सोशल मीडिया पर कई लोग ये दावा कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने प्रतीक चिन्ह के नीचे लिखे वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ को बदलकर ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ कर दिया है. भीम आर्मी से जुड़े सुनील अस्तेय ने दो तस्वीरें ट्वीट करते हुए ये लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को एक लिस्ट जारी किया है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के लिए 6 जजों के नामों की सूची जारी की गई है. लेकिन यहां बड़ी खबर यह है कि अशोक स्तंभ के नीचे लिखा शब्द बदल गया है.” (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
सत्यमेव जयते’ की जगह
।। यतो धर्मस्ततो जय: ।।हो गया है। ये देश कहाँ जा रहा है???
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अगस्त को एक लिस्ट जारी किया है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट के लिए 6 जजों के नामों की सूची जारी की गई है। लेकिन यहां बड़ी खबर यह है कि अशोक स्तंभ के नीचे लिखा शब्द बदल गया है। pic.twitter.com/1MKAcx311m— बहुजन शेर सुनिल अस्तेय (@SunilAstay) August 21, 2020
पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने भी यही दावा करते हुए ये तस्वीरें ट्वीट की थी, लेकिन बाद में उन्होंने ये ट्वीट डिलीट कर दिया. इसका आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
कई लोगों ने ये फ़ेसबुक पर ये दावा किया है कि “सुप्रीम कोर्टमें अब ‘सत्यमेव जयते’ नही , “जहां धर्म है वहां विजय है” तभी तो वहां न्याय के बजाय विजय हो रहा है.” एक यूज़र नेऑल्ट न्यूज़ को ट्विटर पर टैग कर इसकी सच्चाई बताने की रिक्वेस्ट की है. वहीं कुछ लिख रहे हैं कि इस बदलाव के बारे में सबको लिखना चाहिए, बोलना चाहिए.
फ़ैक्ट-चेक
हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली जिसमें ये बताया गया हो कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘सत्यमेव जयते’ को बदलकर ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ कर दिया है. हमने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट चेक की, हमें ऐसी कोई प्रेस रिलीज़ नहीं मिली जिसमें इस बात का ज़िक्र हो या मोटो ‘सत्यमेव जयते’ होने की बात बताई गयी हो. वेबसाइट खोलते ही ‘द सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया’ के नीचे ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ लिखा हुआ दिखता है. हम देखेंगे कि ये पहले से ऐसा ही था या हाल में बदलाव किया गया है. हमने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के वेबसाइट को Wayback Machine पर देखा. ये अलग-अलग समय पर वेबपेज को ऑटोमेटिकली आर्काइव करती रहती है.
अगर आप सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट की लिंक को web.archive.org पर देखेंगे तो 12 नवंबर, 2019 से 18 अगस्त, 2020 तक कुल 130 स्नैपशॉट्स दिखते हैं. 12 नवंबर, 2019 के स्नैपशॉट में सुप्रीम कोर्ट के नीचे ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ लिखा हुआ है.
मतलब इतना साफ़ है कि नवंबर, 2019 से तो ये टर्म सुप्रीम कोर्ट यूज़ कर रही है, ये कोई हालिया बदलाव नहीं है. अब देखते हैं कि इससे पहले ये वेबसाइट कैसी दिखती थी. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पुरानी वेबसाइट थी supremecourtofindia.nic.in. web.archive.org पर इसके 6 जुलाई, 2000 से 20, अगस्त, 2020 तक कुछ 1580 स्नैपशॉट्स हैं. हमने बहुत सारे स्नैपशॉट्स देखे और पता चला कि 20 नवंबर, 2010 के एक स्नैपशॉट में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ लिखा हुआ दिखता है. इससे पहले के (10 नवंबर, 2010 के) एक स्क्रीनशॉट में कुछ भी लिखा हुआ नहीं दिखता है. यानी पहली बार 10 नवंबर, 2010 से 20 नवंबर, 2010 के बीच वेबसाइट पर ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ लिखा गया होगा. जिसे नीचे दिये गए इस वीडियो में देखा जा सकता है.
यहां ये गौर करने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘सत्यमेव जयते’ को बदलकर ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ नहीं किया था. हमने वेबसाइट के होम पेज पर कहीं भी ‘सत्यमेव जयते’ लिखा हुआ नहीं देखा. इस तरह ये दावा गलत है कि कोर्ट ने हाल में अपनी मोटो में बदलाव किया है. पुण्य प्रसून बाजपेयी को जब ये बताया गया कि वो भ्रमित हुए हैं तो उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए ट्वीट किया.
असल में सुप्रीम कोर्ट के लोगो में अशोक चक्र बना हुआ है जिसके नीचे संस्कृत का एक श्लोक लिखा हुआ है- ‘यतो धर्मः ततो जयः’ संस्कृत के इस श्लोक का मतलब है ‘जहां धर्म है, वहां जय (जीत) है.’ ‘सत्यमेव जयते’ भारत सरकार का मोटो है, जिसका अर्थ होता है सत्य की जीत होती है. यह भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक चिन्ह के नीचे लिखा रहता है.
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