सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक मेसेज वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि आज मध्यरात्रि से ‘आपदा प्रबंधन कानून (DMA)’ लागू हो रहा है जिसके कारण लोग कोरोना वायरस से संबंधित अपडेट्स पोस्ट नहीं कर पाएंगे. मेसेज में ज़ोर देकर कहा जा रहा है कि ऐसा करना दंडनीय अपराध होगा. आपदा प्रबंधन कानून संसद में 2005 में पास हुआ था.
आज रात्रि 12 बजे से सम्पूर्ण भारत में आपदा प्रबधन ऐक्ट लागू किया जाता हे। इसके अंतर्गत सरकारी विभाग को छोड़ कर अन्य…
Posted by Anupgarh Jyoti on Tuesday, 13 April 2021
हिंदी में ये मेसेज फ़ेसबुक और ट्विटर पर वायरल है.
पूरा मेसेज कुछ इस तरह है, “आज रात्रि १२ बजे से सम्पूर्ण भारत में आपदा प्रबधन ऐक्ट लागू किया जाता है। इसके अंतर्गत सरकारी विभाग को छोड़ कर अन्य किसी भी व्यक्ति को कोरोना से जुड़े संदेश पोस्ट करने पर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी….सभी ग्रुप ऐड्मिन अपने ग्रुप में बताये.”
2020 से वायरल
*Tonight 12(midnight) onwards Disaster Management Act has been implemented across the country. According to this…
Posted by Masoom Ahmed on Wednesday, 1 April 2020
पिछले साल वायरल हुआ मेसेज अंग्रेज़ी में है जिसका हिंदी अनुवाद है, “आज रात 12 बजे (मध्यरात्रि) से देशभर में आपदा प्रबंधन कानून लागू कर दिया गया है. इस ख़बर के मुताबिक़, सरकार के अलावा किसी भी अन्य नागरिक को कोरोना वायरस से संबंधित अपडेट पोस्ट करने या साझा करने की अनुमति नहीं होगी. ऐसा करना दंडनीय अपराध हो चुका है. एडमिन्स से आग्रह है कि वो अपने ग्रुप में इस अपडेट को पोस्ट करें और सभी सदस्यों को इस संबंध में सूचित कर दें. *घर पर रहें … सुरक्षित रहें.”
व्हॉट्सऐप पर, ये लाइव लॉ को एक लिंक के साथ आगे भेजा जा रहा है और ‘ग्रुप एडमिन्स’ को दो दिनों के लिए ग्रुप बंद करने के लिए कहा जा रहा है. वरना पुलिस धारा 68, 144 और 168 के तहत केस दर्ज़ कर सकती है.
फ़ैक्ट-चेक
‘लाइव लॉ’ का आर्टिकल पढ़ने पर पता चलता है कि वायरल मेसेज के ज़रिए ग़लत जानकारी दी जा रही है. इस आर्टिकल का टाइटल है – ‘केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से एक निर्देश जारी करने का आग्रह किया, ताकि कोई भी मीडिया, सरकारी पुष्टि के बिना COVID-19 से जुड़ी ख़बरें प्रकाशित न करे.”
इस आर्टिकल में केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट से एक निर्देश जारी करने के आग्रह के बारे में लिखा है. ऐसा इसलिए, ताकि कोई भी मीडिया ‘सरकार द्वारा तय व्यवस्था से तथ्यों की पुष्टि किए बिना’ COVID-19 की कोई भी ख़बर प्रकाशित न करे.
‘लाइव लॉ’ की रिपोर्ट के अनुसार एफ़िडेविट में लिखा है, ’इस संक्रामक बीमारी ने पूरी दुनिया को घुटने टेकने पर मज़बूर कर दिया है. ऐसी स्थिति में इस तरह की रिपोर्टिंग समाज के किसी भी हिस्से में डर का माहौल भर सकती है. ये न सिर्फ़ तात्कालिक स्थिति के लिए ख़तरनाक होगा बल्कि ये पूरे देश के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है. इसलिए न्याय के हित में ये अदालत, स्वत: संज्ञान लेकर निर्देश जारी कर रही है कि कोई भी इलेक्ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया/वेब पोर्टल या सोशल मीडिया, केंद्र सरकार द्वारा स्थापित अलग व्यवस्था के ज़रिए ख़बरों की सत्यता की पुष्टि के बिना कोई भी अपडेट पब्लिश या टेलीकास्ट नहीं कर सकती है.’
जिस एफ़िडेविट की बात हो रही है, उसका पूरा वर्ज़न आप यहां पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं. एफ़िडेविट के इस अंश में आपदा प्रबंधन कानून का भी ज़िक्र आता है, “ये ज्ञात करवाया जाता है कि लोगों में भय का माहौल पैदा करना, आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत एक दंडनीय अपराध है. हालांकि, माननीय अदालत द्वारा जारी उचित दिशा-निर्देश इस देश को फ़र्ज़ी चेतावनी की वजह से व्याप्त भय के संभावित और नहीं टाले जा सकने वाले परिणामों से बचा सकता है.”
‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के अनुसार, “2 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को आदेश दिया कि वो COVID-19से जुड़े अपडेट्स के संदर्भ में ‘आधिकारिक वर्जन ही प्रकाशित करें’, यही आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के प्रावधानों के तहत सही होगा.” हालांकि, इसी आर्टिकल में आगे लिखा है, “हालांकि, इस कानून में ऐसी किसी व्यवस्था की बात नहीं कही गई है, जिससे कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया – COVID-19 से जुड़ी कोई भी ख़बर प्रकाशित करने या दिखाने से पहले ‘फैक्चुअल पोजिशन’ जानने के लिए सरकार की मंज़ूरी ले.” गृह मंत्रालय ने 31 मार्च को, न्याय के हित में, सु्प्रीम कोर्ट से ऐसा दिशानिर्देश जारी करने पर जोर दिया था.”
लाइव लॉ ने भ्रामक जानकारी पर पक्ष रखा
लाइव लॉ ने अपने नाम से फैल रही ग़लत जानकारी के संबंध में ट्वीट किया.
A Fake message with the link of a @LiveLawIndia report is still going viral in WhatsApp Groups
Pls do not share it.
Read this report to know more about it
[Fake News Alert] https://t.co/NE3F4jZxO7 pic.twitter.com/dtsXebJN4f— Live Law (@LiveLawIndia) April 6, 2020
इस कानूनी न्यूज़ पोर्टल ने एक अलग आर्टिकल लिखकर ग़लत सूचना के बारे में बताया, “इस रिपोर्ट का फेक मैसेज से कोई संबंध नहीं है. ध्यान से रिपोर्ट को पढ़ने पर साफ़ पता चलता है कि इसका वो मतलब कतई नहीं है जैसा कि फेक मैसेज के ज़रिए फैलाया जा रहा है.
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की फ़ैक्ट-चेक विंग ने भी इस फ़र्ज़ी ख़बर के बारे में ट्वीट किया और आपदा प्रबंधन कानून की धारा 54 को अतिरिक्त तौर पर जोड़ा. गौरतलब है कि ये कानून, डर पैदा करने वाले ग़लत दावों या ग़लत चेतावनी देने के लिए होने वाली सजा और ज़ुर्माने से संबंधित है.
Msgs circulating on social media claiming-apart from Govt no citizen is allowed to post/forward update on #COVID19– is MISLEADING&FALSE#PIBFACTCHECK: Circulating unverified/false news leading to panic is prohibited. As responsible Citizens let’s not circulate fake forwards (1/3) pic.twitter.com/JvPPzd25DR
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 2, 2020
इसलिए, आपदा प्रबंधन कानून को केंद्र में रखकर वायरल किया गया मेसेज भ्रामक है. ये कानून लोगों को कोरोना वायरस के संबंध में ‘कुछ भी’ पोस्ट करने से नहीं रोकता है. और हां, लाइव लॉ का आर्टिकल ग़लत दावे को विश्वसनीय बनाने के लिए शेयर किया जा रहा था. ध्यान देने वाली बात ये है कि केंद्र सरकार ने महामारी एक्ट 1897 और आपदा प्रबंधन कानून को मार्च की शुरुआत में ही लागू कर दिया था. ये कदम वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए उठाया गया था. इस कानून के नियम, ऐसे लोगों को हिरासत में या विदेशी धरती से आए किसी जहाज को कस्टडी में लेने की अनुमति देते हैं, जिनसे खतरे की संभावना होती है.
नोट : भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 6,200 के पार जा पहुंची है. इसकी वजह से सरकार ने बुनियादी ज़रुरतों से जुड़ी चीज़ों को छोड़कर बाकी सभी चीज़ों पर पाबंदी लगा दी है. दुनिया भर में 14 लाख से ज़्यादा कन्फ़र्म केस सामने आये हैं और 89 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों में डर का माहौल बना हुआ है और इसी वजह से वो बिना जांच-पड़ताल किये किसी भी ख़बर पर विश्वास कर रहे हैं. लोग ग़लत जानकारियों का शिकार बन रहे हैं जो कि उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है. ऐसे कई वीडियो या तस्वीरें वायरल हो रही हैं जो कि घरेलू नुस्खों और बेबुनियाद जानकारियों को बढ़ावा दे रही हैं. आपके इरादे ठीक हो सकते हैं लेकिन ऐसी भयावह स्थिति में यूं ग़लत जानकारियां जानलेवा हो सकती हैं. हम पाठकों से ये अपील करते हैं कि वो बिना जांचे-परखे और वेरीफ़ाई किये किसी भी मेसेज पर विश्वास न करें और उन्हें किसी भी जगह फ़ॉरवर्ड भी न करें.
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