कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने फेफड़ों के 3D CT स्कैन की 2 तस्वीरें शेयर कीं. दावा किया गया कि इनमें से एक तस्वीर कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ के फेफड़ों की है, जिसे वैक्सीन दी जा चुकी है जबकि दूसरी तस्वीर में बिना वैक्सीन लगाए कोरोना मरीज़ के फेफड़े दिखते हैं.

नई दिल्ली म्यूनिसपल काउन्सिल के रजिस्ट्रार और इंटरनेशनल इनॉक्यूलेशन सेंटर के हेड डॉ. सुमित दुबे ने वायरल तस्वीर के साथ टीकाकरण को बढ़ावा देते हुए ट्वीट किया. आर्टिकल लिखे जाने तक उनके ट्वीट को 2 हज़ार बार रीट्वीट किया गया है. भाजपा समर्थक ट्विटर हैन्डल ‘@RenukaJain6’ ने भी ये दावा किया है.

भाजपा आंध्र स्टेट जनरल सेक्रेटरी एस विष्णु वर्धन रेड्डी ने भी ये तस्वीर ट्वीट की है.

कई फ़ेसबुक पेज और यूज़र्स ने ये तस्वीर पोस्ट की है जिसमें ‘Sri Babu Singh Jai Singh Ayurvedic Medical College & Hospital‘ भी शामिल है.

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इस दावे को कई और माध्यमों से भी शेयर किया गया है. सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे एक वीडियो में एक व्यक्ति ऐसे ही एक्स-रे रिपोर्ट की बात करता है. पाकिस्तान के पॉज़िटिव मीडिया कम्यूनिकेशन के CEO ओमर आर कुरेशी ने भी ये वीडियो ट्वीट किया.

ट्विटर यूज़र शाज़िया शाफ़ी ने स्कैन के कुछ सेट्स के साथ ये दावा शेयर किया है. इस ट्वीट को रेडियो मिर्ची की आरजे महक ने रीट्वीट किया है.

ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर और मोबाइल अप्लिकेशन (AndroidiOS) पर इस तस्वीर की जांच के लिए कुछ रीक्वेस्ट आयी हैं.

फ़ैक्ट-चेक

तस्वीर में फेफड़ों का CT स्कैन दिखाया गया है. लेकिन इसमें से सिर्फ़ एक तस्वीर कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ की है. बायीं ओर की तस्वीर किसी स्वस्थ व्यक्ति के फेफड़े की है जबकि दायीं ओर की तस्वीर कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ की है.

ये तस्वीर कनाडियन न्यूज़ आउटलेट Richmond News ने साल 2020 में पब्लिश की थी. इस आर्टिकल की हेडलाइन के मुताबिक, “नई रिसर्च का उद्देश्य है CT स्कैन के इस्तेमाल से COVID-19 का बेहतर इलाज करना”.

रिपोर्ट के मुताबिक, वैनकूवर जनरल हॉस्पिटल (VGH) के रिसर्चर और रेडियोलॉजिस्ट ने बाताया कि द यूनिवर्सिटी ऑफ़ ब्रिटिश कोलम्बिया (UBC) और द वैनकूवर कोस्टल हेल्थ रिसर्च इंस्टिट्यूट (VCHRI) की इंटरनेशनल स्टडी का उद्देश्य है कि कैसे कोरोना वायरस की उपस्थिति का अनुमान CT स्कैन की मदद से बेहतर तरीके से लगाया जा सकता है.

VGH में इमरजेंसी एंड ट्रॉमा रेडियोलोजी के डायरेक्टर डॉ. सावास निकोलाऊ ने रिचमंड न्यूज़ को बताया कि कोरोना मरीज़ के फेफड़े सफ़ेद और धुंधले होते हैं. उन्होंने कहा, “फ़िलहाल हम बीमारी की तीव्रता और अलग-अलग जगहों के मरीज़ों पर इसके क्लीनिकल प्रभाव का अनुमान नहीं लगा सकते. हमें विश्वास है कि ये नया टूल हमारी मदद करेगा”.

फ़रवरी में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वाशिंगटन के इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ मीट्रिक्स एंड इवैल्युएशन में प्रोफ़ेसर विन गुप्ता ने ये वायरल तस्वीर ट्वीट करते हुए कहा कि इसमें लेफ़्ट साइड में दिख रहे फेफड़े नॉर्मल हैं जबकि राइट साइड वालों को लाइफ़ सपोर्ट की ज़रूरत पड़ेगी. उन्होंने ये तस्वीर ये बताने के लिए शेयर की थी जिससे लोग टीका लगवाने के प्रति जागरूक हो सकें. आगे की जानकारी के लिए CNBC की रिपोर्ट पढ़ें.

ये तस्वीर UBC और VCHRI ने भी इस्तेमाल की थी.

ऑल्ट न्यूज़ साइंस की फ़ाउन्डिंग एडिटर डॉक्टर सुमैया शेख ने अपनी राय दी, “कोविड-19 वैक्सीन लोगों में लक्षणों को और मौतों को रोकेगी. सीटी स्कैन के ज़रिये जो दावे किये जा रहे हैं, वो ग़लत हैं लेकिन ये बात एकदम सही है कि वैक्सीन लेने से आपके फेफड़ों की सेहत दुरुस्त रहेगी और वो तस्वीर में दिख रहे हालात तक नहीं पहुंचेंगे.”

इसलिए, वायरल हो रही तस्वीर में उन दो फेफड़ों की तुलना नहीं दिखाई जा रही है जिसमें एक शख्स को टीका लग चुका है और दूसरे को नहीं. इस तस्वीर में एक स्वस्थ इंसान के फेफड़ों की कोविड-19 के मरीज़ के फेफड़ों से तुलना की गयी है.


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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.