26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गयी. कुछ जगहों पर हिंसा की ख़बरें आयीं. साथ ही ये भी ख़बरें आयीं कि प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर सिख धर्म से जुड़ा निशान साहिब झंडा फहराया. इसके बाद पाकिस्तान की पॉलिटिकल पार्टी सहित कुछ भारतीय मिडियाकर्मियों ने ये ग़लत दावा किया था कि लाल किले पर तिरंगा हटाकर खालिस्तानी झंडा लहराया गया.

इसके बाद द स्क्विंट या द स्क्विंटनियन, जिसे कई बार भ्रामक दावा करते हुए देखा गया है, ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा कि ये उन लोगों के लिए है जो कह रहे थे कि लाल किले से तिरंगा नहीं हटाया गया. 8 सेकंड के इस वीडियो में प्रदर्शनकारी को लाल किले पर निशान साहिब झंडा लगाते हुए देखा जा सकता है. इस वीडियो में प्रदर्शनकारी के हाथ में तिरंगा होता है जिसे वो एक दूसरे प्रदर्शनकारी को थमा रहा है. इस छोटे से हिस्से को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि उस जगह पहले तिरंगा था जिसे हटा दिया गया. (आर्काइव लिंक)

ट्विटर पर भी कई लोग ये वीडियो शेयर करते हुए यही दावा कर रहे हैं. खुद को BJP हिमाचल प्रदेश यूथ विंग का इंचार्ज बताने वाले ध्रुव वाधवा ने इसे शेयर करते हुए लिखा, “लाल किले पर हमारे राष्ट्रीय झंडे को हटाकर धार्मिक झंडा लहराया गया. (आर्काइव लिंक)

फ़ेसबुक पर ये वीडियो इस दावे के साथ वायरल हो रहा है. जहां कुछ ही घंटों में इसे हज़ारों व्यूज मिल चुके हैं.

फ़ैक्ट-चेक

वीडियो के ऊपर दाहिने तरफ़ ‘डेली पोस्ट पंजाबी’ का लोगो दिख रहा है. हमने पाया कि इस नाम के एक यूट्यूब चैनल ने 26 जनवरी को किसानों की रैली को 5 घंटे लगातार लाइव कवर किया था. इस वीडियो के 1 घंटे 49 मिनट के बाद का हिस्सा ध्यान से देखने पर पता चलता है कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा बिलकुल ग़लत है. वहां पहले से कोई तिरंगा नहीं था.

हम उस समय का कुछ हिस्सा यहां रख रहे हैं. इसे देखने से ये साफ़ हो जाता है कि उस गुम्बद पर प्रदर्शनकारी पहले से निशान साहिब झंडा लगा चुके हैं.

वहां प्रदर्शनकारियों की भीड़ में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज सहित सिख धर्म के झंडे भी दिख रहे हैं. इस वीडियो में पहले से उस किले पर निशान साहिब झंडा लगा हुआ दिखता है. फिर कैमरा उसके सामने के गुम्बद को दिखाने की कोशिश करता है तो हम देखते हैं कि एक प्रदर्शनकारी तिरंगा लेकर उस ओर दौड़ लगा रहा है. फिर जैसे ही कैमरा इस तरफ़ आता है, तिरंगा और केसरी झंडा दोनों एक साथ दिखते हैं. यानी, ऐसा है कि उस किले पर खड़े प्रदर्शनकारी को कोई तिरंगा देता है वो कुछ समय तक दोनों झंडे को एक साथ रखता है और फिर वापस कर देता है. वायरल हो रहे वीडियो में सिर्फ वही हिस्सा है जब वो तिरंगे को वापस दूसरे प्रदर्शनकारी को दे रहा होता है और इसी हिस्से को लेकर ये दावा किया जा रहा है कि वहां से तिरंगा हटाया गया.

हमने इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार अभिनव साहा द्वारा पोस्ट किए गए कुछ फ़ोटोज़ में उसी समय का एक फ़ोटो देखा. इसमें साफ़ तौर पर दिख रहा है कि केसरी झंडा बंधा हुआ है और वहां तिरंगा लगाने की कोशिश की जा रही है. यहां उसी शख्स के हाथ में तिरंगा दिख रहा है जो वायरल वीडियो में दिखता है.

हमें कुछ तस्वीरें मिली जिससे इस घटना के सीक्वेंस को और बेहतर समझा जा सकता है. ऊपर के वीडियो में आप देखते हैं कि उजले कपड़े में दिख रहा एक शख्स तिरंगा लेकर बायीं तरफ़ दौड़ लगा रहा है. इन तस्वीरों में नारंगी घेरे में वो व्यक्ति दिख रहा है. तिरंगे को गुम्बद पर खड़े शख्स तक दिए जाने के इस सीक्वेंस को पहली, दूसरी और तीसरी तस्वीर के माध्यम से समझा जा सकता है.

नीचे पोस्ट किए गए वीडियो में साफ़ तौर पर दिख रहा है कि तिरंगे को ऊपर खड़े शख्स तक पहुंचाया गया है.

यानी, एक 5 घंटे के वीडियो से सिर्फ 8 सेकंड की क्लिप काटकर ये ग़लत दावा किया जा रहा है कि लाल किले से तिरंगा हटाया गया.

[अपडेट : इस आर्टिकल के फ़ैक्ट-चेक में घटनाक्रम को बेहतर समझाने के लिए वीडियो बाद में शामिल किया गया है.]

 


किसान प्रदर्शनकारियों ने लाल किला पर तिरंगा हटाकर खालिस्तानी झंडा नहीं फहराया, देखिये वीडियो रिपोर्ट

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