18 मई को कई बड़े भाजपा नेताओं ने धड़ल्ले से एक दस्तावेज़ शेयर करना शुरू किया. दावा किया जा रहा था कि इसे ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी (AICC) ने सोशल मीडिया की और ज़मीनी रणनीतियों के दम पर “मोदी सरकार और देश में तमाम भाजपा सरकारों को घेरने” के मकसद से तैयार किया गया था.

ये दस्तावेज़ दो हिस्सों में शेयर किये गए – कोविड-19 ‘टूलकिट’ के 4 पेज और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के मुद्दे पर 4 पन्नों की रीसर्च.

इस कथित टूलकिट में कांग्रेस कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों और समर्थकों से अपील की जा रही है कि वो ‘सुपर स्प्रेडर कुम्भ’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करें, ‘ईद पर जमा होने वाली भीड़ पर कुछ न कहें’, ‘कोविड की मदद के लिए उन्हीं यूज़र्स को प्रतिक्रिया दें जिन्होंने इंडियन यूथ कांग्रेस (IYC) को टैग किया हो’, ‘अंतिम संस्कार और शवों की व्यथित करने वाली तस्वीरें शेयर करें जैसा कि विदेशी मीडिया पहले ही कर रही है’ आदि. इसमें मीडिया वालंटियर्स को भारत में पाए गए नए कोविड वैरिएंट के लिए ‘मोदी स्ट्रेन’ लिखने-बोलने की सलाह भी दी जा रही है. इसके अलावा भी कई अन्य बातें कही गयी हैं.

दस्तावेजों के दूसरे भाग में नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा के पुनर्निर्माण का विश्लेषण किया गया है. इस भाग में सेंट्रल विस्टा पर हो रहे खर्च की बात करते हुए कहा जा रहा है कि ये रकम कोरोना वैक्सीन, ऑक्सीजन सिलिंडरों और लोगों की आर्थिक मदद आदि में काम आ सकती थी लेकिन महामारी के बीच इसे सेंट्रल विस्टा पर खर्च किया जा रहा है. आगे इस प्रोजेक्ट के कारण पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर भी बात की गयी है.

इसे शेयर करते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने लिखा, “वैश्विक आपदा की घड़ी में उनका इस तरह ग़लत सूचना फैलाने का प्रयास निंदनीय है.”

इसे शेयर करने वाले अन्य भाजपा नेताओं में स्मृति ईरानी, तीरथ सिंह रावत, पियूष गोयल, राजवर्धन राठौर, तेजस्वी सूर्या, किरण रिजिजू, अनुराग ठाकुर, पीसी मोहन, हरदीप सिंह पुरी, शोभा करंदलाजे, बिरेन सिंह, प्रह्लाद जोशी, राहुल कस्वान, मनोज कोटक और डॉ विनय सहस्रबुद्धे शामिल हैं.

This slideshow requires JavaScript.

ABVP के ऑफ़िशियल ट्विटर हैंडल पर भी ये दस्तावेज़ शेयर किये गये. इसके अलावा, अमित मालवीय, संबित पात्रा, बीएल संतोष, तेजिंदर पाल सिंह बग्गा, सुनील देवधर, प्रीति गांधी, सुरेश नखुआ, संजू वर्मा, ओम प्रकाश ढांकर, चारू प्रज्ञा, वाई सत्य कुमार, सीटी रवि, सीटीआर निर्मल कुमार, आशीष चौहान और अनूप एजे ने भी इसे शेयर किया.

भाजपा समर्थक आनंद रंगनाथन, प्रशांत पटेल उमराव, अंकित जैन, प्रदीप भंडारी, शेफ़ाली वैद्या, शहज़ाद, विवेक अग्निहोत्री और अखिलेश मिश्रा भी इस होड़ में शामिल थे. ऑप इंडिया और इसकी संपादक नुपुर शर्मा और  स्वराज्य ने भी इस कथित ‘टूलकिट’ के ख़ुलासे का दावा किया.

तकरीबन सभी मीडिया आउटलेट्स ने भी कांग्रेस के इस तथाकथित ‘टूलकिट’ के बारे में ख़बरें चलाई.

कांग्रेस ने इस ‘टूलकिट को फ़र्ज़ी बताया

ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी (AICC) के रीसर्च विभाग के अध्यक्ष राजीव गौड़ा ने ऑल्ट न्यूज़ को बताया कि दस्तावेज़ में जो सोशल मीडिया और ज़मीनी स्तर पर रणनीति (जिसका टाइटल है: कोविड प्रबंधन की विफलता पर नरेंद्र मोदी और भाजपा को दरकिनार करना) की बात लिखी है उसे कांग्रेस ने तैयार नहीं किया. उन्होंने कहा, जिस भाग में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट (जिसका टाइटल है, ‘सेंट्रल विस्टा का पुनर्निर्माण: ‘महामारी के बीच वैनिटी प्रोजेक्ट) के बारे में लिखा है वो भी हमने नहीं बनाया है.

उन्होंने आगे कहा, “ये (सोशल मीडिया पर वायरल सेंट्रल विस्टा वाला हिस्सा) 6 पेज के दस्तावेज़ का एक हिस्सा है जो देश में नीतियों और अन्य मुद्दों के बारे में बताता है. उन्हें ये अवैध तरीके से प्राप्त हुआ होगा और इसी की नक़ल करके जाली लेटरहेड पर फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनाये गये.”

राजीव गौड़ा ने अपनी कार्यप्रणाली पर रोशनी डालते हुए कहा, “रीसर्च विभाग तीन स्तर पर काम करता है- एक विभाग कांग्रेस सांसदों की संसदीय कार्यों में मदद करता है. दूसरा विभाग ग़ैर-कांग्रेसी सरकारों की विफ़लताओं को उजागर करता है. और तीसरा विभाग आगामी योजनाओं को तैयार करने में मदद करता है.” उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर क्या बोलना है या क्या नहीं बोलना है, ये रीसर्च विभाग तय नहीं करता है. उन्होंने कहा, “हम तथ्यात्मक/फ़ैक्ट-चेक की गयी सूचनाओं पर ही केन्द्रित रहते हैं और उसी पर बहस करते हैं या बात कहते हैं.”

राजीव गौड़ा ने ट्वीट करते हुए ‘कोविड-19 कुप्रबंधन’ वाले दस्तावेज़ को ग़लत बताया.

जाली लेटरहेड

(नोट: इस आर्टिकल में कोविड-19 कुप्रबंधन दस्तावेज़ के चार पन्नों को कोविड-19 टूलकिट अथवा टूलकिट लिखा है और सेंट्रल विस्टा दस्तावेज़ को उसके नाम के रूप में ही संदर्भित किया गया है.)

सेंट्रल विस्टा के दस्तावेज़ का लेटरहेड कोविड-19 टूलकिट से मेल नहीं खाता है. गौड़ा के मुताबिक़, सेंट्रल विस्टा दस्तावेज़ पहले माइक्रोसॉफ़्ट वर्ड में बनाया गया था फिर उसके पीडीएफ़ वर्ज़न को आंतरिक तौर से वितरित किया गया. दस्तावेज़ में अलग-अलग लोग अपने हिसाब से फ़ॉर्मेट और बॉडी में बदलाव तो कर सकते हैं लेकिन पन्नों का हेडर और फ़ुटर एक ही रहता है.

नीचे तस्वीर में साफ़ दिखता है कि कोविड-19 टूलकिट में टेक्स्ट पतला है और पेज नंबर लिखने में भी अंतर हैं. सेंट्रल विस्टा में पहले पेज को ‘I’ लिखा है वहीं दूसरे पेज में ‘1’ लिखा है.

राजीव गौड़ा ने ऑल्ट न्यूज़ के साथ AICC रीसर्च के दस्तावेज़ शेयर किये. हमने पाया कि सेंट्रल विस्टा के फ़ॉन्ट और स्टाइल, शेयर किये जा रहे दस्तावेज़ से मेल खाते हैं लेकिन टूलकिट वाले दस्तावेज़ में फ़र्क साफ़ मालूम पड़ता है. इससे पता चलता है कि टूलकिट को मॉर्फ़ किया गया है. गौड़ा ने कहा, “मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वो असली दस्तावेज़ लाकर दिखाएं. हम फ़ॉरेंसिक में इसकी जांच करवाकर उनके झूठ को सबके सामने लायेंगे.”

हेडर में इस्तेमाल किये गये फ़ॉन्ट का अंतर भी नीचे की तस्वीर में देख सकते हैं. सभी पन्नों पर ऊपर बाईं तरफ़ ‘May 2021’ लिखा है लेकिन टूलकिट वाले पेज पर ‘M’ अलग फ़ॉन्ट से लिखा गया है.

कोविड-19 टूलकिट में फ़ुटर अव्यवस्थित तरीके से अलाइन हुए दिख रहे हैं लेकिन ओरिजिनल डॉक्युमेंट में लिंक्स और मार्जिन व्यवस्थित और बराबरी से लगे हुए हैं.

एडिट किये हुए दस्तावेज़ का विश्लेषण

प्रियंका गांधी समेत अन्य कांग्रेस नेताओं द्वारा टूलकिट को फ़र्ज़ी बताये जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने कुछ तस्वीरें शेयर कीं और कहा कि ये टूलकिट की प्रॉपर्टीज़ हैं.

इसके बाद राजीव गौड़ा ने एक और ट्वीट करते हुए बताया कि AICC ने सेंट्रल विस्टा पर वाकई एक दस्तावेज़ तैयार किया था लेकिन कोविड-19 टूलकिट वाला जाली दस्तावेज़ खुद भाजपा ने तैयार करवाया है.

उन्होंने आगे कहा कि संबित पात्रा सेंट्रल विस्टा का मेटाडेटा दिखा कर इसके साथ फ़र्ज़ी दतावेज़ भी जोड़ रहे हैं.

राजीव ने ऑल्ट न्यूज़ से AICC का सेंट्रल विस्टा पर बनाया 6 पन्नों का पूरा दस्तावेज़ शेयर किया (पीडीएफ़ देखें). हमने भी जब इस डिजिटल डॉक्युमेंट की डीटेल्स देखीं तो मालूम चला कि इसकी प्रॉपर्टी में वही जानकारी दिखाई दी जो BJP सदस्यों द्वारा शेयर किये गए डॉक्युमेंट में दिख रही थी.

This slideshow requires JavaScript.

गौर करने वाली बात है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 6 पन्नों का दस्तावेज़ है और संबित पात्रा द्वारा शेयर किये गए स्क्रीनशॉट से भी यही मालूम चलता है. लेकिन सोशल मीडिया पर कुल 8 पेज शेयर किये गये जिनमें सेंट्रल विस्टा पर रीसर्च के 4 पन्ने और कोविड-19 टूलकिट के 4 पन्ने शमिल हैं. ये साफ़ है कि दोनों दस्तावेज़ अलग हैं और संबित पात्रा ने जो डिटेल्स शेयर कीं वो उसी दस्तावेज़ की हैं जिनके सही होने की गारंटी कांग्रेस ले रहा है. भाजपा ने कोविड-19 टूलकिट के डिजिटल फ़ुटप्रिंट्स नहीं दिखाये. ऊपर दिए गये स्क्रीनशॉट से साफ़ है कि संबित पात्रा ने जो मेटाडेटा शेयर किया वो ‘सेंट्रल विस्टा वैनिटी प्रोजेक्ट AICC’ नाम के डॉक्युमेंट का है.

टूलकिट में दी गयी सोशल मीडिया रणनीति के प्रयोग में लाये जाने का कोई सबूत नहीं

टूलकिट होता क्या है? ये भविष्य के लिए रणनीतियों और गतिविधियों की सूची है कि आगे क्या काम करने हैं और कैसे करने हैं. कोविड-19 टूलकिट में बताया गया है कि सोशल मीडिया पर क्या मेसेज प्रसारित करना है और ज़मीनी स्तर पर कौन से कदम उठाये जाने हैं.

हालांकि इस टूलकिट में जिस तरह के कदम उठाये जाने के निर्देश लिखे गए थे, उस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं. एक ऐसा दस्तावेज़, जिसमें ये बताने की कोशिश की गयी है कि मई 2021 और उसके बाद किस तरह से काम करना है, उससे मिलती-जुलती कई घटनाएं अप्रैल में ही हो चुकी दिखती हैं.

मई में तैयार किये गये इन दस्तावेज़ों में लिखा है, “भारत में अंतर्राष्ट्रीय मीडिया कवरेज और विदेशी संवाददाताओं की रिपोर्टिंग का इस्तेमाल मोदी और उनकी विफ़लता पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए किया जा सकता है.” लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मीडिया अप्रैल की शुरुआत से ही कोरोना को लेकर मोदी सरकार की आलोचना कर रहा था.

भाजपा सरकार के ‘नागरिकों को सरकार से जुड़ने और सुशासन’ की ख़ातिर बनाए गए पोर्टल ‘MyGov India’ के पूर्व डायरेक्टर अखिलेश मिश्रा ने राहुल गांधी का एक इंस्टाग्राम पोस्ट शेयर किया जिसमें कोरोना मरीज़ों का अंतिम संस्कार दिखाया जा रहा है. अखिलेश ने इसके साथ अंतिम संस्कार के दृश्य वाले द न्यू यॉर्क टाइम्स के एक आर्टिकल का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया है. राहुल गांधी का पोस्ट 29 अप्रैल का है जबकि द न्यू यॉर्क टाइम्स का आर्टिकल 25 अप्रैल का. फिर भी अखिलेश मिश्रा ने दावा किया कि ‘टूलकिट’ की वजह से ये रिपोर्ट पब्लिश हुई जबकि हकीकत ये है कि ये कथित डॉक्युमेंट उसके कुछ हफ़्तों बाद बनाया गया दिखाया जा रहा है.

अखिलेश मिश्रा कई भाजपा समर्थक प्रोपगेंडा पेज से जुड़े हैं. ऑल्ट न्यूज़ की ‘बीजेपी कनेक्शन’ के बारे में विस्तृत रिपोर्ट आप यहां पर पढ़ सकते हैं.

टूलकिट में कुछ ऐसे शब्द और वाक्यों का बार-बार इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है ताकि सोशल मीडिया पर एक नेरेटिव बनाया जा सके. ऑल्ट न्यूज़ ने चेक किया कि क्या कांग्रेस के सदस्य या वॉलंटियर्स या सोशल मीडिया यूज़र्स इन शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं. हमने पाया कि ऐसा नहीं है. इन शब्दों का इस्तेमाल करनेवाले ज़्यादातर लोग कांग्रेस से जुड़े हुए नहीं थे.

राजीव गौड़ा ने हमें बताया कि सेंट्रल विस्टा रीसर्च आंतरिक रूप से 7 मई से प्रसारित हो रही थी. COVID-19 टूलकिट के हर-एक पेज पर उपर के बाएं कोने में ‘May 2021’ लिखा है. लेकिन इस महीने के लगभग 3 हफ़्तों में इनमें से कोई भी ‘योजना’ लागू नहीं की गई है.

अगर ट्विटर पर ‘सुपर स्प्रेडर कुम्भ’ सर्च करें तो हाल के सभी ट्वीट्स भाजपा समर्थक या भाजपा हैन्डल्स की मिलती हैं जो उन्होंने कांग्रेस टूलकिट के संदर्भ में की हैं. बाद में हमने अपना सर्च 17 मई तक बढ़ाया. उस वक़्त तक ये डॉक्युमेंट शेयर नहीं किया जा रहा था. इन शब्दों के साथ महज़ 15 ट्वीट ही ऐसे मिले जिसे कम से कम 1 बार रीट्वीट किया गया हो. आप, खुद भी यहां पर देख सकते हैं. इनमें से एक भी ट्वीट किसी भी कांग्रेस कार्यकर्ता का नहीं है.

टूलकिट में एक और जगह पर कांग्रेस सदस्यों को नए कोरोना म्यूटेन्ट के बारे में बताते हुए ‘इंडियन स्ट्रेन’ शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. इसमें ये भी कहा गया है कि सोशल मीडिया वॉलंटियर्स नए स्ट्रेन को ‘मोदी स्ट्रैन’ कह सकते हैं. ‘इंडियन स्ट्रेन’ का इस्तेमाल ज़्यादातर मीडिया ने ही किया जिसमें विदेशी और भारतीय, दोनों मीडिया शामिल हैं. 1 से 17 मई के बीच सिर्फ़ 5 हैन्डल्स से ही ‘मोदी स्ट्रेन’ का इस्तेमाल किया गया है जिसे 1 रीट्वीट भी मिला हो. और ये तो कहा ही जा सकता है कि 5 ट्वीट्स से कोई कैम्पैन नहीं बनता है. सोशल मीडिया प्रोपगेंडा के लिए एक समय पर एक ही नेरेटिव वाले सैंकड़ों ट्वीट्स करने पड़ते हैं.

भाजपा सदस्य अपने दावे के समर्थन के लिए व्यापक रूप से लंदन की लेखिका सोनिया फ़ेलेरो का ट्वीट शेयर कर रहे हैं. लेकिन न ही सोनिया ने ‘स्ट्रेन’ (उनके ट्वीट में ‘वेरियेंट’ लिखा है) शब्द का इस्तेमाल किया गया और न ही वो कांग्रेस से जुड़ी हुई हैं.

हमें और भी कई ट्वीट्स मिले जिसमें ‘मोदी वेरियेंट’ या #ModiVariant का इस्तेमाल किया गया है. इसमें प्रमुख ट्वीट्स अपर्णा जैन और सीमा चिश्ती के हैं लेकिन ये दोनों कांग्रेस सदस्य नहीं हैं.

आगे, ‘टूलकिट में वरिष्ठ भाजपा नेताओं के लिए विशिष्ट विशेषण का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है. जैसे कि ‘मिसिंग’ अमित शाह, ‘क्वारंटाइन’ जयशंकर, ‘साइडलाइन्ड’ राजनाथ सिंह, ‘इंसेन्सिटिव’ निर्मला सीतारमण.

ट्विटर पर गृह मंत्री के ‘मिसिंग’ होने की बात तब सामने आई थी जब NSUI के जनरल सेक्रेटरी नागेश कारियप्पा ने दिल्ली पुलिस में अमित शाह के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी. उनका कहना था कि जब देश ऐसे संकट से गुज़र रहा है तब अमित शाह गायब है. इसमें से ज़्यादातर ट्वीट्स उनकी कम्प्लेंट के बारे में ही हैं.

‘क्वारंटाइन’ जयशंकर सर्च करने पर हमें ऐसा कोई ट्वीट नहीं मिला जिसमें विदेश मंत्री के लिए ‘क्वारंटाइन’ विशेषण का इस्तेमाल किया गया हो. लेकिन ‘साइडलाइन्ड’ राजनाथ सिंह और ‘इंसेन्सिटिव’ निर्मला सीतारमण सर्च करने पर हमें कुछ ट्वीट्स ज़रूर मिले. इन शब्दों का बार-बार इस्तेमाल करने से ही इसकी छाप छोड़ी जा सकती है. प्रोपगेंडा तब ही बनाया जा सकता है जब बार-बार इन शब्दों का इस्तेमाल किया जाए. लेकिन यहां इन शब्दों का इस्तेमाल बहुत कम या न के बराबर ही हुआ है.

डॉक्युमेंट में ये भी दिखाया जा रहा है कि ऐसे COVID SOS मेसेज पर जवाब न दिए जायें जिसमें इंडियन यूथ कांग्रेस (IYC) को टैग न किया गया हो. नीचे स्क्रीनशॉट में IYC नेशनल प्रेसिडेंट श्रीनिवास बीवी को पत्रकार आदित्य राज कौल के ट्वीट पर जवाब देते हुए देखा जा सकता है जिसमें उन्हें या संगठन को टैग नहीं किया गया है.

ऐसे कई और उदाहरण हैं. जैसे श्रीनिवास ने भाजपा सांसद हंसराज हंस को भी जवाब दिया है जिन्होंने #SOS और #SOSDelhi का ही इस्तेमाल किया था.

श्रीनिवास ने रूबिका लियाकत के ट्वीट के बाद एक व्यक्ति को ऑक्सीजन सिलिन्डर देते हुए तस्वीर ट्वीट की थी. रुबिका ने भी IYC को टैग नहीं किया था.

राजीव गौड़ा और कांग्रेस सोशल मीडिया डिपार्टमेंट चेयरमैन रोहन गुप्ता ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर से भाजपा नेता जेपी नड्डा, संबित पात्रा, स्मृति ईरानी, बीएल संतोष और अन्य नेताओ पर “AICC के रीसर्च डिपार्टमेंट के लेटरहेड के साथ छेड़छाड़ करने और उसके बाद झूठा और मनगढ़ंत कॉन्टेंट छापने” के बारे में शिकायत की है.

ऑल्ट न्यूज़ की इस विस्तृत जांच में सामने आया कि कथित टूलकिट के AICC रीसर्च डिपार्ट्मेन्ट के लेटरहेड में बदलाव किये गए हैं जिससे इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठ रहे हैं. डॉक्युमेंट के कॉन्टेंट की जांच में सामने आया कि ये उन चीज़ों की बात करता है जो भविष्य में की जाएगी लेकिन ऐसी घटनाएं पहले ही हो चुकी हैं. भाजपा ने सिर्फ़ टूलकिट के स्क्रीनशॉट्स शेयर किये हैं. लेकिन अब तक उन्होंने मूल डॉक्यूमेंट – PDF या माइक्रोसॉफ़्टवर्ड वर्ज़न नहीं दिखाया है. मूल डॉक्युमेंट के बिना भाजपा का दावा झूठा साबित होता है, खासकर तब, जब ‘टूलकिट’ AICC के रीसर्च विंग के मूल लेटरहेड का इस्तेमाल कर बनाया गया हो.

डोनेट करें!
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.

बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Tagged: