कोरोना वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर कई गलत जानकारियां शेयर होती रही हैं. इस दौरान एक वेपोराइज़र डिवाइस की तस्वीर वायरल है. तस्वीर में डिवाइस के पैकेट पर फ़ाइज़र कंपनी का नाम लिखा है. फ़ाइज़र और बायो-एन-टेक (BioNtech) कंपनियों ने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना रहे हैं. तस्वीर शेयर कर दावा किया गया है कि ये वेपोराइज़र वैक्सीन फ़ाइज़र कंपनी ने बनाई है. इसके अलावा पैकेट पर ‘मेड इन चाइना’ भी लिखा हुआ है. फ़ेसबुक पेज ‘The Humour Logic -MBBS’ ने ये तस्वीर पोस्ट की है. (आर्काइव लिंक)

Made in China 😶

Posted by The Humour Logic -MBBS on Sunday, 20 December 2020

पाकिस्तान के न्यूज़पेपर ‘सियासत डेली’ ने ये तस्वीर अपने ऑनलाइन आर्टिकल में शामिल की है. (आर्काइव लिंक)

और भी कुछ वेबसाइट्स ने ये तस्वीर अपने आर्टिकल में शामिल की है. (लोकमत इंग्लिश, एन्काउटर हिंदी, TFI पोस्ट, द इंडिया प्रिन्ट)

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ट्विटर यूज़र अनामिका तिवारी ने ये तस्वीर ट्वीट की है. (आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक और ट्विटर पर ये तस्वीर वायरल है.

फ़ैक्ट-चेक

फ़ाइज़र वैक्सीन की बताकर जो तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर हो रही है, असल में एक फ़ेक इमेज है. तस्वीर में फ़ाइज़र के लोगो के नीचे “makers of ‘the boner pill’” लिखा हुआ है. जबकि ये एक जोक यानी कि मज़ाक के तौर पर लिखा गया है. रेडिट वेबसाइट पर ‘फ़नी (मज़ाकिया)’ केटेगरी में इस तस्वीर को पोस्ट किया गया था. इसे बाद में मॉडरेटर ने हटा लिया था.

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अब आते हैं तस्वीर में फ़ाइज़र की कोरोना वैक्सीन को लेकर किये गए दावों पर, जो इस प्रकार हैं:

1. ये वैक्सीन, वेपोराइज़र के तौर पर उपलब्ध है जिसे भाप के ज़रिए लेना होता है.

2. फ़ाइज़र की कोरोना वैक्सीन चीन में बनाई गई है.

3. इस वैक्सीन का एक डोज़ ही है.

इस आर्टिकल में हम बारी-बारी से इन दावों की सच्चाई आपको बताएंगे.

1. फ़ाइज़र-बायो-एन-टेक की कोरोना वैक्सीन इन्जेक्शन के ज़रिए दी जाती है न कि भाप के ज़रिए

कोरोना वायरस की वैक्सीन के बारे में सर्च करने पर मालूम चला कि ये वैक्सीन एक इन्जेक्शन है न कि इन्हेलर. 21 दिसम्बर 2020 की बीबीसी की रिपोर्ट में अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडन को फ़ाइज़र वैक्सीन लेते हुए देखा जा सकता है. इस वीडियो रिपोर्ट में जो बाइडन की बांह में सुई के ज़रिये वैक्सीन लगाते हुए देखा जा सकता है. सेंटर ऑफ़ डीसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेन्शन (CDC) के मुताबिक, फ़ाइज़र-बायो-एन-टेक की कोरोना वैक्सीन बांह के ऊपरी हिस्से में दी जाती है. यानी, फ़ाइज़र-बायो-एन-टेक की कोरोना वैक्सीन वेपोराइज़र के रूप में है, ये दावा गलत साबित होता है.

‘Healthcare providers administering’ की फ़ैक्ट-शीट में फ़ाइज़र-बायो-एन-टेक की कोरोना वैक्सीन के बारे में बताया गया है कि वैक्सीन की 0.3 मिलीलीटर में 2 डोसेज़ में दी जाएगी.

2. ये वैक्सीन चीन में नहीं बनाई गई है

फ़ाइज़र-बायो-एन-टेक की वैक्सीन चीन में नहीं बनाई गई है. फ़ाइज़र की वेबसाइट पर 2 दिसम्बर 2020 की एक रिपोर्ट मिली. वेबसाइट के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन 3 जगहों – जर्मनी, बेल्जियम और अमेरिका के मिशिगन स्टेट में बनाई गई है. इसके अलावा, चीन में फ़ाइज़र के उत्पादन के प्लांट ज़रूर हैं. लेकिन वहां पर कोरोना वैक्सीन बनाए जाने का कोई ज़िक्र नहीं है.

WHO की वेबसाइट के मुताबिक, फ़ाइज़र और बायो-एन-टेक ने सिर्फ़ 1 कोरोना वैक्सीन [BNT162 (3 LNP-mRNAs )] बनाई है. और जैसा कि हमने पहले भी देखा इस वैक्सीन को चीन में नहीं बनाया गया है.

3. ये वैक्सीन 2 डोज़ में दी जाती है

अब आते हैं वैक्सीन के डोसेज़ पर. CDC के मुताबिक, फ़ाइज़र-बायो-एन-टेक की कोरोना वैक्सीन 2 डोसेज़ में दी जाती है. दोनों डोज़ के बीच 21 दिनों का अंतर होगा.

21 दिसम्बर को रॉइटर्स ने इस तस्वीर को फ़ेक इमेज बताते हुए एक फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट पब्लिश की थी. रॉइटर्स ने फ़ाइज़र के हवाले से बताया है कि वैक्सीन की जगह वेपोराइज़र आने का दावा सरासर गलत है. ये वैक्सीन, 2 डोज़ में 21 दिनों के अंतराल में बांह में इन्जेक्शन के ज़रिए दी जाएगी.

इन सभी बातों का निचोड़ इतना है कि फ़ाइज़र ने कोरोना वैक्सीन न ही चीन में बनाई है और न ही ये वेपोराइज़र के तौर पर मौजूद है. एक फ़ेक तस्वीर फ़ाइज़र वैक्सीन की बताकर सोशल मीडिया पर शेयर की गई. जबकि फ़ाइज़र ने इस तरह की कोरोना वैक्सीन बनाई ही नहीं है.

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