प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने लोक कल्याण मार्ग निवास का वीडियो शेयर किया जिसमें वे मोरों के साथ नज़र आ रहे थे. जल्दी ही तक़रीबन सभी मेनस्ट्रीम मीडिया आउटलेट्स ने इसे दिखाना शुरू कर दिया. लेकिन इन तस्वीरों की सोशल मीडिया पर जम कर आलोचना भी शुरू हुई और महामारी काल में प्रोपेगेंडा फ़ैलाने का आरोप लगाया गया.

मोर के साथ वीडियो वायरल होने के बाद कई लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी की बतख के साथ तस्वीरें शेयर कीं. कांग्रेस पार्टी ने ऐसी ही एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “…तीसरे सबसे अधिक प्रभावित देश का नेता लोगों की मदद करने की बजाय पीआर वीडियोज़ बना रहा है.”

आर्टिस्ट कारालिसा मोंटेरो (Caralisa Monteiro) ने नरेन्द्र मोदी की एक अन्य तस्वीर शेयर की जिसमें वे बतखों से घिरे हुए हैं. नरेंद्र मोदी अख़बार पढ़ते नज़र आ रहे हैं और उनके बगल में एक लैपटॉप और कुछ किताबें रखी हुई हैं. उन्होंने लिखा, “एक ही साथ 2 किताबें, एक अख़बार, और लैपटॉप  पढ़ने के साथ परफे़क्ट पोज़ मारने का टैलेंट. और महामारी के बीच ऐसा शांत चित्त.”

एक और ट्विटर हैंडल @SpiritOfCongress ने यही फ़ोटो शेयर करते हुए इस फ़ोटो के कोविड-19 महामारी के बीच खींचे जाने की बात कही.

पुरानी तस्वीरें

तस्वीर 1

जो तस्वीर कांग्रेस ने ट्वीट की थी वो सन्डे गार्डियन के एडिटोरियल डायरेक्टर माधव दास नलपत के 2012 के ब्लॉग पोस्ट पर मिली. ये तस्वीर भी 2012 की ही है. उन्होंने मोदी के गुजरात मुख्यमंत्री रहते समय इंटरव्यू लिया था. उनका इंटरव्यू सन्डे गार्डियन में छपा था. माधव दास के ब्लॉग पोस्ट पर बतखों के साथ मोदी की कई तस्वीरें हैं.

तस्वीर 2

कारालिसा ने जो तस्वीर ट्वीट की है उसका डुप्लीकेट नहीं मिल पाया. हालांकि ऐसी ही एक तस्वीर rediff.com पर सितम्बर 2013 में पब्लिश की गयी थी.

ये तस्वीर भी 2012 की ही है. पीएम मोदी ने पिछली तस्वीर जैसे ही कपड़े इसमें भी पहने हुए हैं. इसके अलावा, माधव दास नलपत के ब्लॉग पोस्ट पर और भी कई तस्वीरें हैं जिसमें मोदी एक ही किताब (अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा पर केन्द्रित) पढ़ते देखे जा सकते हैं.

यानी, पीएम मोदी की पुरानी तस्वीरों को हाल का बताकर शेयर किया गया. शेयर करने में कांग्रेस भी शामिल है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इन तस्वीरों का पहले फै़क्ट चेक किया था और कहा था कि ये 2013 की हैं. लेकिन जैसा कि इस फै़क्ट चेक में बताया गया है, ये तस्वीरें 2012 की हैं.

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a researcher and trainer at Bellingcat with a focus on human rights and conflict. She has a Master's in Data Journalism from Columbia University and previously worked at Alt News.