फ़ेसबुक पेज ‘नमो इंडिया‘ ने एक इन्फ़ोग्राफ़िक शेयर किया. इसमें लिखा है- “आज से दुनियाँ की कमान भारत के हाथों में, भारत बना UNO (UNSC) का अध्यक्ष. तुर्की पाक समेत कई देश बौखलाए, United Nations की अध्यक्षता पहली बार भारत करेगा.”

नमो इंडिया पेज ने इस ग्राफ़िक को सुधीर चौधरी फ़ेसबुक ग्रुप और अरनब गोस्वामी ऑफ़िशियल ग्रुप में भी शेयर किया.

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इस इन्फ़ोग्राफ़िक को कई दूसरे पेज सहित यूज़र्स ने शेयर किया है. ‘विद्यार्थी शिवम्‘ नाम के पेज से शेयर किए गए पोस्ट को 7 हज़ार से अधिक लाइक्स मिले हैं. इसी पेज ने ये ग्राफ़िक बनाया है और ये इसपर दिख रहे लोगो से पता चल रहा है.

 

फ़ैक्ट-चेक

इस दावे की पड़ताल करते हुए हमने देखा कि 1 अगस्त को इस बारे में कई मीडिया संगठनों ने ख़बर छापी है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2021 में सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत के पास रहेगी. इसकी अध्यक्षता PM मोदी करेंगे. जनसत्ता की रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे पहले भी भारत कई बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर चुका है.

हालांकि ये सच है कि PM मोदी भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे जो इस सुरक्षा परिषद् की अध्यक्षता करेंगे. लेकिन ये दावा कि भारत पहली बार इसकी अध्यक्षता करने जा रहा है, पूरी तरह से ग़लत है. इस बात की जानकारी UN की वेबसाइट पर भी मौजूद है. पहली बार भारत ने 1950 में इस सुरक्षा परिषद् की अध्यक्षता की थी. उसके बाद से कई बार भारत इस काउंसिल का सदस्य बना है.

 

UN की वेबसाइट पर दी गयी जानकारी से पता चलता है कि इस काउंसिल की अध्यक्षता एक महीने के लिए हर सदस्यों को दी जाती है. भारत अगस्त महीने के लिए इस परिषद् का अध्यक्ष होगा. काउंसिल के सदस्यों को अल्फ़ाबेटिकल ऑर्डर में अध्यक्षता दी जाती है. जैसा कि नीचे तस्वीर में देखा जा सकता है. और भारत की सदस्यता 31 दिसम्बर 2022 में समाप्त हो जाएगी. भारत अभी (2021-2022) इस काउंसिल का सदस्य है.

UN की सुरक्षा परिषद् में 15 सदस्य होते हैं. इसमें 5 परमानेंट सदस्य हैं. और बाकी 10 सदस्यों का चुनाव 2 सालों के लिए किया जाता है. चीन, फ़्रांस, रूस, UK और US इसके परमानेंट सदस्य हैं. भारत सालों से इस काउंसिल का परमानेंट मेम्बर बनने की कोशिश कर रहा है लेकिन वोट नहीं मिलने की वजह से ये हो नहीं पा रहा है. 5 परमानेंट सदस्यों के पास ‘राइट टू वीटो’ है. यानी, अगर इन 5 सदस्यों में से कोई एक किसी प्रस्ताव से सहमत नहीं है तो वो प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता है. भारत की सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता मिलने की राह में चीन सबसे बड़ा रोड़ा है.

कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा कि भारत पहली बार UN सुरक्षा परिषद् का अध्यक्ष बना है, पूरी तरह से आधारहीन है.


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