30 नवम्बर को सोशल मीडिया पर एक ख़त सामने आया जिसके बारे में बताया गया कि ऐक्टिविस्ट शेहला राशिद के पिता अब्दुल राशिद शोरा ने जम्मू-कश्मीर के DGP दिलबाग सिंह को लिखी है. इस ख़त में उन्होंने अपनी बेटी पर ये आरोप लगाया कि उसने जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट में शामिल होने के लिए कश्मीरी बिज़नेसमैन ज़हूर अहमद शाह वटाली से 3 करोड़ रुपये लिए हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में लिखा है कि अब्दुल राशिद के ख़िलाफ़ उसके घरवालों की घरेलू हिंसा की शिकायत के बाद अक्टूबर में श्रीनगर के ज़िला कोर्ट ने उसे अपने घर में घुसने से मना कर दिया था.

इस ख़त के सामने आने के कुछ ही घंटों बाद शेहला राशिद ने भी अपनी बात रखी थी.

इंडिया टुडे ने इसी मुद्दे पर 1 दिसंबर को एक बुलेटिन रखा. यूट्यूब पर अपलोड किये इसके वीडियो में 3 मिनट 51 सेकण्ड पर ये टेक्स्ट स्क्रीन पर दिखाई देता है – “2016 के JNU देशद्रोह केस में गिरफ़्तार”

ये 2016 का JNU देशद्रोह केस क्या है?

फ़रवरी 2016 में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में ‘अफ़ज़ल गुरु और मक़बूल भट्ट की न्यायिक हत्या (judicial killing of Afzal Guru and Maqbool Bhat)’ के मुद्दे पर एक इवेंट ऑर्गनाइज़ किया गया था. इस वजह से कैम्पस में स्टूडेंट्स के कई गुटों में आपसी टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई. इसके बाद कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य को दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया और बाद में इन्हें ज़मानत पर रिहा भी कर दिया. इस केस के बारे में ही कहा जाता है कि यहां कथित ‘देश-विरोधी’ नारे लगाए गए थे.

जनवरी 2019 में द हिन्दू ने रिपोर्ट किया था कि कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य के ख़िलाफ़ भारतीय दण्ड संहिता की 124A (देशद्रोह), 323 (जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचना), 465 (कूटरचना), 471 (कूटरचित दस्तावेज या इलैक्ट्रानिक अभिलेख), 143 (गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होना), 149 (विधिविरुद्ध जनसमूह के किसी सदस्य द्वारा उस जनसमूह के समान लक्ष्य का अभियोजन करना), 147 (उपद्रव करना) और 120B (आपराधिक षडयंत्र में शरीक होना) की धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की थी. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि इस चार्ज-शीट में अन्य नामों के अलावा शेहला राशिद का नाम भी था. लेकिन सुबूतों के अभाव में इन सभी के नाम चार्ज-शीट में एक अलग कॉलम में लिखा गया था.

इस साल की शुरुआत में दिल्ली सरकार ने इस मामले में कन्हैया कुमार पर कार्रवाई करने की इजाज़त दे दी थी.

क्या शेहला राशिद वाकई हुई थीं गिरफ़्तार?

शेहला राशिद को अक्सर सोशल मीडिया पर फैलने वाली ग़लत जानकारियों का शिकार होना पड़ता है. हाल ही में इंडिया टुडे ने ये ग़लत जानकारी दी कि शेहला राशिद को JNU के राष्ट्रदोह के केस में गिरफ़्तार किया गया था.

2 दिसंबर को शेहला रशीद ने ट्वीट करते हुए चैनल के दावों को झूठा बताया.

ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए शेहला ने बताया, “छात्र नेता होने के नाते कई मौकों पर हुए प्रदर्शनों के दौरान मुझे हिरासत में लिया गया है. लेकिन ये कहना कि मैं JNU के 2016 के देशद्रोह केस में भी गिरफ़्तार हुई थी, ये ग़लत होगा. मैं अपने जीवन में कभी भी गिरफ़्तार नहीं हुई हूं.”

हमने दिल्ली के सरीम नावेद से भी बात की जो कि शेहला के वकील हैं. उन्होंने कहा, “मैं इस बात को दावे से कह सकता हूं कि शेहला को JNU के देशद्रोह के केस में गिरफ़्तार नहीं किया गया था. यहां तक कि किसी भी दूसरे केस में उसे गिरफ़्तार नहीं किया गया है.”

अक्टूबर 2016 में इंडियन एक्सप्रेस के अपलोड किये गए एक वीडियो में शेहला राशिद और कई और लोगों को हिरासत में लिए जाते हुए देखा जा सकता है. बीते साल, इस वीडियो को शेहला की गिरफ़्तारी के दावे के साथ दिखाया जा रहा था. इसकी सच्चाई बूमलाइव ने दिखाई थी.

बूमलाइव के नावेद ने बताया कि भारतीय कानून के अनुसार कुछ समय के लिए किसी को हिरासत में लिए जाने का प्रावधान मौजूद है. ऐसा जांच के दौरान तथ्यों को जानने के लिए किया जाता है या फिर ये तय करने के लिए कि कानून अपना काम भली भांति, बगैर किसी रुकावट के कर सके. वहीं किसी को गिरफ़्तार तब किया जाता है जब पुलिस को ऐसा लगता है कि अमुक शख्स को कैद में रखना ज़रूरी होता है. इस के में 24 घंटे के अंदर उस शख्स की मजिस्ट्रेट के सामने पेशी होती है और यहीं इस बात का फैसला होता है कि उसे पुलिस की कस्टडी में ही रखा जायेगा या फिर न्यायिक हिरासत में यानी जेल भेजा जाएगा.

यानी, इंडिया टुडे ने ये ग़लत रिपोर्ट दिखाई जिसके मुताबिक़ शेहला राशिद को 2016 में JNU के देशद्रोह केस में गिरफ़्तार किया गया था. इसके बाद शेहला समेत कई लोगों ने बताया है कि ये ख़बर ग़लत है तो इंडिया टुडे ने इस ग़लती के लिए माफ़ी नहीं मांगी लेकिन इस ब्रॉडकास्ट के वीडियो को अपने प्लेटफ़ॉर्म्स से हटा दिया. और फिर बाद में स्पष्टीकरण के साथ एडिटेड वीडियो शेयर किया.

इंडिया टुडे मुख्यतः एक टीवी चैनल है जिसने टीवी पर ही ये ग़लत जानकारी चलायी थी. इस ग़लती की भूल-सुधार कायदे से उन्हें टीवी पर करनी चाहिए. लेकिन यहां ऐसा होता हुआ नहीं देखा गया. हमने शेहला राशिद से दोबारा बात की और उन्होंने बताया कि उनकी जानकारी में ऐसी कोई ख़बर नहीं आई है कि इंडिया टुडे ने इस बाबत कोई भी स्पष्टीकरण जारी किया हो. टीवी पर प्रसारित की गयी ग़लत जानकारी को वेब पर सुधारना कहीं से भी लॉजिकल नहीं मालूम देता है.

ऑल्ट न्यूज़ ने कई मौकों पर इंडिया टुडे द्वारा फैलाई गयी भ्रामक या ग़लत जानकारियों को रिपोर्ट किया है.


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🙏 Blessed to have worked as a fact-checking journalist from November 2019 to February 2023.