पिछले कुछ दिनों से एक वीडियो क्लिप इस दावे के साथ सोशल मीडिया में प्रसारित की जा रही है कि यह संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन की वीडियो है। इस वीडियो में, एक प्रतिनिधि को, झारखंड में हाल ही में तबरेज़ अंसारी की मॉब लिंचिंग द्वारा हुई हत्या के बारे में बोलते हुए सुना जा सकता है, जिसमें तबरेज़ अंसारी को एक खंभे से बांधा गया था और ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर किया गया था।

इस वीडियो के साथ एक संदेश का इस्तेमाल किया गया है- “तबरेज़ अंसारी के लिए आवाज़ यूएनओ तक पंहुच गई। गौ रक्षकों के कारण पूरी दुनिया के सामने भारत की बदनामी हो रही है… शर्मनाक”

 

Tabrez Ansari ke liye awaaz UNO tak pahunchgayi.

India is getting defamed because of Gau Rakshaks in front of the whole World… Shame.

Posted by Delta News – Hyderabad on Wednesday, 3 July 2019

इस वीडियो में, वक्ता यह कहते हुए अपना भाषण शुरू करते हैं, “पिछले पांच वर्षों में भारत में मुसलमानों के खिलाफ नफ़रत भरे अपराधों में वृद्धि देखी गई है। पिछले पांच वर्षों में, पूरे भारत में कट्टरपंथी हिंदू समाज द्वारा साफ तौर पर गाय की रक्षा के लिए मुसलमानों और दलितों की हत्या की गई है”-(अनुवाद)। फिर वे तबरेज़ अंसारी की हत्या के बारे में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि, “दस दिन पहले पूर्वी राज्य झारखंड में, 24-वर्षीय तबरेज़ अंसारी को जय श्री राम नहीं बोलने के कारण हिंदू भीड़ के हाथों घंटों तक पीटा गया जब तक कि वह मर नहीं गया”-(अनुवाद)।

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस वीडियो क्लिप को एक संदेश के साथ ट्वीट किया है। कई लोगों ने ऑल्ट न्यूज़ से इस बात कि पुष्टि के लिए अनुरोध किया है कि क्या वाकई में भारत में हुई मॉब लिंचिंग से हत्या की घटना के बारे में संयुक्त राष्ट्र में चर्चा हुई थी।

सच है

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वास्तव में तबरेज़ अंसारी की घटना समेत भारत में मॉब लिंचिंग द्वारा हुई हत्याओं का मामला संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष 41वें नियमित सत्र की 7वीं बैठक में उठाया गया था। इस मुद्दे को एनजीओ सेंटर फॉर अफ्रीका डेवलपमेंट एंड प्रोग्रेस के पॉल न्यूमैन कुमार स्टेनिस्क्लावस ने उठाया था। इसका पूरा वीडियो संयुक्त राष्ट्र वेब टीवी की आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट किया गया है। इस वीडियो में संबधित हिस्से को आप 2:09:36वें घंटे पर सुन सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद, संयुक्त राष्ट्र का एक निकाय है जिसका मिशन दुनिया भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जेनेवा में है।

उस सत्र को संबोधित करते हुए, न्यूमैन ने कहा कि भारत ने नागरिक व राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र और आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिज्ञापत्र पर हस्ताक्षर किया हुआ है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में, भारत में मुस्लिम और दलितों के विरुद्ध हो रहे हमलों और हत्या में वृद्धि हुई है।

इस मुद्दे पर उनका पूरा भाषण इस प्रकार है:

पिछले पांच वर्षों में भारत में मुसलमानों के खिलाफ नफ़रत भरे अपराधों में वृद्धि देखने को मिली है। पिछले पांच वर्षों में, पूरे भारत में कट्टरपंथी हिंदू भीड़ द्वारा साफ तौर पर गाय की रक्षा के लिए मुसलमानों और दलितों की हत्या की गई है। अप्रैल 2017 के बाद से, कम से कम 10 मुसलमानों को संदिग्ध रूप से नफरत भरे अपराधों से सार्वजनिक रूप से मारा गया है। नफरत भरे हमलों ने मुसलमानों में असुरक्षा की भावना और धार्मिक तनाव को बढ़ा दिया है। हालिया चलन, मुसलमानों से जय श्री राम बुलवाने का है। दस दिन पहले पूर्वी राज्य झारखंड में, 24-वर्षीय तबरेज़ अंसारी को जय श्री राम नहीं बोलने के कारण हिंदूओं द्वारा घंटों तक पीटा गया था जब तक कि वह मर नहीं गया। हाल ही में, एक मुस्लिम शिक्षक पर मुस्लिम होने के कारण चलती ट्रेन में हमला किया गया है। उन्हें जय श्री राम बोलने के लिए भी कहा गया और जब उन्होंने मना किया तो उन्हें पीटा गया और ट्रेन से उतरने पर मजबूर भी किया गया। संसद के अपने पहले भाषण में, संसद सदस्य, प्रताप सारंगी ने पूछा कि हिंदू नारे लगाने से इनकार करने वाले लोगों को भारत में रहने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए। ये कट्टर हिंदू समाज नफरत पूर्ण भावों से चल रही हैं। अल्पसंख्यकों के संकट को लेकर भारत चुप्पी साधे बैठा है“-(अनुवाद)।

यह ध्यान देने योग्य है कि भाजपा सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने संसद के अपने पहले भाषण में यह नहीं कहा था कि जो लोग हिंदू नारे लगाने से इनकार करते हैं, उन्हें भारत में रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उनकी टिप्पणी ‘वंदे मातरम’ पर थी, ‘जय श्री राम’ या किसी अन्य हिंदू नारे को लेकर नहीं थी।

न्यूमैन ने UNHRC से हस्तक्षेप करने का आग्रह करते हुए अपना भाषण पूरा किया और भारत से अनुरोध किया कि वह अपने संविधान में निर्धारित सिद्धांतों का पालन करे।

इस प्रकार, यह सच है कि तबरेज़ अंसारी की मोब लिंचिंग द्वारा हुई हत्या के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाया गया था।

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