30 जून को, हाल ही में झारखंड में तबरेज़ अंसारी के साथ हुई लिंचिंग की घटना के विरुद्ध में उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक प्रदर्शन रैली निकाली गई। उसके अगले दिन यानि की 1 जुलाई को, हिंदी प्रकाशन हिंदुस्तान, जो कि हिंदुस्तान टाइम्स समूह से संबंधित है, अपने मेरठ संस्करण में एक लेख प्रकाशित किया था। इस लेख का शीर्षक,“आईएसआईएस के झंडे भी लहराए गए !” था। इस लेख के साथ दो तस्वीरें प्रकाशित की गई थी। पहली तस्वीर में, काले और सफ़ेद रंग के पट्टी वाला झंडा दिखाई दे रहा है। दूसरी तस्वीर में, काले रंग के झंडो को देखा जा सकता है।

इस लेख में लिखा गया है कि,“शांति मार्च के दौरान आईएसआईएस के झंडे लहराए जाने का आरोप लगाते हुए भाजपा नेताओं ने पुलिस-प्रशासन से शिकायत की है। इसकी वीडियो भी जारी कर दी गई है। इंटेलीजेंस से शिकायत की है। आरोप लगाया है कि ये देश विरोधी गतिविधियों में शामिल एक संगठन का झंडा है। आरोप लगाया कि इस पूरे मार्च के पीछे इसी तरह की ताकतों का हाथ है। ऐसे में इस पूरे मामले में जांच होनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर जानकारों की मानें तो ये जमियत उलेमा का झंडा बताया जा रहा है”। दिलचस्प बात है कि इसी लेख के ऑनलाइन संस्करण में आईएसआईएस के झंडे लहराए जाने का आरोप प्रश्नचिन्ह के साथ प्रकाशित किया है, जो की इ-पेपर के दावे से विपरीत है।

यह उल्लेखनीय है कि लेख में विशेष रूप से यह बताया गया है कि भाजपा नेताओं द्वारा रैली में आईएसआईएस के झंडे लहराए जाने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, लेख में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि आईएसआईएस के झंडे लहराए गए थे। दिलचस्प रूप से ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह खबर लखनऊ संस्करण में एक अलग शीर्षक के साथ प्रकाशित हुई है, जिसमें आईएसआईएस के झंडे का ज़िक्र नहीं है। इसके बजाय, रैली में आईएसआईएस के झंडे लहराने का आरोप भाजपा द्वारा लगाया गया है, यह प्रकाशित किया गया।

प्रकाशित लेखों के मुताबिक,रैली में भीड़ के अनियंत्रित होकर पथराव करने पर मौके पर मौजूद पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। इसके अलावा, लेख में बताया गया है कि रैली के आयोजकों ने इसकी पूर्व अनुमति नहीं ली थी।

इसके बाद, मेरठ रैली में आईएसआईएस के झंडे लहराए जाने के दावे ने अपनी जगह सोशल मीडिया पर भी बना ली।

BreakingTube नामक वेबसाइट पर भी इसी दावे को प्रकाशित किया गया है। इस वेबसाइट ने पहले भी सांप्रदायिक रूप से गलत सूचनाओं को प्रकाशित किया हैं।

यूपी पुलिस: ISIS के झंडे को रैली में नहीं देखा गया

ऑल्ट न्यूज़ ने मेरठ शहर के एसपी अखिलेश एन सिंह से बात की, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि रैली में आईएसआईएस के झंडे लहराए जाने की कोई सूचना नहीं है। “हमने रैली में आईएसआईएस के झंडो को नहीं देखा है”। जब उनसे हिंदुस्तान के लेख के बारे में पूछा गया, जिसमें यह बताया गया है कि भाजपा द्वारा रैली में आईएसआईएस के झंडे लहराने के बारे पुलिस को शिकायत की गई है, सिंह ने इसके जवाब में कहा कि,“हमे ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। शायद इसके बारे में हिंन्दुस्तान ही स्पष्ट रूप से बता सकता है”।

हालांकि उन्होंने आगे बताया कि,“उन्होंने (प्रदर्शनकारियों ने) रैली में पथराव किया और एम्बुलेंस को गुज़रने से रोका। उन्होंने रैली की अनुमति भी नहीं ली थी। इस बारे में उन्हें एक नोटिस भी जारी किया गया है”

काले झंडे को ISIS का झंडा बताया

हिंदुस्तान द्वारा प्रकाशित की गई तस्वीरों में से दायीं ओर की तस्वीर में, काले रंग के दो झंडे दिखाई दे रहे हैं। काले झंडे आमतौर पर विरोध रैली और प्रदर्शन में उपयोग किए जाते हैं।

दूसरी तस्वीर में, काले और सफ़ेद रंग के पट्टी वाले झंडे को बायीं ओर देखा जा सकता है।

ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि यह झंडे जमीयत उलेमा-ए-हिंद के हैं, जो इस्लामिक धर्मशास्त्रियों और विद्वानों का संगठन है।

इसके अलावा, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और आईएसआईएस के झंडो के बीच एक बड़ा अंतर हैं, जिसकी तुलना नीचे दी गई दोनों झंडो की तस्वीरों के साथ की जा सकती है।

यूपी पुलिस द्वारा की गई पुष्टि से, यह साफ मालूम होता है कि रैली में आईएसआईएस के झंडे नहीं लहराए गए थे। हिंदुस्तान द्वारा प्रकाशित किया गया लेख गलत सूचना का एक महत्वपूर्ण उदहारण है।

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About the Author

Arjun Sidharth is a writer with Alt News. He has previously worked in the television news industry, where he managed news bulletins and breaking news scenarios, apart from scripting numerous prime time television stories. He has also been actively involved with various freelance projects. Sidharth has studied economics, political science, international relations and journalism. He has a keen interest in books, movies, music, sports, politics, foreign policy, history and economics. His hobbies include reading, watching movies and indoor gaming.