सोशल मीडिया यूज़र्स एक तस्वीर शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि उत्तरांचल यूनिवर्सिटी में हुए दीक्षांत समारोह में काले कोट और टोपी की जगह सभी विद्यार्थियों को भगवा पहनाकर उपाधियां प्रदान की गयीं. खुद को ट्विटर पर BJP ग्रेटर नोएडा का उपाध्यक्ष बताने वाले मुकेश चौहान ने सबसे पहले 17 मार्च को ये तस्वीर शेयर करते हुए ऐसा दावा किया था.
उतंराचल यूनिवर्सिटी उत्तराखन्ड मे अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परम्परा को यूनिवर्सिटी ने खत्म करते हुये दीक्षांत समारोह मे इस वर्ष काले कोट और काले टोप की जगह सभी स्टुडेन्ट को भगवा पहनाकर डिग्रियां दी।#जय_सनातन_धर्म 🚩#एक_नये_भारत_का_उदय @dr_maheshsharma pic.twitter.com/441FMd9IQB
— Mukesh Chauhan BJP (@iMukeshBJP) March 17, 2021
हमने देखा कि मुकेश चौहान के ट्वीट के बाद कई लोग ये दावा करने लगे कि उत्तरांचल यूनिवर्सिटी ने अंग्रेज़ों के ज़माने से चली आ रही परम्परा को खत्म करते हुये दीक्षांत समारोह मे इस वर्ष काले कोट और काली टोपी की जगह सभी स्टूडेंट्स को भगवा पहनाकर डिग्री दी. ये तस्वीर इस दावे के साथ ट्विटर पर वायरल है.
राकेश ठिय्या नाम के एक यूज़र ने ये तस्वीर 18 मार्च को शेयर की है जिसे इस आर्टिकल के लिखे जाने तक 10 हज़ार लाइक्स मिल चुके हैं. (ट्वीट का आर्काइव लिंक)
Uttaranchal University in Uttarakhand ends the British era practice of wearing black gowns and caps on graduation day. Instead students wore kurta and saffron scarf. pic.twitter.com/8SGki0bI9u
— Rakesh Thiyya (@ByRakeshSimha) March 18, 2021
ETV उत्तराखंड ने 19 मार्च 2021 एक ख़बर में बताया, “उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में ऐसा पहली बार हुआ जब छात्र-छात्राएं काले रंग के गाउन और टोपी के स्थान पर हल्के पीले रंग के सादे कुर्ते और गले में भगवा रंग का स्कार्फ के साथ शामिल हुए. उत्तरांचल यूनिवर्सिटी की इस पहल की प्रदेश के साथ ही देश भर में जमकर सराहना की जा रही है.” (आर्काइव लिंक)
फ़ेसबुक पर भी ये तस्वीर इसी दावे के साथ शेयर की जा रही है. नए भारत का उदय बताकर शेयर किए गए इस पोस्ट को 6 हज़ार से ज़्यादा लाइक्स मिले हैं.
ये तस्वीर ट्विटर, फ़ेसबुक और व्हाट्सऐप पर इसी दावे के साथ शेयर की जा रही है. ऑल्ट न्यूज़ के व्हाट्सऐप नंबर पर इस दावे की पड़ताल के रिक्वेस्ट मिले हैं.
फ़ैक्ट-चेक
हमने देखा कि उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के वेबसाइट पर दी गयी जानकारी के मुताबिक पहला कॉन्वोकेशन फ़रवरी, 2020 में हुआ था. और इस कार्यक्रम की कई तस्वीरें वेबसाइट पर मौजूद हैं. इन तस्वीरों को देखने से पता चलता है कि छात्रों ने सिर्फ भगवा रंग के स्कार्फ़ ही नहीं पहने थे. दूसरे रंग के स्कार्फ़ भी नीचे तस्वीर में देखे जा सकते हैं.
उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के ट्विटर हैंडल से ऐसी कुछ तस्वीरें 29 फ़रवरी 2020 को ट्वीट भी की गयीं थीं.
Grand Celebration of First Convocation Ceremony at Uttaranchal University 59 Gold Medals, 16 Doctorate (Ph.D.) and 2668 received Degrees.https://t.co/oHOnvUeLHR#UttaranchalUniversity #GrandCelebration #FirstConvocationCeremony #GoldMedals #Doctorate #Degrees pic.twitter.com/Vo29kN9ac7
— Uttaranchal University Dehradun Official (@UUDehradun) February 29, 2020
अब वायरल हो रही तस्वीर की बात करते हैं. हमने पाया कि ये उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के छात्रों की ही तस्वीर है. यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर दी गयी तस्वीरों में हमें उस लड़की की एक तस्वीर भी मिली जो अभी शेयर की जा रही तस्वीर में सेल्फ़ी लेती हुई दिख रही है. ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वेबसाइट पर मौजूद बाकी की तस्वीरों में वायरल तस्वीर में पीछे बैठी लड़कियां भी दिखती हैं.
इसके अलावा वेबसाइट पर इस कॉन्वोकेशन की तस्वीरें देखने से साफ़ हो जाता है कि यूनिवर्सिटी ने सिर्फ़ एक रंग का ड्रेस कोड नहीं रखा था. नीचे की तस्वीरों में केसरिया रंग के अलावा नीले और मरून रंग के स्कार्फ़ भी दिख रहे हैं.
हमने उत्तरांचल यूनिवर्सिटी से संपर्क किया. हमें बताया गया, “कॉन्वोकेशन में कोई एक रंग का ड्रेस कोड नहीं था. हमने अलग-अलग डिपार्टमेंट का रंग अलग अलग रखा था. उसमें से किसी बच्चे ने ये तस्वीर डाल दी. और उसे ग़लत दावे से शेयर किया जा रहा है.”
क्या भारतीय पोशाक पहली बार किसी कॉन्वोकेशन का ड्रेस कोड बना?
यूजीसी के सचिव डॉ. जसपाल एस संधु ने जुलाई 2015 में सभी यूनिवर्सिटीज़ को एक पत्र लिखा था और दीक्षांत समारोह जैसे मौकों पर औपचारिक वस्त्र के रूप में हैंडलूम वस्त्रों पर विचार करने को कहा था. पत्र में लिखा गया है कि हैंडलूम वस्त्र न केवल समृद्ध भारतीय संस्कृति और विरासत का अभिन्न अंग हैं, बल्कि यह लाखों ग्रामीण लोगों को आजीविका भी प्रदान करता है.
अक्टूबर 2018 में HRD मिनिस्टर प्रकाश जावेड़कर ने सभी विश्वविद्यालयों से अपील करते हुए कहा था कि वो छात्रों को कहें कि कॉन्वोकेशन में ब्रिटिश प्रेरित कपड़ों की बजाय भारतीय पोशाक पहनें.
ऐसा नहीं है कि BJP सरकार के सत्ता में आने पर यूनिवर्सिटीज़ ने ऐसे निर्णय लिए हैं. 2013 में IIT-BHU छात्रों ने ग्रेजुएशन सेरेमनी में काले कपड़े पहनने के पुराने रिवाज़ को नकार कर भारतीय पारंपरिक पोशाक अपनाया था.
IIIT हैदराबाद में 2012 से ही कॉन्वोकेशन के लिए भारतीय पोशाक ही ड्रेस कोड रखा गया है और ये कपड़े खरीदने के लिए कुछ खादी आश्रम और हैंडलूम हाउसेज़ के नाम भी बताए गए हैं.
यानी, सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा कि उत्तरांचल यूनिवर्सिटी ने दीक्षांत समारोह में भगवा रंग को ड्रेस कोड बनाया, ग़लत साबित होता है. और ऐसा पहली बार भी नहीं हुआ है कि किसी यूनिवर्सिटी ने भारतीय पोशाक को कॉन्वोकेशन का ड्रेस कोड बनाया हो. ऐसा कई सालों से देश के अलग-अलग यूनिवर्सिटीज़ में होता आ रहा है. फिर भी इसे ETV उत्तराखंड ने ख़बर बताकर छाप दिया. ऑल्ट न्यूज़ ने 2019 में भी ऐसे ही एक दावे की पड़ताल की थी जब कहा जा रहा था कि IIT वाराणसी के छात्रों ने दीक्षांत समारोह में काले पोशाक के बदले पारंपरिक पोशाक पहने.
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