सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है. वीडियो में कुछ लोग गोल घेरा बनाकर नाच रहे हैं. इन लोगों के आस-पास भीड़ जमा है. साथ में ढोल-नगाड़े भी बज रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये लोग मुस्लिम समुदाय से हैं और हिन्दू देवी-देवताओं का मज़ाक उड़ाने के इरादे से ऐसा कर रहे हैं.

फ़ेसबुक यूज़र दीपक साजवान ने ये वीडियो पोस्ट करते हुए इसे ‘बहुत बड़ा षड्यंत्र’ बताया. (पोस्ट का आर्काइव लिंक)

 

☝🏻☝🏻 ये गांव वाले इतने महामूर्ख हैं, ये हमारे कुलदेवी देवताओं का मजाक नही तो क्या है, ये एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है, ये मुस्लिम समाज के जो कहते हैं नाचना ,गाना, और मूर्ति पूजा हराम है वो हमारे यहां पर धूनी लगाकर नाच रहे हैं जैसे हमारे देवता इन पर ही प्रकट हुए हो, जो गौमांस भक्षण करते हैं उन पर देवी-देवता कैसे प्रकट हो सकते हैं,हे मूर्ख पहाड़ियों कब समझोगे इनकी चाल को जब ये सबकुछ तुम्हारा लूट ले जाएंगे, कश्मीरी पंडितों की तरह तुम्हारा हाल करेंगे, पता लगाओ ये कहां की विडियो है, प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है ये पता लगाना और उस गांव के प्रधान का फोन नम्बर भी मालूम करना, प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने स्रोतों से पता लगाएं, ये धीरे धीरे इतना फैल जाएंगे जिसकी हम कल्पना भी नही कर सकते हैं, और उत्तराखंड दूसरा कश्मीर बन जाएगा,।#जागो_पहाड़ियोंजागो

Posted by Deepak Sajwan on Wednesday, 4 August 2021

ट्विटर प्रोफ़ाइल ‘पहाड़ों से हैं’ से भी ये वीडियो ऐसे ही दावे के साथ ट्वीट किया गया. आर्टिकल लिखे जाने तक इस वीडियो को 1,200 बार देखा जा चुका था. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक पर ये वीडियो काफ़ी शेयर किया गया है.

फ़ैक्ट-चेक

वीडियो में स्क्रीन पर नीचे दायीं ओर ‘पहाड़ी ब्लॉगर’ लिखा है. हमें संदेह हुआ कि शायद इस नाम के यूट्यूब चैनल ने ये वीडियो पोस्ट किया हो.

इसके चलते, ऑल्ट न्यूज़ ने यूट्यूब पर की-वर्ड्स सर्च किया. ‘पहाड़ी ब्लॉगर’ नाम के यूट्यूब चैनल ने इस वीडियो की सच्चाई बताते हुए 5 अगस्त 2021 को एक वीडियो अपलोड किया था. इस चैनल को हिमांशु कलूड़ा चलाते हैं. इसमें उन्होंने बताया था कि वायरल वीडियो में दिख रहे व्यक्तियों में कोई भी मुस्लिम समुदाय का नहीं था. हिमांशु ने कहा कि ये वीडियो उन्होंने कुछ महीने पहले अपने यूट्यूब चैनल ‘पहाड़ी ब्लॉगर’ पर अपलोड किया था. लेकिन वीडियो पर तरह-तरह के सांप्रदायिक कमेंट्स आने के कारण उन्होंने इसे हटा लिया था. और इस वीडियो की असलियत बताते हुए 5 अगस्त को दूसरा वीडियो पोस्ट किया.

वीडियो में हिमांशु कहते हैं – “सबसे पहले तो ये वीडियो भरपुर गांव का है. 2017 या 18 में वहां पर थोला, मंडार या जागरी बोलते हैं कही-कही, हुए थे. तो ये वीडियो मैंने खुद ही बनाई थी 2017-18 में. 4 साल पुरानी वीडियो है जिसे 4-5 महीने पहले अपने यूट्यूब पे पब्लिश की थी…क्या ये गांव पूरा मुसलमानों का है? तो मैं आपको बता दूं इस गांव में सारे हिन्दू रहते हैं. कोई मुस्लिम नहीं रहता है…न यहां कोई मुस्लिम कल्चर को अपना रहा हैं न कोई मुस्लिम धर्म को अपना रहा है…इसमें कोई कन्वर्टेड मुस्लिम नहीं है. सारे हिन्दू हैं.”

आगे, वो बताता है, “इस वीडियो में जो 4 या 5 लोग नाचते हुए दिखाई देते हैं उसमें मुस्लिम देवता आते हैं. जैसे कि सहदेव हो गया, पठान देवता हो गया पीर बाबा हो गया. हमारे गांव में सहदेवता बहुत परिचित हैं. बहुत माने जाते हैं… मेरठ से आये हैं जैसे कि कोई नंदा देवी की पूजा पाठ करता है तो वो बोलता है नंदा देवी से आया हूं. तो वहीं उनकी मजार जो होती है मेरठ से तो वो देवता उनपर आए हैं वहां से. वो ये कहना चाहते हैं. मेरठ से यहां कोई मुस्लिम नहीं आए हैं. रुड़की से यहां कोई मुस्लिम नहीं आए हैं. न यहां कोई मुस्लिम रहता है और न हमारा गांव कोई मुस्लिम धर्म को अपना रहा है. न हम मुस्लिम कल्चर को प्रमोट करते हैं”.

इसके चलते, ऑल्ट न्यूज़ ने हिमांशु कलूड़ा से भी संपर्क किया. उन्होंने बताया, “ये वीडियो मैंने कुछ सालों पहले बनाया था. इस वीडियो के साथ दावा किया गया कि इसमें दिख रहे लोग मुस्लिम समुदाय के लोग हैं और हिन्दू संस्कृति का मज़ाक उड़ा रहे हैं, जो कि गलत है. इस गांव में सभी हिन्दू हैं. और जहां तक मेरी जानकारी है, आस-पास के गांव में भी मुस्लिम समुदाय के लोग नहीं है. वीडियो में दिख रहे लोग मुस्लिम देवता की पूजा कर रहे हैं. इस वजह से उन्होंने मुस्लिम समुदाय से जुड़ी टोपी पहनी है. इसी कारण ये वीडियो सोशल मीडिया पर गलत संदर्भ के साथ शेयर किया गया.”

टिहरी-गढ़वाल पुलिस ने ऑफ़िशियल फ़ेसबुक पेज से हिमांशु कलूड़ा का 5 अगस्त 2021 का वीडियो पोस्ट किया है. पोस्ट में वीडियो के साथ शेयर किये गए दावे का खंडन किया गया है.

इस पूरे मामले की असलियत जानने के लिए ऑल्ट न्यूज़ ने टिहरी-गढ़वाल की एसपी तृप्ति भट्ट से बात की. उन्होंने बताया, “सोशल मीडिया पर वीडियो के साथ किया गया दावा पूरी तरह से गलत है. वीडियो में दिख रहे सभी लोग हिन्दू हैं. इनमें कुछ अनुसूचित जाती-जनजाति के लोग भी हैं. ये 4 साल पुराना वीडियो है. इसे हिमांशु कलुड़ा नाम के एक व्यक्ति ने रिकॉर्ड किया था. ये लोग सैयद पीर बाबा को मानते हैं. और उन्हीं की पूजा कर रहे हैं. इस गांव में कोई मुस्लिम समुदाय का व्यक्ति नहीं रहता है.”

इसके अलावा, ऑल्ट न्यूज़ ने भरपुर गांव के रहनेवाले ओमप्रकाश सिंह से भी बात की. उन्होंने बताया, “सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा दावा गलत है. वीडियो में दिखने वाले सभी लोग हिन्दू धर्म के ही हैं. और तो और, हमारे गांव में भी कोई मुस्लिम समुदाय के लोग नहीं हैं . ये एक त्योहार जैसा है हमारे गांव में. हर 3 साल में इसे मनाया जाता है. इसके अलावा, हमारे गांव में कोई मुस्लिम समुदाय से जुड़ा व्यक्ति नहीं आया है. यहां के लोग पीर बाबा को मानते हैं. उन्हीं की पूजा का ये कार्यक्रम था.”

कुल मिलाकर, सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर झूठा दावा किया गया कि पहाड़ी क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लोग हिन्दू संस्कृति का मज़ाक उड़ा रहे हैं.


श्रीनगर में आतंकवादी को हिरासत में लेने का वीडियो बताकर शेयर की गयी क्लिप ब्राज़ील की है :

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About the Author

Kinjal Parmar holds a Bachelor of Science in Microbiology. However, her keen interest in journalism, drove her to pursue journalism from the Indian Institute of Mass Communication. At Alt News since 2019, she focuses on authentication of information which includes visual verification, media misreports, examining mis/disinformation across social media. She is the lead video producer at Alt News and manages social media accounts for the organization.