गुजरात में कोरोना के मामले बहुत तेज़ी से बढ़े हैं. राज्य में रोज़ 14,000 से ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं और स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन की कमी से जूझती साफ़ नज़र आ रही है. यही नहीं, कोरोना से हो रही मौतों के असल आंकड़े सरकारी आंकड़ों से कई गुना ज़्यादा हैं.

सन्देश न्यूज़ ने 15 अप्रैल को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के साथ एक इंटरव्यू किया था. ये वीडियो यूट्यूब पर दो भागों में अपलोड किया गया है. दूसरे भाग में 14वें मिनट पर पत्रकार सवाल करता है, “एक सवाल जो मुझे पूछना है, इसका जवाब दें ताकि जनता में विश्वास बन सके… राजकोट का उदाहरण ही लेते हैं, मौत के आंकड़े 80 बताये गये हैं लेकिन सरकारी आंकड़ा इससे काफ़ी कम है. सरकार मौत की जो संख्या बता रही है और जितनी मौतें वाकई में हो रही है, उनमें काफ़ी अंतर क्यों है?”

 

सीएम रूपाणी ने कोरोना से हुई मौतों को रिकॉर्ड करने पर इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के दिशा-निर्देश समझाए. उनके मुताबिक, ICMR कहता है कि अगर किसी कोरोना मरीज़ को पहले से कैंसर या डायबिटीज़ जैसी बीमारी है तो उसकी मौत का प्राथमिक कारण कोरोना नहीं होगा.

उन्होंने कहा, “ICMR के मुताबिक मौत के दो कारण हैं. पहला कोविड है और दूसरा पहले से कोई बीमारी. उदाहरण के लिए, अगर कोई 75-80 साल का व्यक्ति कैंसर के तीसरे स्टेज में है और उसे कोविड हो जाता है, तो अगर उसकी मौत होती है, तो पहला कारण कैंसर होगा और दूसरा कोविड. जिन मरीज़ों का ब्लड शुगर 500 से ज़्यादा है, अगर उस डायबिटिक मरीज़ की मौत होती है तो इसका प्राथमिक कारण डायबिटीज़ है और द्वितीयक कारण कोविड.”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए डॉक्टरों की एक कमिटी बनाई गयी है कि वो सभी मरीज़ों के स्वास्थ्य की जांच कर जानकारी दर्ज करें. वो ही मौत का प्राथमिक और द्वितीय कारण विभाजित करते हैं. उदाहरण के लिए, अगर 100 लोगों की मौत होती है (कोविड मरीज़ों की) और सिर्फ़ 20 ही रिपोर्ट किये गये हैं (कोविड के कारण) तो बाकी 80 लोगों की मौत का दूसरा कारण है.”

विजय रूपाणी ने 19 अप्रैल को द टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए कहा था, “कोविड से होने वाली मौतों के रिकॉर्ड ICMR के दिशा-निर्देशों के मुताबिक ही गुजरात समेत सभी राज्यों में दर्ज किये जा रहे हैं.”

गुजरात में कोरोना से मरने वालों की संख्या कम क्यों?

द क्विंट और गुजरात समाचार के मुताबिक राज्य में श्मशानों में एक साथ कई लाशें जलाई जा रही हैं. द प्रिंट की भी ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, 16 अप्रैल को अहमदाबाद के 6 श्मशानों में कम से कम 84 शवों का अंतिम संस्कार किया गया. लेकिन गुजरात के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने शहर में सिर्फ़ 25 मौतों की जानकारी दी.

द प्रिंट की रिपोर्ट के एक दिन पहले द हिन्दू ने रिपोर्ट किया था कि 16 अप्रैल को राज्य सरकार ने 78 मौतों की जानकारी दी थी. लेकिन कोविड-19 प्रोटोकॉल्स के साथ राज्य में कम से कम 689 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था.

इंडिया टुडे ने भी पाया कि गुजरात में मौत के सही आंकड़े छिपाए जा रहे हैं. चैनल की ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि मृतकों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज़्यादा हो सकती है. वाराणसी, भोपाल और तेलंगाना से आ रही रिपोर्ट्स भी कुछ यही तस्वीर पेश करती हैं.

ICMR के दिशा निर्देश क्या हैं?

ऑल्ट न्यूज़ ने ICMR और नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ इन्फ़ॉर्मेटिक्स ऐंड रिसर्च (NCDIR) की ‘भारत में कोविड-19 से मौत की सही रिकॉर्डिंग के लिए गाइडेंस’ का विश्लेषण किया. हमने पाया कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मौतों को रिकॉर्ड करने का जो नियम बताया, वो भ्रामक है. NCDIR के निदेशक डॉ प्रशांत माथुर ने बताया कि ये दिशा-निर्देश मई 2020 में ही जारी किये गये थे.

इसके तीसरे पन्ने के मुताबिक, “मरीज़ों में पहले से ही अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, इस्केमिक हार्ट डिज़ीज़, कैंसर और डायबिटीज़ मौजूद हो सकते हैं. कोविड-19 से ग्रसित मरीज़ों में ये बीमारियां सांस से जुड़ी परेशानियां गंभीर कर सकती हैं, घातक साबित हो सकती हैं. लेकिन इन बीमारियों को मौत का मुख्य कारण (underlying cause of death/UCOD) नहीं बताया जा सकता है. यही नहीं, मरीज़ को पहले से कई बीमारियां हो सकती हैं लेकिन भाग-2 में केवल उसी को लिखा जाये जिसने मौत होने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है.”

प्रशांत माथुर ने ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए कहा, “डायबिटीज़, कैंसर जैसी बीमारियों से पूर्वग्रसित कोविड मरीज़ों की मौत में कोविड-19 मुख्य या अलग भूमिका (underlying and contributory causes) निभा सकता है.” उन्होंने ये भी कहा, “मौत का कारण जो भी हो, मृत्यु के कारण का मेडिकल सर्टिफ़िकेट (MCCD) पर कोविड-19 से जुड़ा mortality code ज़रूर लिखा होना चाहिए ताकि महामारी के स्तर का सही अंदाज़ा लगाया जा सके.”

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

ऑल्ट न्यूज़ ने ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी के असोसिएट प्रोफ़ेसर चलपति राव से बात की. पिछले साल उन्होंने WHO बुलेटिन में एक सम्पादकीय लिखा था- ‘Medical certification of cause of death for COVID-19′ यानी ये कोरोना से मरने वालों की मृत्यु के कारण के मेडिकल सर्टिफ़िकेट बनाने पर केन्द्रित था. उन्होंने गुजरात के सीएम विजय रूपाणी की बात सुनने के बाद कहा, “ICMR के दिशानिर्देश समझाते हुए सीएम रूपाणी ने प्राइमरी और सेकेंडरी जैसे शब्द इस्तेमाल किये. लेकिन इसके लिए सही शब्द अंडरलाइंग और कंट्रीब्यूटरी है और ये लेबल MCCD के विभिन्न श्रेणियों में दिए गये कारणों के आधार पर दिए जाते हैं. कोविड-19 से हुई मौतों के आकड़ों का सही स्तर जानने के लिए ज़रूरी है कि कोविड-19 को मुख्य कारण बताया जाये. महामारी के प्रभाव को समझने के लिए कोविड-19 लिखे गये सभी मृत्यु प्रमाणपत्रों को शामिल किया जाना चाहिए, चाहे कोरोना मुख्य कारण हो या इसकी कोई भूमिका हो. इसलिए सर्टिफ़िकेट पर कोविड-19 को सही तरह से सूचित किया जाना बेहद ज़रूरी है ताकि इससे हो रही मौतों के सही आंकड़े मिल पायें.”

उन्होंने आगे कहा, “और इससे भी ज़्यादा ज़रूरी, अगर कोई कोविड-19 पॉज़िटिव हुआ है तो MCCD में साफ़-साफ़ लिखा होना चाहिए और उसके आगे ‘कन्फ़र्म्ड’ भी लगाना चाहिए ताकि राज्य सही आंकड़े जुटा पाएं और उचित कदम उठा सके. इसके साथ ही अगर कोविड-19 के लक्षण मौजूद थे लेकिन टेस्ट रिज़ल्ट नेगेटिव था, तो भी ‘कोविड-19 का संदेह (ससपेक्टेड COVID-19)’ लिखा जाना चाहिए, तभी आंकड़ों का सही आंकलन मुमकिन है.”

ऑल्ट न्यूज़ ने गुजरात सीएम ऑफ़िस से इस बारे में जवाब मांगा है और जैसे ही कोई प्रतिक्रिया आएगी, हम आर्टिकल अपडेट करेंगे.

कोविड से होने वाली मौतों को रिकॉर्ड करने के लिए बने नियमों को समझने के लिए इस रिपोर्ट को आगे चार हिस्सों में बांटा गया है:

1. मौत से जुड़े कुछ मेडिकल शब्दों का मतलब समझना

2. मृत्यु प्रमाणपत्र और मृत्यु के कारण का मेडिकल सर्टिफ़िकेट (MCCD) के बीच अंतर

3. मौत के आकड़े रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया

4. केस स्टडी: शेल्बी हॉस्पिटल द्वारा तैयार किया गया MCCD

मौत से जुड़े कुछ मेडिकल शब्दों का मतलब समझना

ICMR/ NCDIR के दिशानिर्देश ‘मौत का कारण’ कुछ यूं परिभाषित करते हैं, “वो सभी बिमारियां, शारीरिक दिक्कतें और चोट जो मौत का कारण बने या उसमें भूमिका निभाए, और दुर्घटना या हिंसा के दौरान परिस्थितियां जिनसे ऐसी चोटें आयीं.” इसमें आगे कहा गया है, ‘मौत के प्रकार (मोड ऑफ़ डाईंग)’ को मौत के कारण की जगह पर नहीं लिखना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि किस तरह से मौत हुई, इसका मरीज़ की बीमारी से कोई वास्ता नहीं है.

दिशानिर्देशों में बताया गया है कि बीमारी के कारण की जगह पर कोई शॉर्ट फ़ॉर्म का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. कॉज ऑफ़ डेथ के कुछ उदाहरण हैं- रेस्पिरेटरी एसिडोसिस, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम, एक्यूट कार्डियक इंजरी.

नीचे ICMR/ NCDIR के बताये गये ‘मोड ऑफ़ डाईंग’ के उदाहरण हैं:

मौत अक्सर दो या उससे ज़्यादा स्वतंत्र अथवा एक दूसरे पर आधारित कारणों के मिश्रण से होती है. मतलब, कई मौकों पर एक वजह दूसरे को जन्म देती है और इससे तीसरी स्थिति पैदा होती है और ये सिलसिला चलता रहता है. लेकिन जिस बीमारी या चोट से शरीर में बाकी दिक्कतें चालू हुईं, उसे ही मौत का मुख्य कारण (UCoD) माना जाएगा और वही रिपोर्ट में भी लिखा जाएगा.

ICMC/ NCDIR के दिशा-निर्देश UCoD का कुछ इस तरह विस्तार करते हैं:

1. ऐसी बीमारी या चोट जिसने रोग की ऐसी परिस्थितियां बनानी शुरू की जिनसे मौत हो गयी.

2. जानलेवा चोट देने वाले एक्सीडेंट या हिंसा की परिस्थितियां

3. मुख्य कारण से पैदा हुई बाकी सभी बीमारियां तात्कालिक या पूर्ववर्ती वजह कहलाएंगी.

मृत्यु प्रमाणपत्र और मृत्यु के कारण का मेडिकल सर्टिफ़िकेट यानी MCCD के बीच अंतर

पाठक गौर करें कि ‘मृत्यु प्रमाणपत्र’ का सीधा मतलब है रजिस्ट्रार द्वारा जारी किया गया दस्तावेज़ जो जन्म एवं मृयु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 के तहत दर्ज किया जाता है. इसे पाने के लिए लोगों को मौत का प्रमाण (MCCD या अंतिम संस्कार के समय दी गयी पर्ची) दिखानी ज़रूरी है. इसके बारे में ज़्यादा जानकारी आप यहां पढ़ सकते हैं. ये बता दें कि रजिस्ट्रार जो मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करता है, उसमें मौत का कारण (UCoD) नहीं लिखा होता है.

MCCD ऐसा सर्टिफ़िकेट है जिसे मरीज़ का इलाज करने वाला चिकित्सक ही दे सकता है, या वो आखिरी चिकित्सक जो मौत से पहले तक इलाज कर रहा था.
MCCD को स्टैंडर्ड फ़ॉर्म 4 (संस्थागत मौत) और फ़ॉर्म 4A (ग़ैर-संस्थागत मौत) के नियम के तहत रिकॉर्ड किया जाता है, जो जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 में बताया गया है.

MCCD के दो भाग हैं:

1. भाग 1 में तात्कालिक या पूर्ववर्ती वजह रिकॉर्ड करना बताया गया है. (लाल बॉक्स)

2. भाग 2 में मौत की वजहों में भूमिका निभाने वाला कारण या बीमारी लिखना है. लेकिन ये मुख्य बीमारी की वजह से जो उपक्रम हुए उसका हिस्सा नहीं है. (हरा बॉक्स)

यानी, जब सीएम रूपाणी ने प्राथमिक और द्वितीय मौत के कारण की बात कही तो उनका मतलब भाग 1 और भाग 2 से था.

मौत के आकड़े रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया

दिशा-निर्देशों के मुताबिक, भाग 1 में वो सभी स्थिति लिखनी है जी आगे जाकर मौत में भूमिका निभा रही हैं.

1. लाइन (a) में मौत का तात्कालिक कारण लिखा है- वो कारण या रोग जो सीधे तौर पर मौत की वजह बना.

2. लाइन (b) में तात्कालिक कारण से ठीक पहले का कारण लिखना होता है.

3. लाइन (c) में उससे भी पहले की वजह लिखी जाती है.

दिशा-निर्देश कहते हैं कि इनमें से केवल एक ही ‘मौत का कारण’ लिखा जाना चाहिए. इसमें ये भी कहा गया है कि अगर मौत के समय एक ही रोग वजह थी तो MCCD फ़ॉर्म में सिर्फ़ मौत के समय पर मौजूद रोग, चोट या अन्य दिक्कत लिखी जा सकती है.

और इससे भी ज्यादा ज़रूरी, भाग 1 के आखिरी लाइन में मौत का मुख्य कारण लिखना ज़रूरी है. समान स्वास्थ्य से तात्कालिक वजह तक पहुंचने का कारण रोग या बीमारी ही है और एक के बाद एक जो भी शारीरिक दिक्कत आई है उन्हें बढ़ते क्रम में लिखना होता है.

भाग 2 में अन्य सभी रोग और परिस्थितियां लिखनी है जिन्होंने मौत का कारण बनने वाली बीमारी की हालत बदतर करने में भूमिका निभाई लेकिन मौत का कारण बनने वाली बीमारी से सीधे तौर पर नहीं जुड़ी थीं. नीचे तस्वीर में ICMR /NCDIR द्वारा दिए गये कार्डियोवैस्कुलर डिजीज़ और कैंसर का उदाहरण पढ़ सकते हैं.

WHO के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, कोविड-19 से ही मौत के रिकॉर्ड में कोड U07.1 (COVID-19) और U07.2 लिखा होना चाहिए ताकि टेस्ट और लक्षण के आधार पर जांच की जा सके. U07.2 तब लिखा जाता है जब मरीज़ को कोरोना के लक्षण आते हुए भी टेस्ट नेगेटिव आये, टेस्ट के परिणाम आने का इंतज़ार हो या टेस्ट बेनतीजा रहा हो (पूरा PDF देखें). ये कोड MCCD में साफ़ तौर से लिखा होना चाहिए.

ICMR /NCDIR द्वारा जारी किये गये सैंपल फ़ॉर्म्स (Form 4/4A) में कई उदाहरण दिए गये हैं. नीचे कोविड-19 मरीज़ का सैंपल फ़ॉर्म है जिन्हें क्रमशः कैंसर और डायबिटीज़ है. दिशा निर्देश में साफ़ तौर पर बताया गया है कि अगर मरीज़ कोविड-19 पॉज़िटिव है तो इसे भाग 1 (तात्कालिक और पूर्ववर्ती ) लिखना होगा. दूसरे भाग में पहले से मौजूद कोई रोग या परेशानी लिखनी है जिसने प्रत्यक्ष तौर पर मौत में भूमिका नहीं निभाई लेकिन जिन वजहों से मौत हुई उन्हें बदतर करने में मदद की.

शेल्बी हॉस्पिटल का MCCD

द हिन्दू ने रिपोर्ट किया था कि 48 वर्षीय कोविड-19 मरीज़ रूपल ठक्कर का शेल्बी हॉस्पिटल ने जो MCCD तैयार किया था उसमें मौत का कारण (UCoD) की जगह ‘सडन कार्डियक अरेस्ट’ (अचानक हुआ हृदयाघात) लिख दिया गया है. और सबसे बड़ी बात ये है कि इसी फ़ॉर्म में पहले से लिखा है कि मरने का प्रकार (मोड ऑफ़ डाईंग) को तात्कालिक कारण के तौर पर नहीं लिखना है.

ऑल्ट न्यूज़ ने रूपल के परिवार से बात की और 12 अप्रैल को हुए कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट और MCCD देखी. उनके भाई दीपन ने हमें MCCD में की गयी गड़बड़ी को उजागर करने की अनुमति दी.

ये MCCD शेल्बी हॉस्पिटल के सलाहकार डॉ हर्शील मेहता ने जारी किया था. चौंकाने वाली बात है कि रूपल कोविड-19 पॉज़िटिव निकली थीं, इसके बावजूद MCCD पर ये नहीं लिखा गया. दीपन ने भी बाया कि इसके कारण रूपल का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के बिना किया गया था. उन्होंने आगे इसमें उम्र और हॉस्पिटल में भर्ती करने के समय में भी ग़लती होने की बात बताई.

इसके बाद हॉस्पिटल ने परिवार को ये ग़लतियां ठीक करके दोबारा MCCD बनाकर दिया. इस नए सर्टिफ़िकेट में कोविड-19 को मौत का पूर्ववर्ती कारण बताया गया है. लेकिन इसमें दिशा-निर्देश के मुताबिक कोविड-19 से जुड़ा हुआ कोड नहीं लिखा है. इसके अलावा, शेल्बी हॉस्पिटल ने मौत के तात्कालिक कारण में कोई बदलाव भी नहीं किया.

हमने शेल्बी हॉस्पिटल के इस MCCD को लेकर भी चलपति राव से सवाल किया. उन्होंने बताया, “तात्कालिक कारण में ‘सडन कार्डियक अरेस्ट’ नहीं लिखना चाहिए थे और ये दिशा-निर्देश का उल्लंघन है. लेकिन नियंत्रण में कमी के कारण कई बार ऐसी ग़लतियां की जाती हैं. अगर कार्डियक अरेस्ट लिखा है तो इसके साथ ये भी लिखना चाहिए था कि कार्डियक अरेस्ट किस रोग की वजह से हुआ जो मौत का मुख्य कारण माना जाता.”

ऑल्ट न्यूज़ ने रूपल के MCCD पर लिखे नाम डॉक्टर प्रियल से बात की जिन्होंने रूपल का आखिरी समय में इलाज किया था. उन्होंने कहा कि MCCD डॉक्टर मेहता के निर्देश के मुताबिक बनाया गया था. डॉक्टर मेहता ने ऑल्ट न्यूज़ से कहा, “मृत्यु प्रमाणपत्र (MCCD को कहते हुए) केवल हमारे मेडिकल और कॉर्पोरेशन के उद्देश्य से बनाये जाते हैं. हमने जो भी शब्द उसमें लिखे हैं उसे मेडिकल टर्म्स में ही लिखा है, एक रिकॉर्ड के तौर पर रखने के लिए लिखा है. इसमें ये नहीं बताया जा रहा है कि मरीज़ किस रोग-विशेष के कारण मरा है.”

लेकिन जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 के अनुच्छेद 3, 10 (3) के मुताबिक (पीडीएफ़ देखें) मरीज़ के आखिरी समय में इलाज करने वाले चिकित्सक को निःशुल्क प्रमाणपत्र बनाकर देना होगा जिसमें मौत का कारण लिखा होना चाहिए. यानी, मौत का प्रकार नहीं मौत का कारण लिखना होगा.

कुल मिलाकर, गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने कोविड-19 मरीज़ों की मौत का रिकॉर्ड जिस तरह से दर्ज करने की बात बताई, उसमें ICMR के दिशा-निर्देशों के मुताबिक नहीं है.

[नोट: इस आर्टिकल का अंग्रेज़ी वर्ज़न पब्लिश होने से पहले ही किसी ने उसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था. उसमें डॉ. प्रशांत मेहता की पूरी बात नहीं लिखी थी. उस ग़लती का हमें खेद है.]

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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.