25 अक्टूबर को, दैनिक भास्कर ने मानव तस्करी के एक कथित मामले पर रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें झारखंड की 20 वर्षीया महिला सुनीता टोप्पो को नौकरी के झूठे बहाने से दिल्ली में एक परिवार को बेचा गया था। दैनिक भास्कर के अनुसार रांची के मांडर की वह तीसरी पीड़िता थी।

इसके बाद की रिपोर्टों में, इस मीडिया संस्थान ने CBI प्रमुख आलोक वर्मा के निवास पर सुनीता के बंधक रहने की अटकलबाजियां की।(1,2,3)

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट समय से पहले ही आ गई थी। जांच चल रही थी और सुनीता का उसके कथित अपराधियों की पहचान पर बयान देना बाकी था। केवल अटकलों के आधार पर दैनिक भास्कर ने कई रिपोर्टें कर डालीं, क्योंकि मामले में शामिल व्यक्ति का नाम सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के समान था। ऑल्ट न्यूज़ ने दिल्ली पुलिस से पुष्टि की कि श्री वर्मा का इस मामले से कोई संबंध नहीं था।

दैनिक भास्कर ने कैसे इस घटना की गलत तरीके से रिपोर्ट की और एक काल्पनिक दिशा दी, इसे यहां बताया जा रहा है।

दैनिक भास्कर की 25 अक्टूबर की रिपोर्ट – ‘सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा’ कहीं नहीं

25 अक्टूबर को दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के तंगार बसली की निशा देवी नामक महिला ने सुनीता को दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसी को बेच दिया था। यह एजेंसी यमुना और अशोक द्वारा चलाई जाती थी। सुनीता को वसंत विहार में रहने वाले अमीया वर्मा के यहां काम पर लगा दिया गया। दैनिक भास्कर ने बताया कि सुनीता को घर में बंदी बना लिया गया और काम के लिए भुगतान नहीं किया जाता था। उसके पैसो को सीधे यमुना और अशोक को भेजा जाता था।

रिपोर्ट के अंत में था कि सुनीता के परिवार के सदस्यों ने अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए पुलिस से अनुरोध किया था। मगर इसके बाद की इस हिंदी मीडिया संस्थान की सभी रिपोर्टिंग में ‘सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा’ का उल्लेख किया गया था।

दैनिक भास्कर की 26 अक्टूबर की रिपोर्ट

यह पहला उदाहरण था जब समाचार संगठन ने आरोपी की पहचान को लेकर अटकलों का सहारा लिया। दैनिक भास्कर की 26 अक्टूबर की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि सुनीता को सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के निवास से बचाया गया था, जहां उसे पिछले तीन महीनों से बंदी रखा गया था। वर्मा, शीर्ष जांच एजेंसी के विवादों के केंद्र में रहे हैं।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, “वर्मा सीबीआई निदेशक हैं या कोई और…इस पर सभी खामोश हैं। दिल्ली पुलिस ने इसका खंडन किया है।”

हालांकि, इसके तुरंत बाद लिखा गया था – “महिला आयोग की मदद से सुनीता का रेस्क्यू किया गया, लेकिन वर्मा के सीबीआई निदेशक होने की चर्चा चलते ही आयोग के सभी सदस्यों के फोन बंद हो गए।”

इस रिपोर्ट में यह शामिल होने के बावजूद, कि दिल्ली पुलिस ने सुनीता को सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा द्वारा बंधक रखने की अफवाहों से इंकार किया है; दैनिक भास्कर ने अपनी अटकलबाजी को आगे बढ़ाते हुए, कुछ दिनों बाद एक और रिपोर्ट प्रकाशित की।

दैनिक भास्कर की 31 अक्टूबर की रिपोर्ट

31 अक्टूबर को प्रकाशित रिपोर्ट में इस मीडिया संस्थान ने कहा कि रांची पुलिस सोमवार को सुनीता को बचाने के बाद उसे घर ले जा रही थी।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, “हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ये आलोक वर्मा विवादों में फंसे सीबीआई निदेशक हैं या कोई और, इस मुद्दे पर दिल्ली महिला आयोग से लेकर रांची पुलिस तक चुप है।”

समाचार संगठन ने दावा किया कि जब उनकी ट्रेन बोकारो स्टेशन पहुंची तो उसके पत्रकारों ने सुनीता से बात करने का प्रयास किया। मगर एसएसपी योगेंद्र कुमार समेत पुलिस अधिकारियों ने महिला को दूर कर लिया। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट का शीर्षक इस घटना पर आधारित था – “सुनीता से भास्कर ने पूछा- कौन हैं आलोक वर्मा, पुलिस ट्रेन रुकवाकर उतरी“।

इस लेख में बाद में दैनिक भास्कर ने सुनीता के पुलिस को दिए बयान को शामिल किया – “सुनीता ने बयान में बताया कि वह आलोक वर्मा के यहां काम करती थी, मगर काम के पैसे नहीं दिए जाते थे..आलोक वर्मा कौन हैं पूछताछ के बाद ही यह साफ हो सकेगा।

दैनिक भास्कर ने घोषित किया कि सीबीआई के आलोक वर्मा ही वह व्यक्ति थे

1 नवंबर को प्रकाशित अगले लेख में दैनिक भास्कर ने लिखा, “झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण ने बताया कि पीड़िता सुनीता ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की फोटो देखकर उनकी पहचान की।” इस प्रकार, इसने घोषित किया कि भारत की शीर्ष जांच एजेंसी के प्रमुख अपने निवास पर घरेलू नौकरानी को बंदी बनाकर रखने में लिप्त थे।

इस घटना पर दैनिक जागरण की रिपोर्ट

दैनिक जागरण ने इस मामले में अपनी जांच की और 2 नवंबर को रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट का पहला वाक्य है- “सीबीआइ निदेशक नहीं, कंसल्टेंट आलोक वर्मा के घर बंधक थी पीड़िता।”

इस समाचार संगठन ने पाया कि सुनीता को दो घरों में काम करने के लिए लगाया गया था, जिसमें वित्तीय अधिकारी आलोक वर्मा के माता-पिता का निवास भी शामिल था। सुनीता ने वर्मा के बुजुर्ग पिता के लिए काम किया था। सुनीता की भर्ती को लेकर सभी बातचीत गोविंद शर्मा (आरोपी में से एक) और आलोक वर्मा की पत्नी अमीया के बीच हुई थी।

ऑल्ट न्यूज़ की जांच में तथ्यों का खुलासा

1. दिल्ली और रांची पुलिस का वक्तव्य : ऑल्ट न्यूज़ ने दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया, जिन्होंने एसएसपी रांची के साथ तथ्यों की पुष्टि करने के बाद कहा कि सुनीता को एक आलोक वर्मा के निवास से छुड़ाया गया था जो एक निजी फर्म में वित्तीय सहायक के रूप में काम करते हैं। पुलिस ने कहा कि आदमी की पहचान के बारे में इसलिए भ्रम पैदा हुआ क्योंकि उनका नाम सीबीआई प्रमुख से मेल खाता था।

ऑल्ट न्यूज़ ने सुनीता द्वारा दायर प्राथमिकी(FIR) को देखा, जिसमें तीन लोग – निशिया, आलोक वर्मा और गोविंद शर्मा – के नाम आरोपी के रूप में हैं।

सुनीता द्वारा दर्ज प्राथमिकी में आरोपी के रूप में तीन लोगों के नाम

एफआईआर में, सुनीता ने आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के रूप में संदर्भित नहीं किया है।

सुनीता द्वारा दर्ज प्राथमिकी की एक प्रति

2. आरोपी का पता सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के पते से मेल नहीं खाता है : हाल ही, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के चार अधिकारियों को सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के निवास के बाहर ‘ताक-झांक’ के लिए हिरासत में लिया गया था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यह 2 जनपथ पर था, जो सीबीआई निदेशक का आधिकारिक निवास है। एफआईआर में आरोपी आलोक वर्मा का पता 7/2, ब्लॉक बी, वसंत विहार बताया गया है, जो 2 जनपथ से करीब 10 किमी दूर है।

3. झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष का बयान : ऑल्ट न्यूज़ ने झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष कल्याणी शरण से संपर्क किया, जिन्हें दैनिक भास्कर ने यह कहते हुए उद्धृत किया था कि सुनीता ने उस व्यक्ति की पहचान सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के रूप में की जिसने उसे बंदी रखा था।

यह दावा करते हुए कि मीडिया में उनकी बात गलत तरीके से रखी गई, शरण ने कहा, “सुनीता ने मुझे नहीं बताया है कि वह व्यक्ति वास्तव में सीबीआई प्रमुख थे। इस देश में हजारों आलोक वर्मा हैं और यह पुलिस का काम है कि आरोपी की पहचान करने के लिए जांच करे।”

दिल्ली पुलिस के बयान और दैनिक जागरण की रिपोर्ट दैनिक भास्कर की गलत रिपोर्टिंग के मामले को इंगित करती है। सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा से नहीं जुड़े मामले की गलत तरीके से रिपोर्टिंग, सर्वाधिक पढ़े जाने वाले मुख्यधारा के मीडिया संस्थान द्वारा की गई और अभी तक कोई स्पष्टीकरण भी प्रकाशित नहीं किया गया है। हाल ही में, दैनिक भास्कर द्वारा गलत तरीके से रिपोर्टिंग करने के अन्य मामले सामने आए हैं, जिनमें दिल्ली में गोलीबारी के एक मामले को ‘कट्टर इंजीलवाद‘ कहना और दिल्ली निवासी अंकित गर्ग की हत्या को सांप्रदायिक रंग देना शामिल है।

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About the Author

Pooja Chaudhuri is a senior editor at Alt News.