मिनिस्ट्री ऑफ़ इस्लामिक अफ़ेयर्स ने एक ट्वीट में बताया कि सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री शेख अब्दुल्लातिफ बिन अब्दुलअजीज अल-शेख ने हाल ही में रमजान या रमजान के महीने के लिए की तैयारी करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों को बताते हुए एक सर्कुलर जारी किया.

ज़ल्द ही इस सर्कुलर पर कई क्वार्टरों की प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई. मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका पर केंद्रित करंट अफ़ेयर्स मैगज़ीन द इंटरनेशनल इंटरेस्ट के संस्थापक सामी हम्दी का एक ट्वीट और एक यूट्यूब वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया. वीडियो में हम्दी इन आदेशों की आलोचना करते हैं. हम्दी ने कुछ पॉइंट शेयर करते हुए दावा किया कि क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान (MBS) सऊदी अरब में रमजान को बैन करने की कोशिश कर रहे थे.

यूट्यूब वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “#SaudiArabia में #Ramadan पर बिन सलमान के नए नियमों के अंग्रेजी अनुवाद के साफ ‘उचित’ शब्दों के पीछे, मुस्लिम आइडेंटिटी के सबसे केंद्रीय अभिव्यक्तियों में से एक पर एक आक्रामक हमला है.”

कई भारतीय मीडिया आउटलेट्स ने इन पंक्तियों के साथ रिपोर्ट किया.

CNN न्यूज़18 ने इन आदेशों के बारे में अपने प्रसारण कवरेज का एक वीडियो शेयर किया. उनका बुलेटिन इस बात से शुरू हुआ कि लाउडस्पीकर पर बैन लगाने का आदेश था. ट्वीट का कैप्शन भी ‘नो लाउडस्पीकर’ से शुरू होता है.

न्यूज़ 18ने रमजान पर सऊदी सरकार द्व्रारा लगाए गए ‘बैन’ पर रिपोर्ट करते हुए अपने वेब डेस्क पर एक स्टोरी पब्लिश की. हेडलाइन में लिखा है, ‘नो लाउडस्पीकर, इफ्तार इनसाइड मॉस्क्यू…’ (आर्काइव लिंक)

द प्रिंट, लाइव हिंदुस्तान, ABP, इंडिया टीवी और राइट विंग प्रोपगंडा आउटलेट ऑपइंडिया जैसे अन्य मीडिया आउटलेट्स ने भी इन आदेशों पर रिपोर्ट्स पब्लिश कीं.

द प्रिंट ने अपने हेडलाइन में कहा कि लाउडस्पीकर की अनुमति नहीं थी, लेकिन स्टोरी में कहा गया कि ‘मस्जिद के लाउडस्पीकरों को कम करने’ का आदेश दिया गया था.

  • लाइव हिंदुस्तान की स्टोरी के हेडलाइन में कहा गया कि लाउडस्पीकर पर बैन लगा दिया गया है.
  • ABP न्यूज़ ने शुरूआत में कहा था “रमजान में नहीं सुन पाएंगे अजान! मस्जिदों में लाउडस्पीकर हुए बैन, सऊदी अरब ने लिया फैसला, भड़के मुस्लिम धर्म गुरु.” स्टोरी पब्लिश होने के एक दिन बाद, उन्होंने स्टोरी अपडेट करते हुए लिखा, “सऊदी अरबिया ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर की आवाज़ को कम करने का ऐलान किया था. रमजान के महीने में अब अजान लाउडस्पीकर पर दूर तक सुनाई नहीं देगी.” स्टोरी का असली वर्जन यहां देखा जा सकता है.
  • इंडिया टीवी ने अपनी हेडलाइन के साथ-साथ रिपोर्ट में बताया कि लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है.
  • ऑपइंडिया ने बताया, “इस आदेश के मुताबिक मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर बैन लगाया गया है, हालांकि नमाज़ पढ़ने वालों को मस्जिदों के अंदर इफ्तार करने का आदेश दिया गया है.”

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भारतीय सेना में विशेष बल के पूर्व सैनिक मेजर सुरेंद्र पूनिया ने इन आदेशों के बारे ट्वीट किया. उन्होंने अपने कैप्शन में एक लाइन लिखी, ‘भारत में ऐसा करने पर तूफान आ जाये.’

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पाञ्चजन्य ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए कहा कि सऊदी मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर बैन लगा दिया गया है.

कई अन्य यूज़र्स ने भी ट्विटर पर दावा किया कि रमज़ान के दौरान सऊदी अरब में लाउडस्पीकरों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. उनमें से कुछ ने पूछा कि भारत इस तरह का निर्णय क्यों नहीं ले सकता. ऐसे ट्वीट्स यहां देखे जा सकते हैं.

फ़ैक्ट-चेक

मिनिस्ट्री ऑफ़ इस्लामिक अफ़ेयर्स द्वारा 3 मार्च को जारी किए गए निर्देशों के सेट में ये देखा जा सकता है कि लाउडस्पीकरों का कोई ज़िक्र नहीं है.

हालांकि, इस साल जनवरी के मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि सऊदी अरब ने पूरे राज्य में सभी मस्जिदों में लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल को बैन करने के आदेश जारी किए थे. गल्फ़ न्यूज़ ने लिखा कि इस्लामिक मामलों के मंत्री ने बाहरी लाउडस्पीकरों की संख्या चार निर्धारित की थी जिनका इस्तेमाल सिर्फ मस्जिदों में नमाज़ अदा करने के लिए किया जाता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस पवित्र महीने में अतिरिक्त नमाज़ के लिए लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसमें आगे कहा गया है कि मिनीस्टर ने “सभी इमामों को आदेश दिया कि वे मस्जिदों से अतिरिक्त लाउडस्पीकरों को हटा दें और उन्हें बाद में इस्तेमाल के लिए एक गोदाम में रख दें या उन मस्जिदों को दे दें जिनके पास पर्याप्त लाउडस्पीकर नहीं है.”

महत्वपूर्ण रूप से रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार की ओर से पहले भी ये कोशिश की गई थी ताकि नमाज़ के दौरान माइक्रोफ़ोन की आवाज़ से बुजुर्गों और बच्चों को परेशानी न हो. गल्फ़ न्यूज़ का कहना है, “पिछले साल, मंत्रालय ने उपवास के महीने के दौरान मस्जिदों में लाउडस्पीकरों की संख्या पर प्रतिबंध जारी किया था. स्पीकर्स को ज़्यादा से ज़्यादा इसकी वॉल्यूम के एक तिहाई से ज़्यादा नहीं रखना चाहिए.”

हमने ये भी नोटिस किया कि मस्जिदों के अंदर इफ्तार पर रोक लगाने का आदेश कोई नई बात नहीं थी.

इफ्तार, जिसमें रमजान के महीने के दौरान दिन का उपवास तोड़ा जाता है, लगभग हमेशा एक मस्जिद से जुड़े आंगनों में आयोजित किया जाता है, न कि मस्जिद के अंदर. ‘इफ्तार एट जामा मस्जिद दिल्ली’ शब्दों के साथ एक गूगल सर्च करने से ये बात साबित हो जाती है.

दिल्ली और अहमदाबाद की जामा मस्जिद के प्रांगण में इफ्तार करने वाले लोगों की तस्वीरें नीचे देखी जा सकती हैं.

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इफ्तार के संबंध में आदेश में कहा गया है कि इसे मस्जिद के प्रांगण में इमामों और मुअज्जिनों की देखरेख में निर्धारित स्थानों पर आयोजित किया जाना चाहिए और इफ्तार खत्म होने के तुरंत बाद जगह को साफ किया जाना चाहिए. इसके लिए कोई अस्थायी टेंट या कमरे नहीं बनाए जाने चाहिए.

मीडिया आउटलेट मिडिल ईस्ट मॉनिटर को दिए एक बयान में सरकार के प्रवक्ता अब्दुल्ला अल-एनेज़ी ने मंत्रालय के रुख को स्पष्ट किया. इफ्तार की अनुमति नहीं देने के दावों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि ये इस तरह से व्यवस्थित किया जाएगा कि मस्जिद की पवित्रता और स्वच्छता बनी रहे. रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है.

यानी, सऊदी अरब में मस्जिदों में लाउडस्पीकरों पर प्रतिबंध लगाने के दावे झूठे हैं. पश्चिम एशियाई देश ने लाउडस्पीकरों की संख्या चार तक सीमित कर दी है लेकिन उनके इस्तेमाल पर बैन नहीं लगाया है. और जहां तक ​​मस्जिद के अंदर इफ्तार के आदेश का संबंध है, ये सदियों पुरानी परंपरा के अनुरूप ही है.

संयोग से ABP न्यूज़ ने 13 मार्च को इस मामले पर एक फ़ैक्ट-चेक रिपोर्ट भी पब्लिश की है. (उसी दिन जिस दिन उन्होंने अपनी असली रिपोर्ट को अपडेट किया जैसा कि ऊपर ज़िक्र किया गया है) रिपोर्ट में बताया गया कि हाल ही में घोषित दिशा-निर्देशों में लाउडस्पीकर का कोई ज़िक्र नहीं है.

वंश शाह ऑल्ट न्यूज़ में इंटर्न हैं.

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