6 सितंबर को ट्विटर यूज़र प्रेमा लक्ष्मीनारायण ने एक ट्वीट थ्रेड पोस्ट किया. इस ट्वीट में बताया गया है कि त्रिपुरा में पोस्टेड एक IAS ऑफ़िसर को प्रधानमंत्री ने रात के 10 बजे फ़ोन किया था. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
ट्वीट थ्रेड के मुताबिक, “21 जुलाई को रात 10 बजे उत्तरी त्रिपुरा में पोस्टेड IAS ऑफ़िसर को एक कॉल आया. उन्हें इस बात की हैरानी हुई कि इतनी रात को उन्हें किसने फ़ोन किया. सामने से एक आवाज़ आयी और उसने इतनी देर रात फ़ोन करने के लिय माफ़ी मांगी और पूछा कि क्या उनके पास कुछ मिनट का समय है क्योंकि प्रधानमंत्री को उनसे बात करनी है. वो कुछ देर के लिए आश्चर्य से हिल नहीं पाए और धीमी आवाज़ में हां कहा. और फिर कॉल प्रधानमंत्री मोदी को ट्रांसफ़र की गई. मोदी ने भी उनसे देर रात फ़ोन करने के लिए माफ़ी मांगी. मोदी ने कहा कि उन्होंने कुछ ही वक़्त पहले नितिन गडकरी से मीटिंग खत्म की है और वो नेशनल हाइवे 208-A की मरम्मत करवाना चाहते हैं जो त्रिपुरा से पूरे देश को जोड़ता है. ऑफ़िसर को नहीं याद है कि उसने इस बात पर क्या प्रतिक्रिया दी थी. उसे बस इतना ही याद है कि मोदी ने उनसे कहा था कि गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया ने असम सरकार और त्रिपुरा सरकार से बात की थी और वो ऑफ़िसर को इस पूरे प्रोजेक्ट की निगरानी करने के लिए कह रहे हैं.”
आगे, इस मेसेज में बताया गया है कि जब ऑफ़िसर दूसरे दिन ऑफ़िस पहुंचे तो उन्हें त्रिपुरा, असम सरकार और GOI की ओर से बताया गया था कि हाईवे की 15 किलोमीटर की मरम्मत के लिए फ़ंड मिल गया था. जब स्टाफ़ कार्यस्थल पर पहुंचा तो ऑफ़िसर को 6 JCB वहां मिलीं. उसके 4 दिन के अंदर 300 से ज़्यादा ट्रकों में माल पहुंचा. और हाईवे का काम खत्म होने पर ऑफ़िसर को धन्यवाद देने के लिए नितिन गडकरी का फ़ोन भी आया था. उन्होंने ऑफ़िसर को दिल्ली आने पर प्रधानमंत्री कार्यालय आने का भी न्योता दिया.
व्हाट्सऐप पर भी ये मेसेज काफ़ी शेयर किया जा रहा है.
पुराना व्हाट्सऐप वायरल
27 अगस्त 2016 को फ़ेसबुक पेज ‘Unofficial: Subramanian Swamy’ ने इस वायरल मेसेज की सच्चाई बताई थी. ऑल्ट न्यूज़ के को-फ़ाउन्डर मोहम्मद ज़ुबैर ये फ़ेसबुक पेज चलाते हैं. इस पूरी कहानी में किये गए दावों की हकीकत इस आर्टिकल में एक-एक करके देखेंगे.
#BhaktTalesBusted
There is a story of Selfless Modi calling up an IAS officer in the middle of night (10 PM) asking his…Posted by Unofficial: Subramanian Swamy on Saturday, 27 August 2016
सबसे पहले बात करते हैं द इंडियन एक्स्प्रेस के आर्टिकल की. 28 अगस्त 2016 का ये आर्टिकल वायरल मेसेज के बारे में है. इसमें इंडियन एक्स्प्रेस टीम के हवाले से लिखा था कि वो इस वायरल दावे की पुष्टि नहीं करते हैं. आर्टिकल में बताया गया था कि ये मेसेज बीजीपी आईटी सेल के सदस्य पुष्पक चक्रबर्ती ने Quora पर पोस्ट किया था. यही बात ज़ुबैर ने फ़ेसबुक पोस्ट में भी बताई थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस वायरल मेसेज को फ़र्ज़ी बताया था.
द इकॉनमिक टाइम्स के एक पत्रकार ने इस दावे के बारे में त्रिपुरा के डीएम से भी पूछा था जिन्होंने इस दावे का खंडन किया था. इसपर प्रतिक्रिया देते हुए पुष्पक ने कहा था, “पत्रकारों को कैसे मालूम कि मैंने अपनी पोस्ट में किस अधिकारी की बात की थी? मैंने तो पोस्ट में किसी का नाम ही नहीं लिखा था.” उन्होंने पोस्ट करते हुए बताया था कि उन्होंने जानबूझकर ऑफ़िसर का नाम पोस्ट में नहीं लिखा था. क्योंकि इस बारे में सार्वजनिक रूप से बात करना प्रोटोकॉल के खिलाफ़ है.
पत्रकार अमन शर्मा ने 27 अगस्त 2016 को ट्वीट करते हुए बताया था कि उत्तर त्रिपुरा के कलेक्टर संदीप महातमे ने प्रधानमंत्री का कॉल आने के दावे का खंडन किया था. बिज़नेस स्टैन्डर्ड के पत्रकार अरिंदम मजूमदार ने इस ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए बताया था कि कुछ स्थानीय मीडिया आउटलेट ने इस बात की पुष्टि की थी कि प्रधानमंत्री मोदी का कॉल आया था. अमन शर्मा ने दोबारा बताया था कि अधिकारियों ने इस दावे का पूरी तरह से खंडन किया था.
strange, he had told me he strongly denies it! -)
— Aman Sharma (@AmanKayamHai_) August 27, 2016
अब बात वायरल मेसेज में किये गए दावों की :
1) त्रिपुरा में 2016 के दौरान नेशनल हाईवे की हालत क्या थी?
31 जुलाई 2016 के द इंडियन एक्स्प्रेस के आर्टिकल में बताया गया था कि त्रिपुरा के 2 हाईवे बारिश के चलते बंद किये गए थे. इस कारण, राज्य में पेट्रोल और डीज़ल की तंगी होने लगी थी. विपक्ष और आम लोगों ने इसके चलते विरोध प्रदर्शन भी किया था. इसी सब के चलते राज्य ने नेशनल हाईवे 44 की मरम्मत करवाई. इससे असम और त्रिपुरा के बीच एक रास्ता खुल गया था. आर्टिकल में उत्तर त्रिपुरा के डीएम महातमे के हवाले से बताया गया कि NHIDCL ने राज्य को 50 लाख मुहैया करवाए थे. इसके चलते 6 दिनों के अंदर रोड की मरम्मत का काम खत्म हुआ था. लेकिन राज्य का मुख्य मार्ग नेशनल हाईवे 8 तब भी खस्ता हालत में ही था. राज्य सरकार ने कई बार केंद्र से इसकी मरम्मत के लिए गुहार लगाई थी.
NHIDCL ने 1 जुलाई को हाईवे की मरम्मत के लिए टेंडर जारी किया था. इस टेंडर में जल्द से जल्द हाईवे के 18 किलोमीटर का हिस्सा मरम्मत करने की बात बताई गई थी.
द इंडियन एक्स्प्रेस के आर्टिकल में बताया गया था कि PWD ने NH 8 को मरम्मत करने का काम शुरू कर दिया था. लेकिन इस आर्टिकल में कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं किया गया था कि प्रधानमंत्री मोदी या नितिन गडकरी ने डीएम को फ़ोन किया था.
2) NH-8 और NH-208(A) की मरम्मत का काम
1 अगस्त 2016 के बिज़नेस स्टैन्डर्ड आर्टिकल में बताया गया था कि त्रिपुरा PWD, NH-8 और NH-208(A) की मरम्मत के लिए NHIDCL (नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड) की मदद कर रहा था. ये बात त्रिपुरा PWD चीफ़ इंजीनियर दीपक दास ने बताई थी जो नेशनल हाईवे के इंचार्ज भी थे. उन्होंने बताया था कि सितंबर में बारिश के खत्म होते ही मरम्मत का काम शुरू कर दिया जाएगा.
अब इस मामले में नया रुख लेते हुए 30 जुलाई 2016 को एबीपी की एक रिपोर्ट आयी. इसमें त्रिपुरा के PWD मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार और असम सरकार को लिखे गए खत दिखाए थे. और बताया था कि केंद्र सरकार त्रिपुरा के लोगों के प्रति अपने कर्तव्य का पालन नहीं कर रही थी.
कुल मिलाकर, 2016 में बीजेपी आईटी सेल के सदस्य ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा त्रिपुरा में पोस्टेड IAS ऑफ़िसर को फोन करने की कहानी शेयर की. लेकिन त्रिपुरा के किसी भी अधिकारी ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि NH-8 और NH-208(A) की मरम्मत के लिए प्रधानमंत्री ने खुद फ़ोन किया था. सोशल मीडिया पर 2016 से ये मेसेज बगैर किसी वेरिफ़िकेशन और ठोस सबूत के शेयर किया जा रहा है.
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