मा गांधी से प्रेरित होकर अपने बच्चों को मुस्लिम नाम देने का विकल्प चुना। उन्होंने कहा कि मालवीय जैसे व्यक्ति में यह समझने की संवेदनशीलता होगी, इसको लेकर उन्हें संदेह है।
मालवीय ने ट्वीट के माध्यम से हमला किया
एक दिन बाद, अमित मालवीय ने — योगेंद्र यादव का एक वीडियो, जिसमें यादव अपनी मुस्लिम पहचान के बारे में मुस्लिम बहुल मेवात में एक भीड़ में बोलते हुए देखे और सुने जाते हैं — पोस्ट करते हुए योगेंद्र यादव को निशाना बनाया। एक छोटी वीडियो क्लिप संलग्न करते हुए मालवीय ने ट्वीट किया- “मैं आमतौर पर टीवी डिबेट को सोशल मीडिया में नहीं ले जाता, लेकिन योगेंद्र यादव के दोहरे चेहरे को बेनकाब करने के लिए एक अपवाद बना रहा हूं – (अनुवाद)।” यह क्लिप इस सवाल के साथ समाप्त होती है- ”
आप सार्वजनिक जीवन कब छोड़ रहे हैं?”(अनुवाद)
I usually don’t carry TV debates to social media but making an exception to expose @_YogendraYadav’s janus face. Here is a video where he can be seen bragging his Muslim identity to a largely Muslim audience in Muslim dominated Mewat. If this isn’t cynical politics, then what is? pic.twitter.com/sPeHqaILpB
— Chowkidar Amit Malviya (@amitmalviya) April 19, 2019
इस क्लिप में यादव यह कहते हुए सुनाई पड़ते हैं, “माफ कीजिएगा सिर्फ एक मिनट लूंगा। आप मे से कई लोगों को पता है, मेरे दादाजी हिन्दू-मुस्लिम फसाद में मारे गए थे 1936 कि बात है, हिसार में उनका कत्ल कर दिया था एक मुस्लिम भीड़ थी जिसने मार दिया था। अब सोचिए मेरे पिताजी, वो 7 साल का बच्चा जिसने अपने बाप को अपनी आंखों से सामने कत्ल होते हुए देखा। वह चाहता तो जिंदगी भर मुसलमानों से नफरत कर सकता था, लेकिन उसने तय किया कि मैं अपने बच्चों को मुस्लिम नाम दूंगा। उससे मेरा नाम सलीम पड़ा था, जो किस्सा बताया जाता है।”
यही वीडियो क्लिप एक, चौकीदार अंकुर सिंह ने ट्वीट किया था। उन्होंने यह वीडियो, इंडिया टुडे की बहस के यादव के वीडियो के साथ, उनका मज़ाक उड़ाने के लिए, एक साथ रखा था।
When is Salim @_yogendrayadav withdrawing from Public Life? pic.twitter.com/tgo00Eq2gg
— Chowkidar Ankur Singh (@iAnkurSingh) April 19, 2019
इस क्लिप के आधार पर, मालवीय ने आरोप लगाया कि यादव मुस्लिमों के सामने अपने मुस्लिम नाम का हवाला देकर पहचान की राजनीति कर रहे थे। टीवी बहस में यादव के दावे — कि वह सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह से हट जाएंगे यदि मालवीय इस दावे की पुष्टि करते हैं कि योगेंद्र यादव जाति की राजनीति खेल रहे थे — पर निशाना साधते हुए ट्वीट में कहा गया था, “आप सार्वजनिक जीवन कब छोड़ रहे हैं?”(अनुवाद) क्या मालवीय के दावे में कोई सच्चाई है?
संपादित वीडियो क्लिप
मालवीय द्वारा शेयर किया गया छोटा वीडियो संपादित है। यादव ने असल में क्या कहा, वह नीचे पेश किया गया है:
“वह चाहता तो ज़िन्दगी भर मुसलमानों से नफ़रत कर सकता था। चाहता तो आरएसएस बन सकता था। बहुत साधारण बात होती। लेकिन उस शख्स ने तय किया कि ना हिन्दू बनेगा, ना मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा। और उस ने तय किया कि अपने बच्चों को मैं मुस्लिम नाम दूंगा। उससे मेरा नाम सलीम पड़ा था, जो किस्सा बताया जाता है आजकल।”
यह वीडियो स्वराज इंडिया पार्टी के फेसबुक पेज पर 29 जुलाई 2018 को लाइव पोस्ट किया गया था। संबंधित हिस्सा 8:33वें मिनट से शुरू होता है। इस वीडियो का कैप्शन है- “मेवात में रकबर खान कि हत्या के बाद वहाँ के पंचायत को संबोधित करते योगेंद्र यादव“।
मेवात में रकबर खान कि हत्या के बाद वहाँ के पंचायत को संबोधित करते योगेंद्र यादव!
Posted by Swaraj India on Sunday, July 29, 2018
इसके बाद उन्होंने इस प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि वह यह कहानी इसलिए बता रहे हैं क्योंकि “ नफरत का जवाब नफरत से देना बहुत आसान काम है, छोटा काम है, नफरत का जवाब मोहब्बत से देना बड़ा काम है और मैं समझता हूँ यह इलाका जिसने बहुत बड़े काम किए हैं वह नफरत का जवाब मोहब्बत से दे।”
जिस हिस्से में यादव ने कहा था, “ना हिन्दू बनेगा, ना मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा” उसे मालवीय द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो क्लिप से सहूलियत के लिए हटा दिया गया। इस प्रकार, यह सुझाव देते हुए कि यादव अपनी पहचान की अपील करके मुसलमानों को भटका रहे थे। इसके विपरीत, वह अपने परिवार के बारे में अपना खुद का अनुभव साझा कर रहे थे, जिसने हिंदू-मुस्लिम संघर्ष की क्रूरता को देखा था, फिर भी अपने और अपने आसपास की दुनिया के लिए शांति को चुना।
यादव ने मालवीय के आरोपों को खारिज करने के लिए गैर संपादित मूल क्लिप को ट्विटर पर शेयर किया।
Clinching evidence that @amitmalviya had doctored the few seconds video he has circulated. Just listen to this small fragment from my speech.
BJP lie factory cut out my words: “na Hindu Banega na Musalman Banega”!
Also: “nafrat ja jawab Mohabbat se Dena hai”
Are we surprised? pic.twitter.com/j5wjXf1797
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) April 19, 2019
यह स्पष्ट है कि यह दिखलाने के लिए कि यादव ने वोटों के लिए अपने मुस्लिम नाम के बारे में भीड़ को बताया था, मालवीय द्वारा ट्वीट किए गए संपादित क्लिप में से बयान के असली संदर्भ के साथ-साथ भाषण के हिस्से को हटा दिया गया है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मेवात में जमा यह भीड़ कोई चुनावी रैली नहीं थी, बल्कि, एक हिंदू भीड़ द्वारा मुस्लिम आदमी की हत्या के बाद विरोध प्रदर्शन के लिए लोग जुटे थे। यह इस संदर्भ में है कि यादव ने भीड़ को अपनी कहानी के बारे में बता कर नफरत का जवाब प्यार से देने के बारे में बात की थी। मालवीय द्वारा शेयर किए गए संस्करण में, नफरत का जवाब नफरत से नहीं देने के लिए भीड़ से की गई अपील को संपादित करके हटा दिया गया है।
4 things BJP’s lie factory conceals:
1. Allegation by @amitmalviya to which I responded:in 2014 election I used Muslim name for votes
2. Date of video:3 yrs+ after election
3 Context: protest meet on lynching by Hindu mob
4. My main message: don’t think of revenge or violence https://t.co/uPi1F0xVUo
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) April 19, 2019
अमित मालवीय ने अपना ट्वीट यह कहते हुए शुरू किया कि वह सोशल मीडिया में टीवी बहसों को ले जाना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन वास्तविकता में वे न केवल टीवी बहस को सोशल मीडिया में ले आए, बल्कि, उन्होंने उसके संपादित संस्करण को रखा। विडंबना देखिए कि जिस क्लिप की सहायता से वे, वोट के लिए मुस्लिम पहचान का उपयोग करने के लिए योगेंद्र यादव का पर्दाफाश करने की कोशिश कर रहे थे, वह न केवल संपादित था, बल्कि किसी चुनावी रैली का भी नहीं था।
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