नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ करीब 4 महीने से किसानों का प्रदर्शन जारी है. 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली थी. लेकिन इस रैली के दौरान भीड़ काबू से बाहर हो गयी और प्रदर्शन कर रहे लोगों का एक समूह दिल्ली के लाल किला में घुस गया. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प के दौरान पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करना पड़ा. इस दौरान पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया. बाद में पुलिस ने गिरफ़्तार 122 लोगों के नाम जारी किये थे.
अब सोशल मीडिया पर एक दावा काफ़ी वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि गिरफ़्तार किये गये किसानों को हाई कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दे दिया है. इस वायरल मेसेज में लिखा है, “दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा पकडे़ गए सभी किसानसाथियों को छोड़ने का आदेश दिया किसान एकता जिंदाबाद अन्नदाता की जय हो.” प्रेम रसोड़ा का ये पोस्ट 2,800 से ज़्यादा लोग शेयर कर चुके हैं.
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ग़लत दावा
ऑल्ट न्यूज़ ने प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारी से जुड़ी हालिया रिपोर्ट्स सर्च कीं. हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें प्रदर्शनकारियों को रिहा करने की बात कही गयी हो. किसान आन्दोलन से जुड़े 122 लोगों को एक ही बार में अगर रिहा कर दिया जाता तो ये सुर्ख़ियों में ज़रूर होता. लेकिन इसके उलट, दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘ग़ैर-कानूनी तौर से गिरफ्तार’ प्रदर्शनकारियों को रिहा करने वाली याचिका ख़ारिज कर दी. हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दर्ज की गयी FIR पर जल्द से जल्द जांच के आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि गिरफ़्तार किये गये सभी लोगों पर जब तक FIR और जांच नहीं हो जाती, उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता है.
हमने दिल्ली पुलिस के एडीशनल PRO अनिल मित्तल से संपर्क किया. उनसे जब हमने इस मामले के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसी कोई भी जानकारी नहीं आई है और ऐसा कुछ भी नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली पुलिस के PRO चिन्मय बिस्वाल का नंबर भी दिया और इस मामले के बारे में उनसे भी बात करने को कहा. हमने चिन्मय बिस्वाल को डेढ़ घंटे में करीब 5 बार अलग-अलग नंबरों से फ़ोन किया लेकिन उनसे हमारी कोई भी बात नहीं हो सकी. इसलिए हम एडीशनल PRO अनिल मित्तल की कही बात को अपनी रिपोर्ट में जगह भी दे रहे हैं और अपने फ़ैक्ट-चेक का आधार भी बना रहे हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट ने ये रिपोर्ट लिखे जाने तक, दिल्ली पुलिस को ऐसा कोई भी निर्देश नहीं दिया है जिसके तहत प्रदर्शनकारी किसान छोड़े गए या छोड़े जाने वाले हैं.
वायरल दावा कि दिल्ली पुलिस ने जिन प्रदर्शनकारी किसानों को गिरफ़्तार किया है, दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है, बिल्कुल ग़लत है.
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