पिछले दो दिनों में, ऐसी खबरें सामने आई हैं कि प्रवर्तन निर्देशालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पोपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान 120 करोड़ रुपये जुटाए हैं।इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह एजेंसी 2018 से ही प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केरल स्थित इस राजनीतिक संगठन की जांच कर रही थी। ED ( प्रवर्तन निर्देशालय) ने कथित तौर पर पाया है कि पिछले साल 4 दिसंबर से लेकर इस वर्ष 6 जनवरी तक इस संगठन से जुड़े देश भर के कई बैंक खातों में कम से कम 1.04 करोड़ रुपये जमा किए गए थे। हालांकि, PFI ने इन खबरों को खारिज करते हुए इन आरोपों को “निराधार” करार दिया है। इस बीच, मुख्यधारा के कई मीडिया संगठनों ने यह भी दावा किया कि ED ने अपनी रिपोर्ट में वरिष्ठ वकीलों के नाम लिए हैं और CAA-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान PFI द्वारा फंड ट्रांसफर किए गए।
27 जनवरी को दोपहर 12:32 बजे, टाइम्स नाउ ने सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख वकीलों दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंग और कपिल सिब्बल के खिलाफ — उन्हें कथित रूप से प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के मामले से जोड़ते हुए — श्रृंखलाबद्ध आरोप लगाए थे। चैनल के एंकर ने कहा, “ED ने इस लॉबी के सनसनीखेज लिंक बताए हैं”(अनुवाद)। टाइम्स नाउ के ट्वीट में इंदिरा जयसिंग और कपिल सिब्बल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को टैग किया गया।
#TukdeFundedCAAStir#BREAKING | It’s out –‘Islamist radicals funded violence.’ Rs 120 crore, 73 syndicate bank accounts REVEALED. @Dir_ED draws sensational link to Lobby. @KapilSibal, @IJaising, PFI named by ED. Sabotage-‘syndicate’ behind CAA stir. | Navika Kumar with details. pic.twitter.com/6lyLORR1ec
— TIMES NOW (@TimesNow) January 27, 2020
इस प्रसारण के 4:12वें मिनट पर, नविका कुमार कहती हैं, “यह सही है। ऐसे नाम हैं जिनका उल्लेख यहाँ किया गया है। हम ये तो नहीं जानते हैं कि क्या प्रवर्तन निर्देशालय ने यह निष्कर्ष निकाला है कि PFI के साथ इनके कोई संबंध है या नहीं। तथ्य यह है कि ये पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के वकील हैं। कपिल सिब्बल, जिन्होंने मामलों के लिए 77 लाख रुपये की धनराशि प्राप्त की है, उन्होंने उनका प्रतिनिधित्व किया है। इंदिरा जयसिंग और दूसरा नाम जो मोदी सरकार के विरोध में जाना जाता है। चार लाख उनके पास गए हैं, दुष्यंत दवे को 11 लाख भुगतान किए गए हैं।” (अनुवाद)
“यह अब स्पष्ट है CAA-विरोधी प्रदर्शनों को PFI द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। बैंक स्थानान्तरणों और CAA-विरोधी प्रदर्शनों के बीच स्पष्ट लिंक है, उनके समय और स्थान। साथ ही, PFI से धन प्राप्त करने वाले उदार नेताओं के नाम भी पढ़ें” (अनुवाद) –यह ट्वीट, ज़ी न्यूज़ एंकर सुधीर चौधरी ने एक दस्तावेज़ का स्क्रीनशॉट पोस्ट करते हुए साझा किया था। यहां यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उस दस्तावेज़ पर कोई हस्ताक्षर और तारीख नहीं थे। सुधीर चौधरी ने अब यह ट्वीट डिलीट कर दिया है।
27 जनवरी, 2020 को डेली न्यूज़ एनालिसिस (DNA) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट का शीर्षक कुछ इस प्रकार हैं – “PFI ने CAA-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 120 करोड़ रुपये जुटाए, प्राप्तकर्ताओं में कपिल सिब्बल, इंदिरा जयसिंग: रिपोर्ट” (अनुवाद)। इस रिपोर्ट में दावा किया गया: “सूत्रों के हवाले से ने Zee News ने बताया, कपिल सिब्बल को 77 लाख रुपये मिले हैं, जबकि इंदिरा जयसिंग को 4 लाख रुपये मिले हैं।” (अनुवाद)
ज़ी न्यूज़ ने भी बताया, “सूत्र ने कहा कि सिब्बल को 77 लाख रुपये मिले, जयसिंग को 4 लाख रुपये मिले, दुष्यंत ए दवे को 11 लाख रुपये और अब्दुल समद को 3.10 लाख रुपये।” (अनुवाद) ज़ी न्यूज़ ट्विटर हैंडल से यह रिपोर्ट निम्नलिखित शब्दों के साथ पोस्ट की, “PFI ने कपिल सिब्बल, इंदिरा जयसिंह, दुष्यंत ए दवे और अब्दुल समंद को CAA-विरोधी प्रदर्शनों के लिए कितना भुगतान किया” (अनुवाद)। हालांकि, बाद में इस ट्वीट को हटा लिया गया था।
तथ्य-जांच
ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार, ED ने बैंक खातों में धन जमा करने की तारीखों और CAA-विरोधी प्रदर्शनों की तारीखों के बीच संबंध स्थापित किया है। हालांकि, यह एजेंसी कथित तौर पर इस मामले की जांच कर रही है। ऑल्ट न्यूज़ अपनी तथ्य-जांच, CAA-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान वरिष्ठ वकीलों द्वारा धन प्राप्त करने के आरोप तक सीमित रखेगा।
ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि वरिष्ठ वकीलों के खिलाफ इस राजनीतिक संगठन से धन प्राप्त करने का जो आरोप लगाया गया है, वह मार्च 2018 का है और हालिया CAA-विरोधी प्रदर्शनों से असंबंधित है। 2018 में, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की केरल राज्य समिति ने हादिया मामले के दौरान कानूनी लड़ाई पर खर्च की गई राशि के विवरणों का खुलासा किया था। केरल की 25-वर्षीया महिला हादिया ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और शफीन जहां नामक एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी। यह धर्मांतरण उसके पिता द्वारा दायर याचिका के आधार पर पहले उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था और बाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बहाल किया गया था। उसने 8 मार्च, 2018 को शीर्ष अदालत में यह केस जीता था।
PFI द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इसने ‘लव जिहाद केस’ करार दिए गए हादिया के केस पर 10 महीने में कुल 99,52,324 रुपये खर्च किए थे। PFI ने घोषणा की थी कि इसने वकीलों की फीस के रूप में कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंग और मार्ज़ुक बाफकी सहित अन्य को जो इस मामले में उच्चतम न्यायालय में पेश हुए थे 93,85,000 रुपये का भुगतान किया था।
वकीलों ने गलत सूचना को खारिज किया
ऑल्ट न्यूज़ ने इन वकीलों से बात की और भुगतान के बारे में विवरण की पुष्टि की। कपिल सिब्बल ने आरोप का ज़ोरदार खंडन किया और हमें उनके द्वारा जारी बयान की एक प्रति प्रदान की। बयान के अनुसार- “यह बयान कि मुझे 77,00,000/- रुपये का भुगतान किया गया, वह SLP (Crl.) संख्या 19702 वर्ष 2017 शीर्षक “शफीन जहां (याचिकाकर्ता) बनाम असोकन के.एम. और अन्य (उत्तरदाताओं)” के मुकदमे के संबंध में है। यह हादिया की शफीन जहां से शादी से संबंधित है, जिसे NIA के साथ और हादिया के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में पक्षकारों के रूप में चुनौती दी थी। उस मुकदमे में मैंने पत्नी, हादिया का प्रतिनिधित्व किया। अंततः, विवाह को बरकरार रखा गया और हादिया को अपने पति शफीन जहां के साथ रहने की स्वतंत्रता दी गई।” (अनुवाद)
नीचे उस प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक वीडियो है, जिसमें सिब्बल ने आरोपों को खारिज किया था और बताया कि कैसे हादिया मामले की कानूनी फीस को CAA -विरोध के साथ गलत तरीके से जोड़ा गया है।
अगर गोदी मीडिया चैनलों ने मेरे बिल की ख़बर CAA से जोड़ कर फिर चलाई, और जिन पत्रकारों ने इस बाबत ट्वीट किए उन्होंने ट्वीट नहीं हटाए तो उनको क्रिमिनल कोर्ट में लेकर जाऊँगा : @KapilSibal pic.twitter.com/GSThr0z7iN
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) January 27, 2020
दुष्यंत दवे ने भी ऑल्ट न्यूज़ से बात की और मीडिया संगठनों द्वारा लगाए गए दावों को बकवास बताया। उन्होंने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं की ओर से हादिया मामले में तीन बार (3/10/17, 9/10/17, 30/10/17) उपस्थित हुई थी।
इंदिरा जयसिंह ने ट्विटर पर अपना पक्ष रखा और CAA-विरोध प्रदर्शनों के संबंध में PFI से कोई धन प्राप्त होने से इनकार किया। ऑल्ट न्यूज़ से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे 4 अगस्त, 2017 को हादिया मामले में पेश होने के लिए पैसे मिले। मैं, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अजय माणिकराव खानविलकर, न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ द्वारा निर्णय सुनाने की तारीख तक हादिया के लिए उपस्थित होती रही। हालाँकि, मैंने बाद की उपस्थिति के लिए कोई बिल नहीं दिया है।” (अनुवाद)
My statement denying receipt of money from PFI in relation to anti CAA protests or for any other reason or purpose whatsoever. @PTI_News @ZeeNews @ndtv @CNNnews18 @LiveLawIndia @barandbench @AltNews @scroll_in @thewire_in @the_hindu pic.twitter.com/HM1ECWDmxI
— Indira Jaising (@IJaising) January 27, 2020
मीडिया की गलत खबरें
ऑपइंडिया ने भ्रामक शीर्षक के साथ एक लेख प्रकाशित किया, “CAA-विरोधी दंगों को हवा देने के लिए कांग्रेस और इस्लामवादियों के बीच की कड़ी? PFI ने 120 करोड़ रुपये खर्च किए, कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंग को बड़ी रकम हस्तांतरित की: विवरण पढ़ें” (अनुवाद)। विडंबना यह है कि इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दवे और सिब्बल दोनों ने स्पष्ट किया है कि यह राशि PFI द्वारा उनकी कानूनी सेवाओं के लिए हस्तांतरित की गई थी।
दिलचस्प है कि 2018 में, ऑपइंडिया ने भी हादिया मामले में PFI के करीब 1 करोड़ रुपये खर्च करने की खबर दी थी। रिपोर्ट इस तथ्य को संदर्भित करती है कि मामले में याचिकाकर्ता के लिए कपिल सिब्बल उपस्थित हुए थे।
स्वराज्य ने भी बताया कि कपिल सिब्बल को CAA-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान PFI से “77 लाख रुपये की भारी रकम” प्राप्त हुई थी। ऑपइंडिया की ही तरह, इस मीडिया संगठन ने भी मार्च 2018 में PFI के करीब 1 करोड़ रुपये के भुगतान के बारे में लेख प्रकाशित किया था।
Kapil Sibal, Indira Jaising Among Others Paid Close To Rs 1 Crore By Islamist PFI In Hadiya Case https://t.co/N7kqpRESg6
— Swarajya (@SwarajyaMag) March 28, 2018
भाजपा प्रवक्ता सुरेश नखुआ, भाजपा की प्रीति गांधी, भाजपा सांसद शोभा करंदलाजे और मोहनदास पाई सहित कई अन्य प्रमुख ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने CAA-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान वरिष्ठ वकीलों के PFI से धन प्राप्त करने की गलत जानकारी साझा की है।
निष्कर्ष रूप में, मीडिया संगठनों ने गलत सूचना दी कि देश भर में चल रहे CAA-विरोधी प्रदर्शनों के बीच वरिष्ठ वकीलों को धन प्राप्त हुआ।
सत्ता को आईना दिखाने वाली पत्रकारिता का कॉरपोरेट और राजनीति, दोनों के नियंत्रण से मुक्त होना बुनियादी ज़रूरत है. और ये तभी संभव है जब जनता ऐसी पत्रकारिता का हर मोड़ पर साथ दे. फ़ेक न्यूज़ और ग़लत जानकारियों के खिलाफ़ इस लड़ाई में हमारी मदद करें. नीचे दिए गए बटन पर क्लिक कर ऑल्ट न्यूज़ को डोनेट करें.
बैंक ट्रांसफ़र / चेक / DD के माध्यम से डोनेट करने सम्बंधित जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.