ट्रिगर वार्निंग: बच्चे की मौत
इज़राइल-हमास संघर्ष कुछ समय के लिए रुकने के एक सप्ताह बाद शुक्रवार, 1 दिसंबर को फिर से शुरू हो गया जब इज़राइली लड़ाकू विमानों ने गाज़ा पट्टी में टारगेट्स को निशाना बनाया. गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इज़रायली सेना द्वारा फिर से हमले शुरू करने के बाद पहले दो घंटों में गाज़ा भर में कम से कम 21 फ़िलिस्तीनी मारे गए. 7 अक्टूबर के बाद से 6 हज़ार से ज़्यादा बच्चों सहित कम से कम 15 हज़ार फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं. जैसे ही इज़रायली हवाई हमलों में मारे गए फ़िलिस्तीनियों के भयानक विज़ुअल्स ऑनलाइन सामने आए मीडिया आउटलेट द जेरूसलम पोस्ट और कई और इज़रायल समर्थक एकाउंट्स ने ये आरोप लगाया कि अल जज़ीरा ने एक गुड़िया को हमले में मारे गए फ़िलिस्तीनी बच्चे के रूप में पेश करने की कोशिश की.
जेरूसलम पोस्ट ने एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसका टाइटल है, “अल जज़ीरा ने एक धुंधली गुड़िया की तस्वीर पोस्ट करते हुए ये दावा किया कि ये एक मृत फ़िलिस्तीनी बच्चा है.” रिपोर्ट में कहा गया है, “ये साफ नहीं है कि क्या अल जज़ीरा ने जानबूझकर जनता को गुमराह करने की कोशिश में इस फ़ुटेज को एडिट किया था या उन्होंने बैकग्राउंड पर ठीक से रिसर्च किए बिना फ़ुटेज शेयर किया था.”
न्यूज़ एजेंसी ‘विसेग्राड 24’ ने भी यही दावा ट्वीट किया. उन्होंने लिखा, “अल जज़ीरा ने एक मृत दिखने वाले ‘बच्चे’ को पकड़े हुए एक भावुक व्यक्ति की तस्वीर पब्लिश की जिसमें बच्चे का चेहरा धुंधला था. हालाँकि, धुंधलापन सिर्फ इस फ़ैक्ट को छुपाने का काम आया कि ‘बच्चा’ असल में एक गुड़िया है.” (आर्काइव)
वेरिफ़ाइड हैंडल @EndWokeness ने ट्वीट किया, “शॉन किंग ने गाज़ा में अपने मृत पोते को पकड़े हुए एक व्यक्ति का वीडियो पोस्ट किया. 3 घंटे में 2.4 मिलियन व्यूज़ और 157 हजार लाइक्स. एकमात्र समस्या? बच्चा एक गुड़िया है.” ये फ़ैक्ट-चेक ट्वीट लिखे जाने तक इसे 4.8 मिलियन व्यूज़ मिले हैं. (आर्काइव)
शॉन किंग एक लेखक और कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ये वीडियो पोस्ट किया है.
स्व-घोषित फ़ैक्ट-चेक संगठन ‘इज़राइल वॉर रूम’ ने वायरल वीडियो कोट करते हुए लिखा, “ये एक गुड़िया है.” बाद में उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया. (आर्काइव)
वेरीफ़ाइड अकाउंट ‘RadioGenoa’ ने वायरल वीडियो ट्वीट करते हुए पूछा, “ये गुड़िया का इस्तेमाल क्यों करते हैं?” (आर्काइव)
भारतीय राईट विंग ट्रोल @MrSinha_, @DrEliDavid, @Michael_Wgd और @OliLondonTV सहित कई एकाउंट्स ने इस वायरल दावे को आगे बढ़ाया.
फ़ैक्ट-चेक
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक बूढ़ा व्यक्ति, एक बच्चे के कफन वाले शरीर को पकड़े हुए अरबी में बात कर रहा है. ऑनलाइन कुछ वीडियो में “हानी अबू रेज़ेक” टेक्स्ट लिखा है. हानी अबुरेज़ेक फ़िलिस्तीनी पत्रकार हैं जिन्होंने वायरल वीडियो रिकार्ड किया है. अबुरेज़ेक ने असल में इंस्टाग्राम पर ये वीडियो अपलोड किया था जहां उन्होंने कहा था कि अल-मगरागा क्षेत्र में उनके घर पर बमबारी के बाद ये बच्चा अपनी माँ की गोद में ही शहीद हो गया था.
इंस्टाग्राम पेज ‘@translating_gaza‘ ने अबुरेज़ेक के वीडियो में अंग्रेजी में कैप्शन लिखा. वायरल वीडियो में दिख रहा आदमी बच्चे का दादा है जो कह रहा है, “…मेरी बेटी अपने बेटे को स्तनपान करा रही थी और उसमें कुछ भी ग़लत नहीं था. अचानक, हम पर तोपखाने और टैंकों से बमबारी की गई. हम बच्चे को लेकर भागे और रास्ते में हमने देखा तो बच्चा बेजान मिला. हम उसे लेकर अल-अवदा अस्पताल पहुंचे. अल-अवदा अस्पताल वालों ने हमें बताया कि ये लड़का मर चुका है; जाओ उसे अल-अक्सा अस्पताल ले जाओ. फिर हम उसे अल-अक्सा अस्पताल ले आए. वहां, जैसा कि आप देख सकते हैं, ये नेतन्याहू है, नेतन्याहू पीढ़ियों पर बमबारी कर रहे हैं. वो परमाणु रिएक्टर डिमोना और रॉबिन से दागी गई मिसाइलें लॉन्च करते है, जाकर उनको पकड़ लेते हैं, और इस्राएल पर वार करते हैं. ये है मिसाइल लॉन्च करने वाला शख्स. नेतन्याहू, अगर आपके पास एक स्वतंत्र और सच्ची सेना है, तो आप इस प्रतिरोध को शांत कर सकते हैं. बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर हमला न करें.”
कई फ़िलिस्तीनी पत्रकारों ने अल-अक्सा अस्पताल के बाहर मारे गए बच्चे के दुखद विज़ुअल्स रिकार्ड किये हैं. पत्रकार अली जदल्लाह ने न्यूज़ एजेंसी अनादोलु के लिए कुछ तस्वीरें खींची जिन्हें उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी पोस्ट किया. जदल्ला ने बच्चे की पहचान मुहम्मद हानी अल-ज़हर के रूप में की जिसे दीर अल-बलाह में इज़रायली हवाई हमले के बाद उसकी माँ अस्माहन अत्तिया अल-ज़हर और दादा अत्तिया अबू अमरा द्वारा अल-अक्सा शहीद अस्पताल लाया गया था.
सबंधित कीवर्ड सर्च करने पर, हमें गेटी इमेजिज़ पर इस मृत बच्चे की कई तस्वीरें भी मिलीं जहां उसकी पहचान मुहम्मद हानी अल-ज़हर के रूप में की गई है.
अरब फ़ैक्ट-चेक आउटलेट मिसबार ने घटनास्थल पर मौजूद फ़िलिस्तीनी फ़ोटोग्राफ़र उमर अल-डेरावी से कॉन्टेक्ट किया. उमर ने पुष्टि की कि वीडियो में असल में 1 दिसंबर को अल-अक्सा शहीद अस्पताल में एक बच्चे के शव को दिखाया गया था. उमर ने भी वीडियो में बच्चे की पहचान मुहम्मद हानी अल-ज़हर के रूप में की जो अल-मुग़राक़ा गांव में इज़रायली बमबारी के दौरान मारा गया था.
उमर ने मारे गए बच्चे और उसके गमगीन दादा और माँ के विज़ुअल्स पोस्ट किए हैं.
कुल मिलाकर, मीडिया आउटलेट द जेरूसलम पोस्ट और ट्विटर पर कई और इज़रायल समर्थक हैंडल्स ने झूठा दावा किया कि मारे गए बच्चे की जगह असल में एक गुड़िया थी. दरअसल, मुहम्मद हानी अल-ज़हर की मौत उस वक्त हुई जब उनके परिवार ने 1 दिसंबर को एक सप्ताह तक युद्ध रुकने के बाद फिर से शुरू हुए इज़रायली हवाई हमलों के कारण अपने घर से भागने की कोशिश की.
ये पहली बार नहीं है जब मौजूदा युद्ध के दौरान मारे गए फ़िलिस्तीनी बच्चे को इज़रायल समर्थकों ने गुड़िया बताया हो. 14 अक्टूबर को इज़राइल ने आरोप लगाया कि हमास एक गुड़िया को मारे गए फ़िलिस्तीनी बच्चे के रूप में पेश करके जनता को धोखा देने की कोशिश कर रहा था. X पर इज़राइल राज्य के ऑफ़िशियल हैंडल ने इस कथित ‘गुड़िया’ का एक वीडियो और तस्वीर शेयर की. जबकि फ़ुटेज में असल में चार साल का उमर बिलाल अल-बन्ना था जो गाज़ा शहर के पूर्व में अल-ज़ायटौन पड़ोस में मारा गया था. 12 अक्टूबर को अल नफ़ाक, सबरा और ताल अल हवा के साथ, अल ज़ायटौन इज़रायली हवाई हमलों से प्रभावित स्थानों में से एक था जिसमें 51 लोग मारे गए और 281 लोग घायल हो गए.
ऐसी तस्वीरों/वीडियोज के प्रसार को इज़राइल, इज़राइल समर्थक इंफ्लुएंसर्स और सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा युद्ध में होने वाली मौतों के बारे में फ़िलिस्तीन के दावों पर सवाल उठाने की कोशिश के रूप में देखा जा सकता है. इससे पहले इजराइल राज्य के ऑफ़िशियल X हैंडल को ये झूठा दावा करते हुए पाया गया था कि गाज़ा में एक लाश ने अपना सिर हिलाया. और एक बार और, इज़राइल ने वेस्ट बैंक में एक शरणार्थी शिविर पर अपनी सेना द्वारा जुलाई में किए गए हमले में जिंदा बचे एक व्यक्ति का ‘एक्टर’ कहकर मज़ाक उड़ाया था. एक और इंस्टैंस में इज़राइल समर्थक यूज़र्स द्वारा थाईलैंड के हेलोवीन की तस्वीर का इस्तेमाल ये दावा करने के लिए किया गया था कि ये गाज़ा का एक ‘फ़र्ज़ी युद्ध पीड़ित’ था जो मरने का नाटक कर रहा था. ऐसी ही एक और संबंधित स्टोरी यहां देखी जा सकती है.
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.