सोशल मीडिया पर एक तस्वीर के साथ ऑडियो क्लिप शेयर की जा रही है. तस्वीर में हिजाब पहनी कुछ लड़कियां दिख रही हैं. इनके चेहरे और हाथ में चोट या जलने के निशान हैं. इसके साथ शेयर किये जा रहे ऑडियो में एक लड़की लोगों से मदद की अपील कर रही है. ऑडियो में लड़की कहती है, “अस्सलाम वलैकुम, मैं झांसी जिले बरुआसागर से बोल रही हूं. हमारे बरुआसागर में तीन दिनों से इतनी लड़ाइयां हो रही हैं हिंदू-मुसलमान के बीच और मैं मुसलमान हूं. हमलोगों मुसलमानों को सब मार रहे हैं, मेरे भाई को बहुत मारा सब लोगों ने और यहां पर बहू-बेटियों को परेशान कर रहे हैं. प्लीज ये मैसेज हमारे सारे मुसलमान भाइयों को भेजिए जिससे हमारी मदद हो सके. पुलिस-प्रशासन कुछ नहीं कर रही है वो हिंदुओं का साथ दे रही है और हिंदू लोग रोज़ रात में हमारे घरों में घुसते हैं हमारे भाइयों को मारते हैं हमलोगों को परेशान करते हैं. प्लीज हमारी मदद कीजिए. ये मैसेज सारे मुसलमान भाइयों को सेंड कीजिए जिससे हमारी मदद हो सके. प्लीज, प्लीज…”

ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर पर इस दावे की पड़ताल की रिक्वेस्ट मिली.

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फ़ैक्ट-चेक

ये ऑडियो और तस्वीर दोनों ही अलग-अलग घटनाओं के हैं. ऑडियो क्लिप 2019 से ग़लत दावों के साथ शेयर की जा रही है. सितम्बर 2019 में ये ऑडियो एक बांग्लादेशी यूज़र के टिकटॉक वीडियो के साथ जोड़कर ग़लत दावा किया जा रहा था.

अब बात करते हैं इस तस्वीर की. इसका रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें मालूम हुआ कि इसमें दिख रही लड़कियों ने मेकअप किया है. नवंबर 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल के मलप्पुरम यूनिट और कुटूर नार्थ KMHSS स्कूल ने साथ में मिलकर एक मॉक ड्रिल आयोजित की थी. ये उसी दौरान की तस्वीर है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि मॉक ड्रिल की तस्वीरें लोगों ने सच मानकर सोशल मीडिया पर उस वक़्त शेयर की थीं.

हमने देखा कि 2018 में द क्विंट ने इस तस्वीर पर एक फ़ैक्ट-चेक पब्लिश किया था. उन्होंने मलप्पुरम फ़ायर डिपार्टमेंट के होम गार्ड बालाचंद्रन से बात की थी. बालाचंद्रन ने द क्विंट को बताया था कि स्कूल, पंचायत और फ़ायर ब्रिगेड को ही सिर्फ इस मॉक ड्रिल के बारे में ख़बर थी. इसीलिए जब आग बिल्डिंग के ऊपर से दिखने लगी तो गांव के लोग परेशान होकर आस-पास इकठ्ठा हो गए थे. बालाचंद्रन ने ये भी बताया कि स्टूडेंट्स के चेहरे और हाथों पर जो निशान दिख रहे हैं वो स्कूल के एक शिक्षक द्वारा किया गया मेकअप है.

इसके अलावा झांसी पुलिस ने एक ट्वीट पर जवाब देते हुए इसे भ्रामक एवं सामाजिक सौदार्द्र बिगाड़ने वाला वीडियो बताया. साथ ही ये भी कहा कि इस तरह ही कोई घटना पूरे झांसी में नहीं हुई है.

यानी, एक पुराना ऑडियो और मॉक ड्रिल से ली गई तस्वीर को साथ में जोड़कर ग़लत दावा शेयर किया जा रहा है.

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