राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि को लेकर लंबे समय से चला आ रहा धार्मिक विवाद है. इस स्थान पर हिंदू और मुस्लिम, दोनों अपना दावा करते रहे हैं. हिंदुओं का मानना है कि 16वीं शताब्दी में बाबर द्वारा मस्जिद उसी जगह पर बनाई गई है जहां हिन्दू देवता राम का जन्म हुआ था. कई वर्षों से चले आ रहे इस विवाद के बीच 1992 में विश्व हिन्दू परिषद जैसे विभिन्न दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े हिंदू कार्यकर्ताओं के एक बड़े समूह ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया जिससे पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे. ये मामला कई वर्षों तक अदालत में चला और कई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 में मामले पर आखिरी फैसला सुनाते हुए सरकार को एक ट्रस्ट स्थापित कर राम मंदिर के निर्माण के लिए ये भूमि ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया.

इसके बाद से राम मंदिर का निर्माण ज़ोरों-शोरों से शुरू हो गया. हालांकि, अभी मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ है. इसी अर्धनिर्मित मंदिर में 22 जनवरी 2024 को मंदिर के गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा होगी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल रहेंगे. अर्धनिर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चार पीठों के शंकराचार्य ने नाराज़गी व्यक्त की है और विपक्ष भी इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री और भाजपा पर निशाना साध रही है. इसी क्रम में गूगल मैप का एक स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि जिस जगह पर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था और जिस ज़मीन को लेकर इतने विवाद हुए, असल में मंदिर उस जगह पर नहीं, बल्कि उससे 3 किलोमीटर दूर बन रहा है. देखते ही देखते कई नेताओं ने भी इस दावे को आगे बढ़ाया.

मनीष जेठवानी नाम के यूज़र ने गूगल मैप का एक स्क्रीनशॉट ट्वीट किया जिसमें दो जगहों पर घेरा बनाया गया है. एक घेरा अयोध्या में बन रहे श्री राम जन्मभूमि मंदिर पर लगा है, वहीं दूसरा घेरा एक और लोकेशन पर लगा है जिसमें (Babar Masjid permanently closed) लिखा है. इसे शेयर करते हुए दावा किया गया कि जिस जगह पर बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया, वहां राम मंदिर नहीं बन रहा है बल्कि दूसरी जगह पर बन रहा है. (आर्काइव लिंक)

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी विकास बंसल ने संजय राऊत का बयान ट्वीट करते हुए लिखा कि भगवान राम का जन्म उस जगह पर हुआ था जहां बाबरी मस्जिद थी और इसी वजह से उसे गिराया गया था. लेकिन मंदिर वहां से 3 किलोमीटर दूर बनाया जा रहा है. इसके साथ ही इस बयान में संजय राऊत ने सवाल उठाया कि अगर मंदिर 3 किलोमीटर दूर बनानी थी तो मस्जिद गिराकर हिन्दू-मुस्लिम में इतनी नफरत क्यों फैलाई? (आर्काइव लिंक)

न्यूज़ 24 ने भी संजय राऊत का बयान ट्वीट किया. (आर्काइव लिंक)

कथित मुस्लिम स्कालर फ़ज़ील अहमद ने भी मीडिया को दिए एक इंटेरव्यू में कहा कि अयोध्या में बन रहा राम मंदिर उस जगह से 3 किलोमीटर दूर है जहां बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था. (आर्काइव लिंक)

फ़ैक्ट-चेक

वायरल स्क्रीनशॉट में एक जगह अयोध्या में बन रहे ‘श्री राम जन्मभूमि मंदिर’ है जो साफ तौर पर दिखाई दे रही है, हमने दूसरी जगह के बारे में जानने के लिए उसे गूगल मैप पर खोजा तो पाया कि अयोध्या में इस लोकेशन पर सीता-राम बिरला मंदिर है. आगे, दिए गए ग्राफिक में हमने गूगल मैप के साथ वायरल स्क्रीनशॉट को कम्पेयर किया है. गौर करने वाली बात ये है कि गूगल मैप में मौजूद सेटेलाइट इमेज, ज़ूम करने पर ये सीता-राम बिरला मंदिर के स्ट्रक्चर से बिल्कुल मेल खाता है. यानी, इस लोकेशन पर सीता-राम बिरला मंदिर है, यहां बाबरी मस्जिद नहीं थी.

वायरल स्क्रीनशॉट में एक और गौर करने वाली बात है कि उसपर बाबरी मस्जिद नहीं बल्कि बाबर मस्जिद लिखा है. जब हमने इससे जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए गूगल मैप पर सर्च किया तो पाया कि ये गलत मार्किंग सीता-राम बिरला मंदिर पर ही की गई थी, इस मस्जिद के रिव्यू में बाबरी मस्जिद की तस्वीर अपलोड की गई थी.

जहां बाबरी मस्जिद ध्वस्त की गई थी, वहीं बन रहा है राम मंदिर

इसके बाद हमने Google Earth Pro पर अयोध्या में बन रहे श्री राम जन्मभूमि मंदिर को सर्च किया. हमने पाया कि 2023 में ली गई लेटेस्ट सेटेलाइट इमेज में इस जगह पर मंदिर जैसा एक स्ट्रक्चर बना है. इसके बाद हमने Google Earth Pro एप्लीकेशन की मदद से इसी जगह का पुराना सेटेलाइट इमेज देखा तो हमें पुरानी तस्वीरों में सबसे साफ तस्वीर 2011 की मिली जिसमें देखा जा सकता है कि उस वक्त राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हुआ था. इस लोकेशन के कोऑर्डिनेट्स (26°47’43.74″N 82°11’38.77″E) हैं.

इंटरनेट पर सर्च करने पर हमें बाबरी मस्जिद की कई तस्वीरें मिली, हालांकि उन तस्वीरों में से किसी भी स्ट्रक्चर का मिलान करना मुश्किल है. इसी क्रम में हमें 2 ऐसी तस्वीरें मिली जो मस्जिद के दो विपरीत दिशाओं से ली गई थी, इन्हें नीचे दिए कम्पेरिजन में (Image 1 और Image 2) के रूप में दर्शाया गया है. इन दोनों तस्वीरों में बाबरी मस्जिद दिखाई दे रहा है, इसके साथ ही एक तस्वीर में पास की बिल्डिंग और दोनों तस्वीरों में मस्जिद के पास के कुछ स्ट्रक्चर्स दिखाई दे रहे हैं. चूंकि 2011 में राम मंदिर का निर्माण नहीं हुआ था और कोई भी बड़ा कंस्ट्रक्शन जैसा बदलाव नहीं हुआ था इसलिए उस लोकेशन के पुरानी बिल्डिंगस् और स्ट्रक्चर पहले की तरह ही है जिससे इसे 2011 में ली गई सैटेलाइट इमेज से मिलान करना आसान है.

जिस हिस्से को 1 के रूप में मार्क किया गया है वो बाबरी मस्जिद है जिसकी तस्वीर दो तरफ से Image 1 और Image 2 में दिखाई दे रहा है, और 2023 की सेटेलाइट इमेज में उसी जगह पर राम मंदिर बन रहा है. वहीं जिस स्ट्रक्चर को 2 के रूप में मार्क किया गया है वो बाबरी मस्जिद के बगल की एक बिल्डिंग से सटे कंक्रीट प्लिन्थ बीम जैसा एक स्ट्रक्चर है जो तीनों तस्वीरों में दिखाई दे रहा है. जिस बिल्डिंग को 3 मार्क किया गया है वह Image 2 और 2011 के सेटेलाइट इमेज में भी दिखाई दे रहा है. इस तरह हमने 2011 के सेटेलाइट इमेज से इन तस्वीरों में मौजूद स्ट्रक्चर्स का मिलान किया तो पाया कि ये उसी जगह की तस्वीर है जहां हाल में राम मंदिर बन रहा है. यानी, जिस जगह पर बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ, उसी जगह पर राम मंदिर बन रहा है.

कुल मिलाकर, शिवसेना नेता संजय राऊत समेत कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने सीता-राम बिरला मंदिर के बारे में झूठा दावा किया कि वो बाबरी मस्जिद है और राम मंदिर उससे 3 किलोमीटर की दूरी पर बन रहा है. जबकि असल में राम मंदिर उसी जगह पर बन रहा है जहां बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था.

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).