10 सितम्बर को भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने आज तक न्यूज़ चैनल के शो दंगल की एक क्लिप शेयर की. इस वीडियो में वो एक पैनेलिस्ट रवि श्रीवास्तव के सवाल का जवाब देते हैं. सवाल था कि बॉलीवुड ऐक्टर कंगना रानौत को टैक्स पेयर्स के पैसों से Y-सिक्यूरिटी क्यूं दी गयी है.

कंगना रानौत ने मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से की थी और मुंबई पुलिस की आलोचना भी की थी. इसके बाद से वो चर्चा में बनी हुई हैं. न्यूज़ चैनल पर ये बहस कंगना का ऑफ़िस तोड़े जाने के बाद हो रही थी. कथित तौर पर अवैध निर्माण बताते हुए बृहन्मुंबाई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (BMC) ने कंगना रानौत के पाली हिल ऑफ़िस का हिस्सा तोड़ दिया. इसके बाद BMC ने अवैध निर्माण को ढहाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

श्रीवास्तव के Y-सिक्योरिटी सवाल का जवाब देते हुए संबित पात्रा ने कहा, “जब कसाब को इन्हीं के पैसे से बिरयानी खिलाया जाता था तो एक बार भी इन्होंने नहीं कहा कि मत खिलाओ.”

हमने देखा कि जनसत्ता ने 11 सितम्बर को एक आर्टिकल पब्लिश की है. इस आर्टिकल में संबित पात्रा का ट्वीट शामिल करते हुए लिखा गया है, “केंद्र सरकार की ओर से कंगना को Y केटेगरी की सुरक्षा मिलने पर कुछ लोग भड़के हुए हैं. ऐसा ही वाकया एक टीवी डिबेट के दौरान हुआ, जिसमें पैनलिस्ट ने पूछा कि कंगना को सिक्योरिटी में हमारे पैसे क्यों लगाए जा रहे हैं. हालांकि, इस पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने पैनलिस्ट पर निशाना साधा और कहा कि जब अजमल कसाब को आपके पैसे से बिरयानी दी जा रही थी, तब आपको दिक्कत नहीं थी.” (आर्काइव लिंक)

jansatta sambit

बार-बार किया जाने वाला गलत दावा

ये गलत दावा भाजपा के बड़े नेताओं ने पहले भी किया है. अमित शाह ने 2019 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा था और यही दावा किया था. उस वक्त अमित शाह भाजपा अध्यक्ष थे. नवंबर, 2018 के एक चुनावी रैली में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी यही दावा किया था.

असल में ये एक मनगढ़ंत कहानी है जो 26/11 आतंकी हमले के मामले में सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम ने रची थी. मुकदमे के दौरान, निकम ने अजमल कसाब को जेल में बिरयानी खिलाए जाने के बारे में एक कहानी बनाई थी, ताकि कसाब के समर्थन में चल रही भावनात्मक खबरों को रोका जा सके. 2015 में मीडिया से बात करते हुए निकम ने कहा था, “कसाब ने न तो बिरयानी मांगी थी और न ही ये सरकार द्वारा परोसा गया था. मैंने तो बस उस भावनात्मक माहौल को तोड़ने के लिए ऐसा किया था , जो मुकदमे के दौरान कसाब के पक्ष में बन रहा था.”

2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार, निकम ने पहले कहा था, “रक्षा बंधन पर, उसने अपने वकील से पूछा था कि क्या कोई लड़की उसकी कलाई पर राखी बांधने आएगी, जबकि एक अन्य मौके पर उसने जेल में उसे मटन बिरयानी दिए जाने के लिए नखरा किया था.”

उज्ज्वल निकम ने ये खुद स्वीकार किया कि बिरयानी की कहानी गढ़ी गई थी, मगर कई मौकों पर भाजपा नेताओं ने यही गलत दावा दोहराया है. जनसत्ता ने भी इस आर्टिकल में कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं किया है कि संबित पात्रा का ये दावा गलत था.

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Jignesh is a writer and researcher at Alt News. He has a knack for visual investigation with a major interest in fact-checking videos and images. He has completed his Masters in Journalism from Gujarat University.