दिल्ली हाई कोर्ट ने 18 फ़रवरी को न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैन्डर्ड अथॉरिटी को और न्यूज़ 18 और टाइम्स नाउ को पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की निजी चैट दिखाने पर नोटिस भेजा था. कोर्ट दिशा के वकील अखिल सिब्बल द्वारा इस मामले को लेकर डाली गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी. दिशा को 14 फ़रवरी को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. उनपर किसान प्रदर्शन के समर्थन में शेयर की गई ‘टूलकिट’ एडिट करने का आरोप था.
सोशल मीडिया पर चल रहे एक दावे के मुताबिक, अखिल सिब्बल दिशा का केस लड़ने के लिए 5-7 लाख रुपये प्रति सुनवाई चार्ज कर रहे हैं. कॉलमिस्ट अभिजीत अय्यर मित्रा ने ये दावा ट्वीट किया. आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 22 हज़ार से ज़्यादा बार लाइक और 6 हज़ार बार रीट्वीट किया गया है. (आर्काइव लिंक)
Disha Ravi hires Akhil Sibal – that’s between 5 to 7 lakhs per appearance. Do the maths.
— Abhijit Iyer-Mitra (@Iyervval) February 19, 2021
अभिजीत अय्यर मित्रा के ट्वीट का स्क्रीनशॉट फ़ेसबुक पर भी वायरल है.
फ़ेसबुक पर ये दावा मेसेज के रूप में भी शेयर किया गया है.
For all those trolls mocking Disha Ravi and saying that at the age of 21, she has accomplished nothing but indulgence in…
Posted by Khalid Baig on Thursday, 18 February 2021
ट्विटर हैन्डल ‘@abdullah_0mar’ ने भी ये दावा ट्वीट किया है. इस हैन्डल को भाजपा नेता पीयूष गोयल और कपिल मिश्रा फ़ॉलो करते हैं. कपिल मिश्रा द्वारा फ़ॉलो किए जा रहे ट्विटर हैन्डल ‘@SaffronSunanda’ ने भी ये दावा ट्वीट किया है.
प्रो-भाजपा प्रोपगेंडा वेबसाइट ‘The Frustrated Indian’ के एक आर्टिकल के मुताबिक, “लेकिन एक बार फ़िर से केस की हर सुनवाई के लिए अखिल सिब्बल को 5 से 7 लाख रुपये देना सिर्फ़ एक ही स्थिति में संभव है – या तो वकील अपनी फ़ीस को भूलकर मुफ़्त में दिशा के लिए केस लड़े, जो काफ़ी मुश्किल है. तो फ़िर दिशा रवि के केस के लिए पैसे कौन दे रहा है? क्या ये खालिस्तानी ऑर्गेनाइज़ेशन जैसे कि पोएटिक जस्टिस फ़ाउंडेशन और सिख फ़ॉर जस्टिस है या फ़िर कोई ऐसा समूह जो भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करना और मोदी सरकार को हटाना चाहता है?”
फ़ैक्ट-चेक
ऑल्ट न्यूज़ से हुई बातचीत के दौरान, अखिल सिब्बल ने बताया कि वो दिशा रवि का केस बगैर कोई पैसे लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, “मुझसे उनकी वकील वृंदा भंडारी ने संपर्क किया था और मैंने अब तक 2 बार मीडिया ट्रायल से जुड़ी सुनवाई में हाज़िरी दी थी.”
उन्होंने आगे बताया, “मैंने ये केस इसलिए लिया क्योंकि कोर्ट के सामने इसके बारे में जिरह करना बेहद ज़रूरी है. हम सबको मीडिया ट्रायल्स के खतरे के बारे में पता है. चालू केस के दौरान निजी चैट लीक नहीं किये जाने चाहिए. ये गलत मिसाल खड़ी करता है और किसी भी व्यक्ति की निजता पर असर करता है. आरोप सिद्ध न हो जाने तक आरोपी के बेकसूर होने की रवायत ख़तम नहीं होनी चाहिए.”
वृंदा भंडारी ने भी इस दावे को ग़लत बताया. उन्होंने हमसे कहा, “उन्होंने (अखिल सिब्बल ने) काफ़ी कम वक़्त में मदद के लिए हामी भरी थी. उन्होंने ये केस बिना फ़ीस (प्रो बोनो) के लिया है.”
इस तरह, दिशा रवि के केस के लिए प्रति सुनवाई 5-7 लाख रुपये वकील को देने का दावा गलत है. सोशल मीडिया पर दिशा रवि को लेकर कई झूठे दावे शेयर किये गए हैं. हाल ही में दिशा रवि के सिंगल मदर होने और क्रिश्चियन समुदाय से होने का झूठा दावा भी काफ़ी शेयर किया गया था.
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