एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग एक मस्जिद के सामने नारे लगाते दिख रहे हैं. इसे शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में सड़क पर नमाज़ पढ़ने से रोके जाने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हंगामा किया.

‘ज़ी उत्तर प्रदेश उत्तराखंड’ न्यूज़ चैनल ने अपने एक शो के दौरान ये वीडियो चलाते हुए यही दावा किया. चैनल ने दावा किया कि सहारनपुर में सड़क पर नमाज़ पढ़ने को लेकर नारेबाज़ी हुई. (आर्काइव लिंक)

‘न्यूज़18 उत्तर प्रदेश उत्तराखंड’ ने अपने लाइव ब्रॉडकास्ट में दावा किया कि सहारनपुर के जामा मस्जिद के बाहर नमाज़ियों को जब सड़क पर नमाज़ पढ़ने से रोका गया तो उन्होंने जोड़दार हंगामा कर दिया.

‘एबीपी गंगा’ ने अपने एक ब्रॉडकास्ट के दौरान दावा किया कि सहारनपुर के जामा मस्जिद के बाहर प्रशासन द्वारा सड़क पर नमाज़ पढ़ने से रोके जाने पर नमाज़ियों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी.

न्यूज़रूम पोस्ट के आशीष ने ये वीडियो ट्वीट करते हुए दावा किया कि सड़क पर नमाज़ पढ़ने के लिए प्रशासन से भिड़ गए लोग. प्रोपगेंडा वेबसाइट ऑप इंडिया के सीईओ राहुल रौशन ने इस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, “वफादार लोग धार्मिक भावनाओं से चलते हैं, ना कि राजनीतिक बाहुबल से.” बाद में आशीष ने ये ट्वीट डिलीट कर दिया. (आर्काइव लिंक)

नवभारत टाइम्स के एडिटर आलोक कुमार, ज़ी न्यूज़ के पत्रकार शिवम प्रताप, सुदर्शन न्यूज़ के पत्रकार रजत मिश्रा, न्यूज़ नेशन के पत्रकार अमित चौधरी ने भी ट्वीट करते हुए ऐसा ही दावा किया. दैनिक जागरण, सुदर्शन न्यूज़ उत्तर प्रदेश, वीके न्यूज़ भी ऐसा दावा करने वालो की लिस्ट में शामिल हैं. ये वीडियो फ़ेसबुकट्विटर पर वायरल है.

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फ़ैक्ट-चेक

सहारनपुर पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से वायरल वीडियो के संबंध में एसएसपी आकाश तोमर का बयान जारी किया गया है. आकाश तोमर कहते हैं, “जामा मस्जिद में अलविदा की नमाज़ सकुशल सम्पन्न की जा चुकी थी, उसके बाद जब मस्जिद से नमाज़ पढ़ के लोग लौट रहे थे तो कुछ मीडियाकर्मियों द्वारा उत्तेजनापूर्ण सवाल उनसे पूछे गए. जिसमें कुछ कम उम्र के लड़के हल्ला-गुल्ला करते हुए चले गए. लेकिन बाद में स्थिति शांत है, सामान्य है. यहां किसी भी प्रकार का विवाद नहीं हुआ है, यहां पर ज़िलाधिकारी महोदय, मैं और सभी प्रशासनिक अफसर मौजूद हैं तथा लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति सामान्य है. कुछ मीडिया चैनलों द्वारा भ्रामक व असत्य ख़बरें फैलाई जा रही है, उनके खिलाफ़ प्रशासन द्वारा नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा जाएगा.”

कुछ की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें 28 अप्रैल का एक ट्वीट मिला जिसमें वक्फ जामा मस्जिद कलाँ के लेटरहेड पर नमाज़ के बारे में ऐलान किया गया था. ये ट्वीट ETV भारत उर्दू से जुड़े तसलीम ने किया था. लेटरहेड पर लिखा है, “29 अप्रैल को अलविदा जुमे की नमाज़ सिर्फ मस्जिद के अंदर पढ़ी जाएगी, सड़कों व बाज़ारों में नहीं होगी, इसलिए अलविदा जुमे की नमाज़ अपने मुहल्ले के मस्जिदों में करें”. (आर्काइव लिंक)

इस मामले पर हमने एक स्थानीय पत्रकार से बात की. उन्होंने हमें जामा मस्जिद सहारनपुर के इमाम मोहम्मद अरशद गोरा के बयान का वीडियो भेजा जिसमें वे कह रहे हैं कि अलविदा जुमे की नमाज़ बहुत ही सुकून के साथ अदा की गई. जब लोग नमाज़ के बाद बाहर निकल रहे थे तो किसी कैमरे वाले ने कुछ सवाल किया जिसपर लोग भड़क गए और नारेबाज़ी करने लगे. इसके बाद उन्हें समझा-बुझाकर भेज दिया गया. प्रशासन का प्रबंध काफी अच्छा रहा, वहां अमन-शांति से सब काम पूरा हुआ.

ऑल्ट न्यूज़ ने मौके पर मौजूद एक पत्रकार से बात की. नाम उजागर न करने की शर्त पर उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया और कुछ चैनलों पर प्रसारित होने वाली ख़बर सच नहीं है. उन्होंने ये भी कहा, “हर साल की तरह इस साल भी जामा मस्जिद सहारनपुर में नमाज़ पढ़ने के लिए बहुत भीड़ थी, लेकिन मस्जिद के अंदर इतने लोगों की जगह नहीं है. चूंकि नमाज़ का एक तय समय होता है इसलिए मस्जिद कमेटी के लोगों ने बाहर खड़े लोगों से कहा कि जिन्हें मस्जिद के अंदर जगह नहीं मिली है, वे अपने मुहल्ले की मस्जिदों में नमाज़ पढ़ लें. और लोग बिना किसी विरोध के शांतिपूर्वक वापस चले गए. हालांकि, नमाज़ के बाद कुछ चैनल के लोगों ने मस्जिद के अंदर नमाज़ पढ़कर बाहर आने वाले लोगों से कुछ भड़काऊ सवाल पूछे, जिसके चलते नारेबाज़ी हुई. हालांकि, 7-8 मिनट के भीतर मामला सुलझा लिया गया और पुलिस ने स्थिति को अपने नियंत्रण में ले लिया. ये बिल्कुल भी बड़ा मुद्दा नहीं था.”

कुल मिलाकर, सहारनपुर में जामा मस्जिद के बाहर सड़क पर नमाज़ पढ़ने के लिए हंगामा नहीं हुआ था. नमाज़ के बाद, पत्रकारों द्वारा कथित तौर पर उकसाने वाले सवाल पूछने पर हुए हंगामे को मेनस्ट्रीम मीडिया, न्यूज़ पोर्टल्स ने ग़लत दावे के साथ चलाया.

 

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Abhishek is a senior fact-checking journalist and researcher at Alt News. He has a keen interest in information verification and technology. He is always eager to learn new skills, explore new OSINT tools and techniques. Prior to joining Alt News, he worked in the field of content development and analysis with a major focus on Search Engine Optimization (SEO).