19 अक्टूबर, 2018 को, भाजपा द्वारा नामित राज्यसभा सांसद डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने सबरीमाला में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं देने की मांग को उचित ठहराते हुए कुछ ट्वीट्स किए। इस प्रतिबंध के समर्थन में प्रचलित तर्क प्राचीन धारणा से उभरे हैं कि मासिक धर्म का रक्त अशुद्ध होता है। डॉ स्वामी का तर्क इससे अलग है कि महिलाओं को स्वास्थ्य कारणों से मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि “सबरीमालाई में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के प्रवेश का नियम गुरुत्वाकर्षण मैट्रिक्स के कारण महिलाओं को उत्परिवर्तन/म्युटेशन से बचाने के लिए था।” आगे उन्होंने दावा किया कि मासिक धर्म के दौरान “उस मंदिर में गुरुत्वाकर्षण मैट्रिक्स गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है।”
The denial of admission of women in menstruation period in Sabarimalai was not twisted to their being “unclean” and that instead it was to protect the women from mutation from gravitational matrix of the Temple location then such women would have voluntarily abstained from coming
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 19, 2018
A compromise in Sabarimalai Temple issue proposed: 1) Menstruating women are not in the eyes of the divinity impure 2) However during that period the gravitational matrix in the said temple can affect pregnancy 3) Hence such women as a custom voluntarily don’t enter the temple
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 18, 2018
डॉ स्वामी के ट्वीट्स, उनके उन वक्तव्यों के विपरीत थे जो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ठीक बाद व्यक्त किए थे; उन्होंने सुझाव दिया था कि वह हमेशा सबरीमाला मुद्दे पर पूजा में लैंगिक समानता की वकालत करते रहे थे। उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सेना की सहायता से लागू किया जाना चाहिए।
I am happy that SC has decided that gender equality in worship is to be followed in Sabarimalai. This what I had been advocating
— Subramanian Swamy (@Swamy39) September 28, 2018
बाद में डॉ स्वामी ने सबरीमाला मुद्दे पर अपनी स्थिति बदल ली और सुझाव दिया कि सर्वोच्च न्यायालय को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
इस लेख के दौरान, हम डॉ स्वामी के वैज्ञानिक दावे की जांच करेंगे कि सबरीमाला मंदिर के अंदर अद्वितीय ‘गुरुत्वाकर्षण मैट्रिक्स’ महिलाओं में आनुवंशिक उत्परिवर्तन का कारण हो सकता है जिससे उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
गुरुत्वाकर्षण मैट्रिक्स क्या है?
डॉ स्वामी ने दावा किया कि ‘गुरुत्वाकर्षण मैट्रिक्स’ जैसा कुछ केवल सबरीमाला मंदिर में गुरुत्वाकर्षण बल के रूप में है। न्यूटन और आइंस्टीन समेत कइयों के सिद्धांतों ने गुरुत्वाकर्षण की व्याख्या करने की कोशिश की है — वह तथ्य, जिससे द्रव्यमान और ऊर्जा के साथ सबकुछ एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होती है। गुरुत्वाकर्षण का मैट्रिक्स सिद्धांत आइंस्टीन के अनुमान का एक प्रस्तावित सिद्धांत है।
गुरुत्वाकर्षण वह आकर्षण बल है जो हमें पृथ्वी पर खींचता है और हमें अपने गोलाकार ग्रह से नीचे गिरने से बचाता है। कम से कम बोधात्मक रूप से, पूरी पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वाकर्षण की यह शक्ति काफी हद तक समान है। पूरी पृथ्वी की सतह पर समुद्र तल से जमीन की ऊंचाई में बदलाव के कारण, गुरुत्वाकर्षण शक्तियों में कुछ भिन्नता हो सकती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हम पृथ्वी पर समुद्र तल से जितनी ऊंचाई में जाते हैं, उसी अनुसार गुरुत्वाकर्षण बदलता है।
नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मानचित्र में बेहद संवेदनशील एक्सेलेरोमीटर हैं जिन्होंने पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को 3 अरब से अधिक बिंदुओं के साथ मैप किया है। उच्च रिजोल्यूशन के इस रूप में, गुरुत्वाकर्षण त्वरण (मानक जी = 9.80665 m/s2) द्वारा मापे गए गुरुत्वाकर्षण में भिन्नता थी, यानी, गुरुत्वाकर्षण के कारण मुक्त रूप से गिरती हुई किसी वस्तु द्वारा प्राप्त गति। उदाहरण के लिए, पेरू के माउंट नेवाडो हुआस्करन में सबसे कम गुरुत्वाकर्षण त्वरण 9.7639 m/s2 होता है, जबकि आर्कटिक महासागर की सतह पर उच्चतम 9.8337 m/s2 होता है। अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण की कमी या न्यूनतम होने के विपरीत, पृथ्वी पर, असमान भू-तलों के कारण यह अंतर केवल 0.7% है, और मनुष्यों जैसे किसी भी जीवित जीव पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
आनुवंशिक उत्परिवर्तन क्या है?
हमारे शरीर की अनुवांशिक सामग्री के पूरे सेट को हमारा जीनोम कहा जाता है- जो गुणसूत्रों (DNA) के छोटे-छोटे बंडलों में पैक रहता है। हमारे गुणसूत्र हमारे कोशिकाओं के नाभिक में रहते हैं, जो वृद्धि, विकास और अन्य शारीरिक कार्यों के लिए अनुवांशिक सूचना (या जीन) रखते हैं। यह अनुवांशिक सामग्री (जीनोटाइप) काफी हद तक विरासत में आती है और नवजात शिशु की ऊंचाई, त्वचा का रंग या आंखों का रंग जैसी भौतिक विशेषताओं (फेनोटाइप) को निर्धारित करती है। ये जीन डीएनए के कई अणुओं से बने होते हैं जिन्हें उत्परिवर्तन/म्युटेशन से बदला जा सकता है।
हालांकि, इस अनुवांशिक सामग्री को बदलने के अन्य तरीके हैं। जबकि उत्परिवर्तन, जेनेटिक सामग्री में होने वाले स्थायी परिवर्तन होते हैं जो कि जीन की प्रतिकृति, जो कि नए सेल गठन और विकास की एक सतत प्रक्रिया है, के दौरान, या तो अचानक/अनियमित रूप से हो सकते हैं; या फिर, बाहरी प्रभाव जैसे रसायनों या पराबैंगनी किरणों के लंबे समय तक संपर्क में भी उत्परिवर्तन हो सकता है। हालांकि, इनमें से अधिकतर उत्परिवर्तन हानिरहित हैं, और आपके शरीर के आंतरिक तंत्र द्वारा स्वचालित रूप से ‘निबटाए’ जा सकते हैं, फिर भी, उनमें से एक छोटा सा अंश या तो इंसानों के लिए हानिकारक या फायदेमंद भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ खास उत्परिवर्तन एचआईवी का प्रतिरोध प्रदान कर सकते हैं, जबकि अन्य, अक्सर कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं। उदाहरण के लिए, त्वचा कैंसर या मेलेनोमा लंबे समय तक सूर्य के संपर्क के कारण होता है जो त्वचा की मेलेनिन वर्णक कोशिकाओं में उत्परिवर्तन कर सकता है।
यहां तक कि यदि सबरीमाला मंदिर परिसर में कुछ उत्परिवर्तन कारक वस्तु है, तो यह सिर्फ 10-50 वर्ष की उम्र के महिलाओं में चुनिंदा और सटीक रूप से उत्परिवर्तन का कारण नहीं बन सकता, और न ही, शेष महिला और पुरुष भक्तों को सूर्य की पराबैंगनी किरणों की तरह छोड़ सकता है।
क्या स्त्री शरीर और सबरीमाला के बीच कोई संबंध है?
अधिकांश शारीरिक कार्यों की तरह मासिक धर्म में बहुत परिवर्तनशीलता है। मासिक धर्म शुरू होने की आयु और रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म का अंत) अक्सर 10-50 वर्ष की आयु सीमा से परे चले जाती है। महिलाओं में सामान्यतः और प्राकृतिक रूप से 9 साल की कम उम्र में मासिक धर्म शुरू हो जाता है और अक्सर 50 वर्ष से अधिक उम्र तक जारी रहता हैं। मासिक धर्म या प्रजनन क्षमता के लिए आयु निर्धारण उचित नहीं है। फिर भी, गुरुत्वाकर्षण में छोटे बदलावों का मासिक धर्म वाली महिलाओं के शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, जब तक कि वे अंतरिक्ष में न हों, जहां स्वच्छता एक तर्कसंगत मुद्दा है।
महिला अंतरिक्ष यात्रियों पर अध्ययन से पता चला है कि अंतरिक्ष की उड़ान जैसे बड़े गुरुत्वाकर्षण परिवर्तनों का महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य या प्रजनन क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ा। संदर्भ के लिए, अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पृथ्वी का लगभग 90% गुरुत्वाकर्षण है। यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल से लगभग 9-10% की कमी मांसपेशियों और हड्डियों जैसे सहायक ऊतकों को छोड़कर स्त्री-पुरुष किसी की प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करता है।
निष्कर्ष
इसलिए, पृथ्वी पर किसी भी छोटे गुरुत्वाकर्षण परिवर्तन के कारण, कोई लघु या दीर्घकालिक शारीरिक क्षति, किसी विशेष लिंग या आयु समूह में भी, संभव नहीं है।
थोड़ी वैज्ञानिक समझ के साथ देखें, तो डॉ स्वामी के ट्वीट्स खास तरह की समस्या पैदा करने वाले हैं; क्योंकि वे, एक विशेष आयु वर्ग की महिलाओं पर प्रतिबंध के लिए यह सुझाव देकर कि यह उनकी स्वास्थ्य रक्षा के लिए उनके पक्ष में था, प्रतिबंध के प्रचलित तर्कों को बदल रहे हैं।
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