17 नवंबर, 2022 को शीतल चोपड़ा नाम की ट्विटर यूज़र ने एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि ‘लव-जिहाद’ सच है. इस तस्वीर में गैर मुस्लिम लड़कियों के रेट लिखे हुए हैं.
1 सितम्बर, 2022 को एक @FltLtAnoopVerma नाम के एक यूज़र ने एक तस्वीर शेयर की और लिखा, “अगर ये डॉक्यूमेंट हिंदुस्तान के हर हिन्दू परिवार में पहुंच जाए तो शायद हम अपनी बेटी और बहनों को तेज़ी से बचाने की शुरुआत कर सकें.” इसमें ‘गैर मुस्लिम लड़कियों का रेट’ लिखा हुआ है.
इस कथित रेट कार्ड का एक और वर्ज़न मार्च 2021 में हुआ था वायरल
उस वक्त भी सोशल मीडिया यूज़र्स अख़बार की एक कटिंग शेयर कर रहे थे जिसपर लिखा था, “लड़की भगाओ – मुस्लिम बनाओ …और इनाम पाओ.” इसकी हेडिंग के नीचे अलग-अलग जगह और समाज की लड़कियों के लिए कथित रेट कार्ड बनाया हुआ है. ट्विटर यूज़र रेणुका ने ये कथित रेट कार्ड ट्वीट किया जिसे आर्टिकल लिखे जाने तक 100 से ज़्यादा लोग सच मानते हुए रीट्वीट भी कर चुके थे. लोगों ने आरोप लगाया कि ये ‘लव जिहाद’ बढ़ाने का तरीका है.
फ़ेसबुक पर इस पोस्ट से जुड़े कीवर्ड सर्च करने पर पता चलता है कि ये तस्वीर काफ़ी समय से वायरल थी.
पहले भी कई बार शेयर किया गया ये फ़र्ज़ी दावा
ऑल्ट न्यूज़ ने जून 2017 में सबसे पहली बार इस फ़र्ज़ी रेट कार्ड पर रिपोर्ट की थी. 2018 में अभिनेत्री कोइना मित्रा ने भी ये दावा शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग किया था.
2016 से फ़र्ज़ी दावा किया जा रहा
साल 2016 में अहमदाबाद मिरर ने इस रेट कार्ड पर एक स्टोरी की थी. ये तस्वीरें उसी समय से व्हाट्सऐप, फ़ेसबुक और अन्य प्लेटफ़ॉर्म्स पर शेयर की जा रही हैं. अहमदाबाद मिरर की स्टोरी ज़ी न्यूज़, दैनिक भास्कर मराठी, वन इंडिया, सहारा समय और India.com ने भी चलाई. इनमें से अधिकतर न्यूज़ आउटलेट्स ने इस वायरल मेसेज को संदेहपूर्ण बताया और लोगों से इसे आगे न शेयर करने की अपील की. ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट में बताया गया है कि वड़ोदरा पुलिस ने लोगों को इस मेसेज को शेयर करने से मना किया है और बताया कि ये मेसेज पुराना है. साथ ही, पुलिस ने इसपर जांच की बात भी की. APB न्यूज़ ने भी 2014 में पर्चे पर दिया ऐड्रेस वेरिफ़ाई करते हुए इसे फ़र्ज़ी बताया था.
इसके बाद 2017 में टाइम्स नाउ के पत्रकार राहुल शिवशंकर ने इसी कथित रेट कार्ड पर एक सनसनीखेज़ प्राइम टाइम शो किया. जबकि 2016 में ही पुलिस बता चुकी थी कि ये भड़काऊ मेसेज 2011 से ही शेयर किया जा रहा है, इसके बावजूद राहुल शिवशंकर ने इसकी सत्यता पर कोई सवाल नहीं किया.
కేరళలో ISIS హిందూ అమ్మాయిలను అమ్మకంకి పెట్టింది. అమ్మాయి యొక్క కులం బట్టి రేటు ఫిక్స్ చేసారు. ముందుగా ముస్లిం అబ్బాయిలు Tution centres, విద్యా సంస్థలలో చదువుతున్న అమ్మాయిలను ప్రేమ పేరు చెప్పి పెళ్లి చేసుకుని తరువాత ఈ విధంగా విదేశాల్లో వారిని వ్యభిచార ముఠాలకు అమ్ముతారు. మేము మతోన్మాదులు కాబట్టి ఆ నరకంలో పడవద్దు అని చెబుతున్నాము అబ్బీ అలా కాదు మీరు వారి మీద నిందలు వేస్తున్నారు అంటే చేసేది ఏమీ లేదు.
Posted by Ganapathi Rao on Wednesday, October 30, 2019
फ़ोटोशॉप की गयी तस्वीर
इस वायरल दावे की कहानी हमें 2010 में ले जाती है जब ये रेट लिस्ट पहली बार एक ब्लॉग ‘सिख ऐंड इस्लाम‘ पर पायी गयी. 5 फ़रवरी, 2010 को इस ब्लॉग पर शेयर हुई ये तस्वीर इससे पहले हमें कहीं और नहीं मिली.
इस पर्चे में कई ऐसी चीजें हैं जो इशारा करती हैं कि ये एडिटेड है. सबसे पहले, पोस्टर की पहली लाइन लिखी है, “in the name of allah……most merciful, most benificiary.” जबकि असल में ये होता है, “In the Name of Allah, the Most Beneficent, the Most Merciful.” यानी-अल्लाह, जो सबसे ज़्यादा बरकत देता है, जो सबसे ज़्यादा दयालु है.
टाइम्स नाउ और वायरल सोशल मीडिया पोस्ट्स में दावा किया गया है कि ‘कार्ड’ खलीफ़ा द्वारा जारी किया गया था. एक इस्लामिक संगठन के लिए इस तरह की ग़लतियां आम बात नहीं है.
इसके बाद, इस पर्चे पर दिल के आकार के अंदर बन्दूक बना होना इस पोस्टर के फ़र्ज़ी होने का सबूत है. दिल के भीतर एक बंदूक का निशान असल में शिया मुसलमानों के एक आतंकी समूह, हिज्बुल्लाह का झंडा है. 2006 के बाद से दिल के आकार का ये लोगो स्वतंत्र रूप से प्रचलन में है.
पहले भी ये फ़र्ज़ी रेट कार्ड कई राइट विंग आउटलेट्स शेयर कर चुके हैं. ऑल्ट न्यूज़ ने 2018 और 2019 में भी इस पर फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट की थी.
कुल मिलाकर, भारत में ग़ैर-मुस्लिम लड़कियों से शादी कर धर्म परिवर्तन करा इनाम लेने वाला फ़र्ज़ी रेट कार्ड सालों से वायरल है. समय-समय पर लोग इसे ‘लव जिहाद’ के दावे के साथ शेयर करते रहते हैं.
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