अफ़गानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश की महिलाओं के अधिकारों पर गहरी चोट आयी है. कई महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर इस शासन का विरोध किया था. इस दौरान, अफ़गान महिला नेताओं की जान पर भी खतरा बना हुआ है.
इसके साथ, सोशल मीडिया पर यहां के बारे में कई गलत जानकारियां भी फैलीं.
20 अक्टूबर को कुछ मीडिया संगठनों ने रिपोर्ट किया कि तालिबान ने अफ़गान महिला नेशनल यूथ वॉलीबॉल प्लेयर महजबीन हकीमी का सर कलम कर दिया. भारतीय मीडिया आउटलेट्स IANS, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया, ज़ी न्यूज़, द ट्रिब्यून, न्यूज़18, ABP लाइव, इंडिया टुडे, इंडिया टाइम्स, इन शॉर्ट्स, इंडिया डॉट कॉम, नॉर्थ ईस्ट नाउ, DNA, द ब्रिज, एशियानेट न्यूज़ और वन इंडिया कन्नड़ा ने भी ये खबर चलाई थी.
तेलुगु न्यूज़ वेबसाइट साक्षी, तमिल न्यूज़ वेबसाइट डेली तांती, द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप की मराठी न्यूज़ वेबसाइट लोकसत्ता और लोकमत, बंगाली न्यूज़ वेबसाइट संगबाद प्रतिदिन, लेटेस्टली बांग्ला, कन्नड़ा न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म न्यूज़ BTV, उदय वाणी, पंजाबी न्यूज़ वेबसाइट जग वाणी, कनक न्यूज़, उड़िया वेबसाइट कनक न्यूज़, RSS का मुखपत्र ऑर्गनाइज़र और बीजेपी समर्थक वेबसाइट ऑप इंडिया ने भी ऐसी खबर चलाई थी.
इनमें से कई मीडिया रिपोर्ट्स ने इंडिपेंडेंट पर्शियन के हवाले से ये खबर दी थी. मूल रिपोर्ट में वॉलीबॉल टीम के कोच (जिन्हें सुरैया अफ़ज़ाली के काल्पनिक नाम से जाना जा रहा है) के हवाले से बताया गया था कि महजबीन की हत्या अक्टूबर की शुरुआत में ही कर दी गयी थी. लेकिन उसके परिवार को मिल रही धमकियों के कारण ये मामला दबा रहा.
कुछ अफ़गान के पत्रकारों ने भी ये दावा किया जिसमें मसूद हुसैनी (स्वतंत्र पत्रकार) और अफ़गान के मीडिया आउटलेट टोलो टीवी से जुड़ी पत्रकार नादिया नायाब शामिल हैं. फ़्रांस के मुस्तफ़ा हज़रा, जो अफ़गानिस्तान कल्चर फ़ाउंडेशन के सेक्रेटरी और पत्रकार हैं, ने भी ये दावा किया.
कई मीडिया संगठनों ने भी ये खबर ट्वीट की है. इसमें बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन (द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट शेयर की), मधु पूर्णिमा कीश्वर (इंडिया टुडे की रिपोर्ट शेयर की), इज़रायली कॉलमिस्ट एमिली श्रेडर (इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट शेयर की), विवेक रंजन अग्निहोत्री (इंडिया टुडे की रिपोर्ट शेयर की) और यूके की डॉ. जेसिका टेलर (इंडिया टाइम्स) शामिल हैं. कई लोगों ने बिना कोई रिपोर्ट शेयर किये ये दावा शेयर किया, जैसे – @abdullah_0mar और @TrulyMonica. ऐसे ही फ़ेसबुक पर भी ये दावा शेयर किया गया है.
मीडिया की गलत खबर
कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने महजबीन हकीमी की मौत की खबर पर सवाल उठाएं. उन्होंने बताया कि महजबीन की मौत तालिबान के काबुल पर काबिज़ होने से पहले में हुई थी. उसकी मौत अगस्त के पहले हफ़्ते में हुई थी.
पत्रकार दीपा पेरन्ट ने महजबीन के परिवार से बात की थी. और उन्होंने परिवारवालों के हवाले से ट्वीट करते हुए बताया कि महजबीन की मौत की खबर भ्रामक है.
Guys, spoke to a family member of Ms. Hakimi and have deleted the tweets about her death. Please consider the family’s request and delete them too. The news about the cause of her death is misleading. Please do pray for her peace. RIP
— Deepa. K. Parent (@DeepaParent) October 19, 2021
ऑल्ट न्यूज़ ने अफ़गानी पत्रकार से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि भारतीय मीडिया संगठनों ने महजबीन की मौत की गई खबर गलत तरीके से शेयर की हैं. उन्होंने कहा, “मौत की वजह काफ़ी जटिल है. परिवारवालों ने महजबीन के मंगेतर के घरवालों पर आरोप लगाया कि उन्होंने महजबीन को मार डाला है. और इसे ऑनर किलिंग का मामला बताया. लेकिन महजबीन के ससुरालवालों ने बताया कि उसने आत्महत्या की थी.” पत्रकार ने कहा कि महजबीन गजनी प्रांत के जगजूरी ज़िले के तोघई गांव की थी. लेकिन वो काबुल में रहती थी.
महजबीन की मौत आत्महत्या है, ये बतानेवालों में टोलो न्यूज़ के पूर्व हेड मिरगा पोपल, अफ़गान की वुमन राइट्स ऐक्टिविस्ट वाज़हम फ़्रोग़ (Wazhma Frogh) और Etilaatroz से रिपोर्टर ज़की दरयाबी शामिल हैं. ध्यान दें कि तालिबान ने काबुल पर 15 अगस्त को कब्ज़ा किया था.
महजबीन को निजी तौर पर जानने का दावा करने वाली ट्विटर यूज़र रेहाना हाशमी ने मसूद हुसैनी को जवाब देते हुए बताया था कि महजबीन अफ़गान नेशनल आर्मी कमांडो की सदस्य थी. और उसकी हत्या तालिबान के आने के 10 दिन पहले उसके ससुरलवालों ने की थी.
She was a member of Afghan National Army Commando and was killed by her in laws 10 days before The Taliban… I knew her personally
— Raihana Hashimi (@RaihanaHashimi) October 20, 2021
ऑल्ट न्यूज़ ने एक व्यक्ति से बात की जो 2015 में महजबीन के कोच थे. उन्होंने कहा, “2015 में वो मेरी टीम में थी. ये टीम बिना प्रतिस्पर्धा वाली इंटर-सिटी लीग में खेलती थी. 2016 में मैंने अफ़गानिस्तान छोड़ दिया था. उस वक़्त तक महजबीन नेशनल टीम के लिए नहीं खेलती थी.” ऑल्ट न्यूज़ ने अफ़गानिस्तान महिला वॉलीबॉल असोसिएशन से भी संपर्क किया. उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया मिलने पर ये आर्टिकल अपडेट किया जाएगा.
परिवार का बयान
ऑल्ट न्यूज़ को महजबीन के भाई स्कंदर हकीमी की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल मिली. 7 अगस्त को स्कंदर ने फ़ेसबुक की प्रोफ़ाइल इमेज चेंज कर काली तस्वीर लगाई थी. इस तस्वीर पर 100 से ज़्याद लोगों ने पर्शियन भाषा में कमेन्ट्स करते हुए शोक व्यक्त किया था. इनमें से एक कमेन्ट के मुताबिक, “मैं दिल से आपकी प्यारी बहन की मौत पर शोक व्यक्त करता हूं.” 9 अगस्त को स्कंदर ने अपनी बहन की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “मुझे हमेशा आप पर गर्व रहेगा, प्यारी बहन.”
ऑल्ट न्यूज़ ने स्कंदर से भी संपर्क किया. उनकी ओर से कोई जवाब मिलने पर ये आर्टिकल अपडेट किया जाएगा.
I will always be proud of you dear Sister.
Posted by Skandar Hakimi on Monday, 9 August 2021
स्कंदर की प्रोफ़ाइल खंगालने पर ऑल्ट न्यूज़ ने महजबीन के एक रिश्तेदार से फ़ोन पर बातचीत की. कनाडा स्थित अफ़गानिस्तान के ऐक्टिविस्ट फरिश्ता बरेज़ ने प्रमुख बोलियों में से एक दारी पर्शियन बोली समझने में हमारी मदद की. रिश्तेदार ने इस बात की पुष्टि की कि स्कंदर, महजबीन का भाई है.
उन्होंने बताया कि महजबीन की माजिद खान से 2020 में सगाई हुई थी. तबसे वो काबुल में अपने ससुरलवालों के साथ रहती थी. महजबीन की मौत से कुछ दिनों पहले ही उसकी शादी होने वाली थी. रिश्तेदार ने बताया कि महजबीन को अमेरिका से स्कॉलरशिप मिली थी. इसी वजह से उसकी ससुरालवालों से बहस होती रहती थी. ऑल्ट न्यूज़ ने महजबीन के मंगेतर से भी संपर्क किया लेकिन कोई बातचीत नहीं हो पाई है. उनसे संपर्क होते ही ऑल्ट न्यूज़ इस आर्टिकल को अपडेट करेगा.
रिश्तेदार ने कहा, “अक्टूबर में महजबीन की हत्या तालिबान ने नहीं की थी. महजबीन की मौत 6 अगस्त को हुई थी. और उसका शव काबुल में उसके मंगेतर के घर के बाथरूम से मिला था. मंगेतर ने दावा किया था कि महजबीन ने दम घुटने तक खुदको बंद करके रखा. लेकिन हमारे परिवार को इसमें ससुरालवालों का हाथ होने का शक है.”
रिश्तेदार ने महजबीन की कब्र की तस्वीर भी भेजी. तस्वीर में कब्र पर महजबीन का नाम गुदा हुआ है (जिसे नीले रंग से दिखाया गया है). वहीं उसकी मौत की तारीख भी पर्शियन कैलंडर के हिसाब से लिखी है (हरे रंग से चिन्हित). उसके पिता का नाम : मोहम्मद सरवर (गुलाबी रंग से दिखाया गया) और उसकी उम्र (लाल रंग) भी लिखी है. इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से मौत की तारीख 6 अगस्त है. रिश्तेदार ने बताया कि ये मकबरा काबुल में है.
मकबरे पर लिखे पहले 3 वाक्यों का अनुवाद है : “मोहम्मद सरवर हकीमी की बेटी महजबीन हकीमी की कब्र, जो 25 वर्ष की उम्र में शुक्रवार रात को 5/15/1400 को अल्लाह के पास चली गई.”
(नोट : ये अनुवाद ऑल्ट न्यूज़ ने महजबीन के रिश्तेदार की मदद से किया.)
7 अगस्त को ज़रमीना अलीज़ादा ने महजबीन की मौत के बारे में एक शोक संदेश पोस्ट किया था. ज़रमीना ने खुद को महजबीन की दोस्त बताया है. पोस्ट में मौत की तारीख 15-5-1400 ही दी गई है.
2 दिन बाद 9 अगस्त को ज़रमीना ने महजबीन की अंतिम क्रिया से लौटने के बाद एक और पोस्ट किया था.
महजबीन के बारे में बात करते हुए रिश्तेदार ने बताया, “महजबीन युवा लड़कियां और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा थी. अपने पिता की तरह वो खेल में दिलचस्पी रखती थी जैसे वॉलीबॉल और बास्केटबॉल. 2015 से महजबीन आंतरिक मंत्रालय में काम करती थी.” उन्होंने ऑल्ट न्यूज़ से महजबीन के पिता मोहम्मद सरवर की एक फ़ेसबुक पोस्ट भी शेयर की. ये पोस्ट महजबीन की मौत के बारे में थी. पब्लिक पोस्ट नहीं होने के कारण हम ये पोस्ट नहीं देख सके. मोहम्मद सरवर ने अपनी बेटी की लाश की एक तस्वीर भी शेयर की थी. तस्वीर में उसके गले में लाल रंग का निशान साफ़ दिखता है. ऑल्ट न्यूज़ ने महजबीन के पिता से भी संपर्क करने की कोशिश की थी. उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया आने पर ये आर्टिकल अपडेट किया जाएगा.
नीचे महजबीन के रिश्तेदार द्वारा शेयर की गई उनकी कुछ तस्वीरें हैं.
ऑल्ट न्यूज़ को महजबीन की याद में रखे गए एक कार्यक्रम का उनके परिवार द्वारा बनाए गए इनविटेशन कार्ड की तस्वीर मिली. ये कार्यक्रम 22 अगस्त को हुआ था. कार्ड में महजबीन की तस्वीर भी है जो उनके रिश्तेदार द्वारा भेजी गई तस्वीर से मेल खाती है.
कुल मिलाकर, ऑल्ट न्यूज़ ने जांच में पाया कि महजबीन हकीमी की मौत या तो आत्महत्या के कारण हुई या उसके ससुरालवालों के कारण (जैसा कि महजबीन के परिवारवालों ने आरोप लगाया है). परिवार ने मौत में तालिबान का कोई हाथ होने की बात नहीं की है. ऑल्ट न्यूज़ महजबीन की मौत के कारण के बारे में कोई पुष्टि नहीं कर सकता. लेकिन ये बात तो तय है कि उसकी मौत 6 अगस्त को हुई थी न कि इंडिपेंडेंट पर्शियन और अन्य मीडिया संगठनों की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में. इसके अलावा, तस्वीर में साफ़ दिख रहा है कि महजबीन का सिर नहीं काटा गया है.
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